New Type of Cheating : पैर दर्द के आयुर्वेदिक इलाज के नाम पर 42 लाख की ठगी!

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New Type of Cheating : पैर दर्द के आयुर्वेदिक इलाज के नाम पर 42 लाख की ठगी!

Bhopal : क्राइम ब्रांच ने पांच ऐसे शातिर बदमाशों को पकड़ा है, जो आयुर्वेदिक ईलाज के नाम लोगों को धोखा देते थे। इनके निशाने पर वे महिलाएं होती थी, जिनके पैरों में तकलीफ होती है। गिरोह का एक बदमाश ऐसी महिलाओं की रेकी करके उन्हें फंसाते फिर ठगी करते थे। ऐसे ही एक मामले में 42 लाख की धोखाधड़ी करने वाले 3 और आरोपियों को क्राइम ब्रांच ने पकड़ा। पहले 2 को पकड़ा गया था।

राकेश मोहन विरमानी ने एक शिकायत दर्ज कराई थी कि डॉ पटेल एंव उनके साथियो ने मेरे साथ मेरी पत्नी के इलाज के नाम पर 42 लाख की ठगी की। उन्होंने बताया कि मेरी पत्नी को डीप वैनथ्रोमबोसिस नाम की बीमारी है जिसमें पैरो में दर्द होता है। पैरो में खून का बहाव सही नहीं होता, जिससे पैरो में सूजन रहती है। 4 फरवरी को मैं अपनी पत्नी के साथ खाना खाने एमपी नगर में आए थे। खाना खाने के बाद मैं अपनी पत्नी के साथ बाहर निकल रहा था। मेरी पत्नी बीमारी के कारण लंगडा कर चल रही थी। तभी वहां खङे एक युवक ने कहा कि आंटी आप लंगड़ी क्यों चल रही है। तब मैंने उसे मेरी पत्नी की बीमारी के बारे में बताया। युवक ने बताया कि उसकी माँ को वही बीमारी थी। उसकी माँ का इलाज मुम्बई के डॉ पटेल से कराया, जिससे उनको अब बिल्कुल तकलीफ नही है। उसने मुझे डॉ पटेल का मोबाइल नंबर दिया। लङके ने बताया कि अभी डॉ पटेल भोपाल में ही है। आप उनको काँल करेगे तो घर पर ही आकर आपकी पत्नी का इलाज कर देगे। बाद में हम लोगो ने अपना मोबाइल नंबर आपस में एक्सचेंज किया उस लङके ने अपना नाम राजीव बताया।

डॉ पटेल को 5 फरवरी को फोन लगाया और बात की तो उसने 6 फ़रवरी को घर पर आकर इलाज करने को कहा। दूसरे दिन कथित डॉ पटेल असिस्टेंट के साथ मेरे घर आए और मेरी पत्नी से उनकी परेशानी पूछी। समस्या बताई तो उसने मेरी पत्नी के बांये घुटने पर ब्लेडनुमा चाकू से छोटा सा कट लगाया और कुप्पीनुमा वस्तु से कटवाली जगह से 2-3 सेकंड मुंह से खींचा। ऐसा करने के बाद कुप्पी में में सफेद पीले रंग का पदीर्थ दिखाया और बोला कि इस पदार्थ के कारण खून की सप्लाई नही हो रही है और पैरो में सूजन आती है। ऐसा दो तीन बार किया और बोला कि यह प्रक्रिया खतरनाक है। ऐसी गतिविधि करने के हर बार 6000 रूपए चार्ज करेंगे।

इस इलाज मेरी पत्नी को फायदा हुआ। घुटने पर उक्त प्रक्रिया 152 बार की जिससे मेरी पत्नी को बहूत आराम मिला। इसके बाद डॉ पटेल ने मेरी पत्नी के पैर के निचले हिस्से पर 202 बार पहले जैसी गतिविधि की। कुल मिलाकर मेरे द्वारा डॉ पटेल से मेरी पत्नी के घुटने एंव पैर का 354 बार थैरिपी कराई जिसका राशि 21,54,000/- रु थी। इसका पेमेंट मेरे द्वारा किया गया। बाद में डॉ पटेल ने कहा कि इससे पूरा आराम नही मिलेगा। आपको एक दवाई और लेनी पङेगी जो दिल्ली के संजीवनी आयुर्वेदिक से मंगाना पड़ेगी।

संजीवनी में बात की तो उन्होंने कहा कि अभी दवा नहीं है। जब डॉ पटेल को ये बताया तो उन्होंने कहा कि आप मेरे खाते में 5 लाख 30 हजार रूपए डाल दें। मैं आपको जयपुर से दवाई लाकर दे दूँगा। मैंने अकाउंट में पैसे डाल दिए। 2 दिन बाद दवाई कुरियर से आ गई। इसके बाद डॉ पटेल ने कई बार मुझसे दवा और तेल के नाम पर लाखों रुपए ले लिए। उसके बाद डॉ पटेल और उसके सभी साथियों और संजीवनी के मोबाइल नंबर बंद हो गए।

शिकायत में बताया गया कि डॉ पटेल ने साथियो के साथ मेरे साथ मेरी पत्नी के इलाज के नाम पर 42 लाख 73 हजार की ठगी की। प्रार्थी राकेश मोहन विरमानी की रिपोर्ट पर मामला पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

पुलिस की एक टीम गठित कर राजस्थान रवाना किया गया। बैंक खाताधारक आरोपी विशाल पिता मेघदान जोधपुर की तलाश की गई जो नहीं मिला। बाद में खाताधारक आरोपी सावरलाल जाट पिता हनुमान सहाय की तलाश की गई, जो ब्लूसिटी मॉल के सामने जोधपुर में मिला। उसे पकड़कर उसका नाम पता पूछा तो उसने अपना नाम सावरलाल जाट पिता हनुमान सहाय बताया।आरोपी से घटना के संबंध में पूछताछ करने पर आरोपी ने जुर्म करना स्वीकार किया। आरोपी के पास से बरामद चेक बुक आधार कार्ड एवं मोबाइल फोन बरामद किए।
बाद में पुलिस टीम ने गैंग के तीन और सदस्यों मोहम्मद इमरान, जावेद पिता ईशाक और खलील पिता अब्दुल जब्बार को गिरफ्तार किया गया।

वारदात का तरीका
आरोपियों ने पूछताछ पर बताया कि उनका गैंग है 7-8 लोग हैं जो भोपाल सूखी सेवनिया आउटर क्षेत्र में झोपडी बनाकर रुके थे। मोहम्मद इमरान, मोहम्मद जावेद और खलील होटल तथा रेस्टारेंटों के आसपास घूमते। बुजुर्ग एवं ऐसी महिलाएं जिनको चलने में दिक्कत होती है। आरोपी मोहम्मद इमरान बोलता था कि मेरी माँ को भी पैरों में तकलीफ थी जिसका इलाज मैने वैद्य से कराया है जिससे काफी आराम है चूकि महिलाये बीमारी से काफी परेशान रहती थी जिस कारण उस व्यक्ति से वैद्य के बारे में पूछने पर उनके द्वारा अपने ही साथी का नंबर दे देता, जो अगले दिन वैद्य बनकर अपने साथी नईम का सहयोगी बनकर पीड़ित के घर पहुंचते और फिर ठगी शुरू होती।