NGT Strict:केंद्र ने मांगी MP के 22 नदियों के पुनरुद्धार की रिपोर्ट, NGT की सख्ती

713

NGT Strict:केंद्र ने मांगी MP के 22 नदियों के पुनरुद्धार की रिपोर्ट, NGT की सख्ती

भोपाल: पांच साल पहले मध्यप्रदेश की 22 नदियों को प्रदूषित घोषित करने के बाद एनजीटी ने अब इसको लेकर एक्शन रिपोर्ट मांगी है। राज्य सरकार से इन नदियों के पुनरुद्धार के लिए किए गए काम की रिपोर्ट केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के जरिये मांगी गई है। इसके बाद अब जल संसाधन विभाग ने इसके लिए नियुक्त किए गए नोडल अधिकारियों से ई फ्लो निर्धारित करने के लिए किए गए काम की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है ताकि एनजीटी को जानकारी दी जा सके।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग से कहा है कि एनजीटी की प्रिंसिपल बैंच द्वारा प्रकरण क्रमांक ओए 673/2018 में एमपी की 22 नदियों के पुनरुद्धार के लिए ई फ्लो की कार्यवाही करने को कहा गया था। इसके बाद जनवरी 2020 में प्रदेश की इन 22 नदियों के प्रदूषित क्षेत्रों के पुनरुद्धार के लिए कार्यपालन यंत्री को संबंधित नदी के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया था। पर्यावरण विभाग द्वारा गठित नदी पुनरुद्धार समिति द्वारा इन नदियों में 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत ई फ्लो बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसको लेकर सभी संबंधित कार्यपालन यंत्रियों से अब तक की कार्यवाही की रिपोर्ट देने को कहा गया है।

 *22 नदियों में ये हैं शामिल* 

22 नदियों में जो नदियां शामिल हैं और जल संसाधन विभाग के जिन संभागों के कार्यपालन यंत्रियों को नोडल अधिकारी बनाया गया है उनमें गोहद नदी के लिए ईई जल संसाधन गोहद, बिछिया और टोंस नदी के लिए ईई क्योंटी नहर संभाग रीवा, कुंदा नदी के लिए ईई जल संसाधन खरगोन, कटनी और सिमरार नदी के लिए ईई जल संसाधन कटनी, मलेनी नदी के लिए ईई जल संसाधन रतलाम, मंदाकिनी नदी के लिए ईई जल संसाधन सतना, नेवज नदी के लिए ईई जलसंसाधन शाजापुर नियुक्त हैं। साथ ही बेनगंगा नदी के लिए ईई जल संसाधन सिवनी, सोन नदी के लिए ईई जल संसाधन शहडोल, पार्वती और चोपन नदी के लिए ईई जल संसाधन गुना, कन्हान नदी के लिए ईई जल संसाधन छिंदवाड़ा, क्षिप्रा, चंबल और चामला नदी के लिए ईई जल संसाधन उज्जैन, खान नदी के लिए ईई जल संसाधन इंदौर, कलियासोत नदी के लिए ईई जलसंसाधन भोपाल, ताप्ती नदी के लिए ईई जलसंसाधन बुरहानपुर और बेतवा नदी के लिए ईई जल संसाधन रायसेन संभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

*क्या है ई फ्लो* 

एनजीटी द्वारा ई फ्लो के लिए जो व्यवस्था तय की गई है उसके अनुसार देश की सभी नदियों में एवरेज लियन सीजन फ्लो का 15 से 20 प्रतिशत इन्वायरमेंटल फ्लो (ई फ्लो) बनाए रखना है। इसमें एमपी की 22 नदियों को शामिल किया गया था। इसके लिए डीपीआर में प्रावधान कर काम करने के लिए आदेश किया गया था। प्रदेश की सभी नदियों के बारहमासी नहीं होने से तब नोडल अधिकारियों ने दिक्कत भी बताई थी। शुरुआती कार्यवाही में सिर्फ सात नदियों नेवज, ताप्ती, वर्धा, पोटफोड़ी, पार्वती नदियों में बांधों का पानी छोड़कर फ्लो बनाए रखने की कोशिश हुई थी।