Nagpanchami 2023: 20 अगस्त की रात 12 बजे खुलेंगे उज्‍जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट

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Nagpanchami 2023:  20 अगस्त की रात 12 बजे खुलेंगे उज्‍जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट

  उज्जैन: ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में नागपंचमी को लेकर तैयारी जारी है। 20 अगस्त की रात 12 बजे मंदिर के शीर्ष पर स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट खुलेंगे। पश्चात महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से महंत विनीत गिरि महाराज व अधिकारियों द्वारा भगवान नागचंद्रेश्वर का पूजन किया जाएगा। मान्यता है कि नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से ही सारे दुख-दर्द और कालसर्प दोष का निवारण हो जाता है. भगवान नागचंद्रेश्वर का आशीर्वाद लेने देशभर से भक्त नाग पंचमी पर उज्जैन आते हैं.

प्रत्येक वर्ष नाग पंचमी पर साल में सिर्फ एक बार खुलता है नागचंद्रेश्वर मंदिर । नाग देवता के इस मंदिर के बारे में जो साल में सिर्फ एक बार खुलता है श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 21 अगस्त 2023 को नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाएगा।नागचंद्रेश्वर महादेव उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर मंदिर के दूसरे तल पर विराजित हैं. इस मंदिर के पट साल भर में केवल एक 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से ही सारे दुख-दर्द और कालसर्प दोष का स्थायी निवारण हो जाता है. भगवान नागचंद्रेश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए देशभर के भक्त नाग पंचमी के अवसर पर उज्जैन आते हैं.
सनातन धर्म में इस दिन भगवान शिव जी के साथ सर्पों की पूजा का विधान है। हिंदू धर्म में नाग पूजनीय हैं नागदेव भगवान शिव के गले में विराजते हैं तो शेषनाग पर भगवान विष्णु शयन करते हैं।

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नागचंद्रेश्वर मंदिर की कुछ अन्य जानकारी

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग में से एक महाकालेश्वर मंदिर है।जिसकी तीसरी मंजिल पर नागचंद्रेश्वर मन्दिर स्थापित है
नागचंद्रेश्वर मंदिर के भक्तों के लिए वर्ष में केवल नागपंचमी के दिन 24 घंटे के लिए खोले जाते है।
इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में करवाया गया था यहां फन फैलाए नाग की एक अद्भुत प्रतिमा है। जिस पर शिवजी और मां पार्वती बैठे हैं, मान्यता है कि यहां नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में वास करते हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नाग देव की ये प्रतिमा वर्तमान नेपाल से यहां लाई गई थी जो पूरे विश्व में अद्वितीय है

कपाट बंद रहने का कारण-
वहां के आचार्य जी के अनुसार और मान्यता है कि सर्पराज तक्षक ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तप किया था, तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया। उसके बाद से तक्षक राजा ने भोलेनाथ की शरण में वास करने लगे, नागराज की महाकाल वन में वास करने से पूर्व मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो, यही वजह है कि इस मंदिर के पट सिर्फ वर्ष में एक बार खुल5सतत3ते हैं, शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार कपाट बंद रहते है।
यहां पर नाग पंचमी को दर्शन व अपने कष्टों से मुक्ति पाने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है।

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