MP’s New CM Decided Today : आश्वस्त दिखते शिवराज, पर क्या किसी और के सिर सजेगा ताज! आज शाम खत्म होगा सस्पेंस!
सुरेश तिवारी का खास राजनीतिक विश्लेषण
Bhopal : मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के सभी नवनिर्वाचित विधायकों की आज शाम भोपाल में होने वाली बैठक में यह फैसला हो जाएगा की मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा! राजनीतिक पंडितों का आकलन है कि शिवराज सिंह चौहान जिस तरह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर रोज प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं, इससे वे आश्वस्त दिखाई दे रहे हैं! ऐसे में क्या पार्टी उन्हें फिर एक मौका देगी या किसी और के सिर सजेगा सीएम का ताज! यह सस्पेंस शाम को भाजपा प्रदेश कार्यालय में होने वाली बैठक के बाद ही खत्म होगा। इस बैठक में पार्टी हाईकमान द्वारा नियुक्त तीन पर्यवेक्षक मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री हरियाणा, डॉ के लक्ष्मण राष्ट्रीय अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग मोर्चा और आशा लाकड़ा राष्ट्रीय सचिव मौजूद रहेंगे।
मिली जानकारी के अनुसार अगले कुछ महीनो में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा हाईकमान मध्य प्रदेश को लेकर कोई नया प्रयोग करेगा, ऐसा लगता नहीं है! फिर भी मोदी और शाह की रणनीति के बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता। इस बीच जिस तरह शिवराज सिंह चौहान लगातार मध्य प्रदेश मैं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के गढ़ सहित विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं, उससे लगता है कि वे स्वयं आश्वस्त हैं और शायद इसीलिए उन्होंने चुनाव के बाद दिल्ली जाना भी उचित नहीं समझा। शिवराज लाड़ली बहना योजना को लेकर जिस तरह के बयान लगातार दे रहे हैं, उससे भी लगता है कि वे खुद की स्थिति को लेकर बहुत उत्साहित हैं।
संभव है कि मोदी मैजिक और ‘लाडली बहना’ फार्मूले से विधानसभा चुनाव में भाजपा को आसमान फाड़ सफलता मिली, उसे केंद्रीय नेतृत्व लोकसभा चुनाव में भी आजमाना चाहता है। उसके लिए शिवराज सिंह से बेहतर चेहरा कोई और नहीं हो सकता। जिस तरह से शिवराज की आश्वस्ति नजर आ रही है, उससे लगता है कि उन्हें पता है कि आज शाम क्या होने वाला है! यह भी कहा जा रहा कि शिवराज सिंह ने इमोशमली भी केंद्रीय नेतृत्व को इस बात के लिए मजबूर कर दिया कि वे उनके अलावा किसी और के नाम पर विचार करने को लेकर गंभीरता से सोचें।
शिवराज की अपनी अलग राजनीतिक शैली
शिवराजसिंह की राजनीतिक शैली ऐसी है जिसमें वे कभी दबाव की राजनीति नहीं करते। बल्कि ऐसे हालात पैदा करते हैं कि पार्टी नेतृत्व उनके पक्ष में फैसला करने के लिए बाध्य हो जाता है। अभी भी वे इसी फार्मूले पर चल रहे हैं। पार्टी के फैसले को सर्वोपरि बताना, लॉबिंग के लिए दिल्ली जाने से इंकार, खुद ही लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाना और सभी 29 सीटें जीतने के दावे के साथ ये कहना कि चुनाव के बाद मोदीजी को 29 फूलों का हार पहनाऊंगा। इसके विपरीत राजस्थान में वसुंधरा राजे केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव बनाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी हथियाना चाहती है। मीडिया में ऐसी खबरों का उछलना कि कई विधायक वसुंधरा राजे के साथ हैं और कांग्रेस के संपर्क में हैं, इससे हाईकमान पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है। जबकि, अपने खेमे के 98 विधायकों की जीत के बावजूद शिवराज ने कभी दबाव बनाने की कोशिश नहीं की। फिर मुख्यमंत्री बनना वे भी चाहते हैं, पर नेतृत्व का विश्वास जीतकर न कि दबाव डालकर। कुल मिलाकर जहां वसुंधरा दबाव की हार्ड राजनीति कर रही हैं वही शिवराज सॉफ्ट राजनीति के माध्यम से एक अलग संदेश दे रहे हैं।
फैसला विधायक दल का, पसंद मोदी-शाह की
बताया गया कि 163 सीटें जीतने से भाजपा पर भी जिम्मेदारी का भी बोझ बढ़ा है। कहा भले जा रहा कि केंद्रीय पर्यवेक्षक विधायकों की राय जानकर मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करेंगे। लेकिन, सच ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भेजे गए पर्यवेक्षकों को अपनी पसंद बता चुके हैं। इसलिए ये नहीं कहा जा सकता कि सब कुछ विधायकों की पसंद से तय होगा। विधायक भी मोदी और शाह की पसंद से अलग कोई फैसला करेंगे, ऐसे आसार संभव ही नहीं हैं।
