National Unity Day: सरदार पटेल – राष्ट्रीय एकता के एक स्तंभ

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31 अक्टूबर 2025-150वीं जयंती विशेष  राष्ट्रीय एकता दिवस

  National Unity Day : सरदार पटेल – राष्ट्रीय एकता के एक स्तंभ

डॉ. तेज प्रकाश पूर्णानन्द व्यास

​प्रति वर्ष 31 अक्टूबर को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day), आधुनिक भारत के वास्तुकार, सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती का सम्मान करता है। वर्ष 2025 इस महान विभूति की 150वीं जयंती का विशेष अवसर है, जो उनके अविस्मरणीय योगदान को याद करने का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में, सरदार पटेल का सबसे बड़ा योगदान 560 से अधिक रियासतों को भारतीय संघ में सफलतापूर्वक एकीकृत करना था—एक ऐसा कार्य जिसने भारत की वर्तमान क्षेत्रीय अखंडता की नींव रखी। यह दिवस राष्ट्र की संप्रभुता, शांति और अखंडता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने का अवसर है।

सरदार पटेल की आधारभूत विरासत और ‘लौह पुरुष’ का निर्णायक नेतृत्व
​सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी असाधारण इच्छाशक्ति, कूटनीति और व्यावहारिक दृष्टिकोण के कारण ‘भारत के लौह पुरुष’ (Iron Man of India) के रूप में जाना जाता है।
​1. रियासतों का सफल एकीकरण (Operation of Integration):
​चुनौती: 1947 में स्वतंत्रता के बाद, भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ने रियासतों को भारत, पाकिस्तान या स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया। इस स्थिति में, देश का राजनीतिक विखंडन अपरिहार्य था।
​समाधान: सरदार पटेल ने ‘गाजर और छड़ी’ (carrot and stick) की नीति का उपयोग किया। उन्होंने राजाओं को ‘प्रिवी पर्स’ और अन्य लाभों का आश्वासन देते हुए ‘विलय पत्र’ (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर करने के लिए राजी किया।
​रणनीति: उन्होंने सौहार्दपूर्ण वार्ताओं, अनुनय और, जूनागढ़ और हैदराबाद (ऑपरेशन पोलो) जैसे मामलों में, कठोर प्रशासनिक उपायों और बल प्रयोग के संयोजन का उपयोग किया।
​परिणाम: 15 अगस्त, 1947 तक (या उसके तुरंत बाद), उन्होंने अधिकांश रियासतों का विलय सुनिश्चित कर लिया, जिससे आधुनिक, एकीकृत भारत का निर्माण हुआ।
​2. अखिल भारतीय सेवाओं का निर्माण (Architect of All India Services):
​सरदार पटेल ने अखिल भारतीय सेवाओं (IAS, IPS आदि) को देश की एकता और अखंडता की रक्षा करने वाला ‘स्टील फ्रेम’ (मज़बूत ढाँचा) माना। उनका मानना था कि एक मज़बूत, निष्पक्ष और एकीकृत प्रशासनिक ढाँचा ही एक विविध राष्ट्र को साथ रख सकता है।
​3. किसान और बारडोली सत्याग्रह (Champion of Farmers):
​1928 के बारडोली सत्याग्रह के सफल नेतृत्व ने उन्हें ‘सरदार’ (मुखिया) की उपाधि दिलाई। उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई और सरकार को कर वृद्धि वापस लेने के लिए मजबूर किया। यह उनकी प्रशासनिक कुशलता और जन-समर्थन को दर्शाता है।

वर्तमान संदर्भ और राष्ट्रीय एकता दिवस की गतिविधियाँ
​भारत सरकार ने राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए 2014 में इस दिवस को मनाना शुरू किया। प्रधानमंत्री मोदी इस वर्ष (2025) भी केवडिया के एकता नगर में समारोह में भाग लेंगे।
​’एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल: यह पहल 2015 में राष्ट्रीय एकता दिवस पर शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के बीच निरंतर संपर्क और आपसी समझ को बढ़ाना है। यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान और राष्ट्रीय एकीकरण को प्रोत्साहित करता है।
​’एकता दौड़’ और ‘एकता मार्च’: ये वार्षिक कार्यक्रम नागरिकों, विशेषकर युवाओं को, शारीरिक गतिविधि के माध्यम से देशभक्ति और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने में संलग्न करते हैं।
​संकल्प: इस दिन, नागरिक राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा बनाए रखने की प्रतिज्ञा लेते हैं।

‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’: सरदार पटेल को श्रद्धांजलि
​सरदार पटेल की विरासत को चिरस्थायी रूप देने के लिए, गुजरात के केवडिया, एकता नगर में उनकी विशाल प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’
(Statue of Unity) स्थापित की गई है।
​संरचना और ऊँचाई: यह विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है, जिसकी ऊँचाई 182 मीटर (597 फीट) है। यह सरदार सरोवर बांध के सामने, नर्मदा नदी के तट पर स्थित है।
​प्रतीकात्मकता: यह प्रतिमा न केवल सरदार पटेल की शारीरिक उपस्थिति का प्रतिनिधित्व करती है, बल्कि यह भारत की एकता, विविधता में सामंजस्य और राष्ट्रीय संकल्प का भी एक शक्तिशाली प्रतीक है। इसका निर्माण भारत के हर हिस्से से लाए गए लोहे और मिट्टी का उपयोग करके किया गया है, जो राष्ट्र की भावना को दर्शाता है।
​पर्यटन: यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया है, जो देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव की भावना को प्रेरित करता है।

​वर्ष 2025 में सरदार पटेल की 150वीं जयंती मनाते हुए, राष्ट्रीय एकता दिवस हमें उनकी विरासत को याद करने और अपनी विविध संस्कृति, भाषा और परंपराओं के बीच एकता की शक्ति को पुन: समर्पित करने का अवसर देता है