बताया गया कि केंद्रीय पर्यवेक्षकों को तय फार्मूलों के साथ भोपाल भेजा गया है। इसलिए कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री का नाम चौंकाने वाला हो सकता है। शिवराज यदि मुख्यमंत्री बनते हैं तो भी नाम चौंकाएगा, कोई और बनता है तो भी। दिल्ली दरबार को सब पता ही है कि मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे कौन खड़ा है। चुनाव नतीजे आने के बाद भाजपा आलाकमान ने मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कई विकल्पों पर विचार किया। उसके बाद नाम तय करके पर्यवेक्षकों को इशारा कर दिया गया।
बताया गया कि वहीं से उप मुख्यमंत्री का फार्मूला भी निकला, जिस पर अमल होना तय है। छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में भी पार्टी ने मुख्यमंत्री के साथ दो उप मुख्यमंत्री बनाना तय किया, इससे इस संभावना को बल मिला है कि मध्यप्रदेश में भी यही प्रयोग दोहराया जाएगा। दो उप मुख्यमंत्री का फार्मूला जाति समीकरण के हिसाब से तय किया जाएगा। यह भी कहा जा रहा कि दो में से एक उप मुख्यमंत्री कोई महिला भी हो सकती है। इसलिए कि शिवराज सरकार की जिस ‘लाड़ली बहना योजना’ का फ़ायदा विधानसभा चुनाव में मिला, उसे पार्टी लोकसभा में भी भुनाने का मौका नहीं चुकेगी।
अभी तक देखा गया है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व प्रयोग करने से पीछे नहीं हटता। छत्तीसगढ़ में भी सारी संभावनाओं को किनारे करते हुए एक आदिवासी नेता को मौका दिया गया। इसलिए कहा नहीं जा सकता कि तय फॉर्मूले के तहत वैसा ही होगा, जैसा सोचा और समझा जा रहा है। यदि पार्टी ने गुजरात की तरह कोई प्रयोग किया तो मुख्यमंत्री से मंत्री तक सभी नए चेहरे होंगे। यदि ऐसा कुछ होता है तो प्रहलाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया या कैलाश विजयवर्गीय को जिम्मेदारी दी जा सकती है। दो उप मुख्यमंत्रियों में एक ऊंची जाति का और एक दलित या आदिवासी हो सकता है। यह भी संभव है कि किसी आदिवासी महिला विधायक को यह मौका मिल जाए।
छत्तीसगढ़ की तरह यहां भी दो उप मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह को फिर मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो उनके साथ दो उप मुख्यमंत्री (एक सवर्ण और एक दलित / आदिवासी) बनाए जा सकते हैं। तब प्रहलाद पटेल और कैलाश विजयवर्गीय को विधानसभा अध्यक्ष या प्रदेश अध्यक्ष बनाकर संतुलन बनाए जाने का फार्मूला है। वीडी शर्मा को केंद्र में मंत्री बनाने की भी चर्चा है।
उप मुख्यमंत्री के लिए ब्राह्मण समुदाय से गोपाल भार्गव, राजेंद्र शुक्ला, राकेश सिंह और दलित / आदिवासी वर्ग से निर्मला भूरिया, जगदीश देवड़ा, तुलसीराम राम सिलावट और ओमप्रकाश धुर्वे के नाम पर चर्चा हो रही हैं। लेकिन, ये सारे राजनीतिक कयास हैं। आज शाम सारे पत्ते खुल जाएंगे कि किस नेता के हाथ क्या आने वाला है। क्योंकि, होगा वही जो नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने पहले से तय किया है और पर्यवेक्षकों को उसका इशारा कर दिया।
राजनीतिक स्थिति जो भी हो, मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस आज शाम को खत्म हो जाएगा। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की और से सभी विधायकों को भाजपा विधायक दल की बैठक में उपस्थित रहने के लिए आमंत्रण जारी किया गया है। बैठक में पार्टी के विधायक दल का नेता यानी भावी मुख्यमंत्री का चयन होगा। प्रदेश के भाजपा महामंत्री और प्रदेश कार्यालय प्रभारी भगवानदास सबनानी द्वारा जारी इस आमंत्रण पत्र में कहा गया है कि सभी विधायक अनिवार्य रूप से उपस्थित रहे। यह भी सलाह दी गई है कि बैठक के पूर्व मीडिया को प्रतिक्रिया देने से बचे।
इस संबंध में जारी पत्र में बताया गया है कि दोपहर 1 से 3 बजे तक विधायकों का पंजीयन और भोजन होगा। अपरान्ह साढे 3 बजे विधायक दल के सदस्यों की समूह फोटो होगी और 3:50 बजे से विधायक दल की बैठक शुरू हो जाएगी। उसी में तय होगा कि अगले 5 साल के लिए प्रदेश की कमान किसके हाथ में होगी!