अब हर महीने 2 दिन मुख्यमंत्री शिवराज पढ़ाएंगे स्कूली बच्चों को

राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे में 17वें से 5वें स्थान पर आया मध्यप्रदेश

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भोपाल : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे 2021 में यह तथ्य सामने आया है कि मध्यप्रदेश ने अभिनव कार्य करते हुए देश में पाँचवाँ स्थान प्राप्त किया है।

शिक्षा के क्षेत्र में सुधार स्पष्ट रूप से दिखाई दिया है। नेशनल अचीवमेंट सर्वे प्रति तीन वर्ष में होता है।

इसके पहले वर्ष 2017 में मध्यप्रदेश इस सर्वे में 17वें स्थान पर था। प्रदेश आगामी सर्वे में अव्वल आने के लिए प्रयासरत रहेगा। समाज के जुड़ जाने से हर क्षेत्र में अच्छे परिणाम मिलते हैं। स्कूलों से समाज को जोड़ने के लिए भी अभियान की आवश्यकता है।

नई शिक्षा नीति के बेहतर क्रियान्वयन और शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए भी हम गंभीर हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय सभागार में लर्निंग्स फ्रॉम नेशनल अचीवमेंट सर्वे कार्यशाला का शुभारंभ कर रहे थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कराया जाने वाला राष्ट्रव्यापी शिक्षा सर्वे देश का सबसे बड़ा सर्वे है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर तक विद्यार्थियों के शैक्षणिक स्तर का फीडबैक प्राप्त कर भविष्य के लिए शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है।

कक्षा 3, 5, 8 और 10 के लिए सर्वे में सैंपल आधार पर कार्य हुआ, जिसमें गणित, विज्ञान, पर्यावरण, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी और भाषा की शैक्षणिक उपलब्धियों के स्तर की जाँच की गई।

सर्वे में केन्द्र सरकार के विद्यालयों सहित राज्य सरकार के विद्यालय, प्रायवेट विद्यालय और अनुदान प्राप्त विद्यालय शामिल होते हैं। मध्यप्रदेश की उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार और शिक्षा विभाग की पूरी टीम को बधाई दी।

सरकारी विद्यालय पीछे नहीं हैं

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विद्यार्थियों को तन्मयता से पढ़ाने वाले शिक्षक अच्छे परिणाम लाने में सहायक होते हैं। पारम्परिक ढंग से शिक्षा देने के कार्य से हटकर बच्चों को शिक्षण सामग्री रटवाने के स्थान पर समझाने वाले शिक्षक अपना कार्य आनंद के भाव के साथ करते हैं।

इस तरह की शिक्षा ग्रहण करने पर विद्यार्थी कल का भारत बनाने में सहायक होंगे। पढ़ाते हुए शिक्षक के मन में यदि यह लक्ष्य है कि उसे नई पीढ़ी को तैयार करना है, तो यह कार्य सार्थक हो जाता है।

शिक्षक सिर्फ शिक्षक न होकर गुरू भी होता है, जो विद्यार्थी के जीवन को सँवारने का कार्य करता है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शिक्षकों का अभिनंदन करते हुए कहा कि वे स्वयं शासकीय विद्यालय से पढ़कर निकले हैं। उनके शिक्षक श्री रत्नचंद जैन एक आदर्श शिक्षक रहे हैं।

सभी विद्यार्थी उनका हृदय से सम्मान करते थे। सरकारी विद्यालयों के शिक्षक और विद्यार्थी किसी से पीछे नहीं होते।

कोरोना काल में शिक्षा विभाग ने बच्चों को विभिन्न माध्यमों से शिक्षा देते हुए कुंठित होने से बचाया, इस तरह के नवाचार प्रशंसनीय हैं। इस नई शिक्षा संस्कृति के लिए शिक्षा विभाग बधाई का पात्र है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि स्कूल चलें अभियान के स्वरूप में सुधार करते हुए अधिक उपयोगी बनाने के प्रयास होने चाहिए।

अन्य राज्यों के श्रेष्ठ नवाचारों को अपनाने का भी प्रयास होना चाहिए। स्वस्थ स्पर्धा से कार्य हो, जिससे विद्यार्थियों को लाभान्वित करने में हम पीछे न रहें।

विभिन्न क्षेत्रों के प्रख्यात व्यक्तियों एवं पूर्व विद्यार्थियों को भी वर्ष में एक या दो बार अपने पुराने विद्यालयों से जुड़ाव रखते हुए वहाँ का भ्रमण कर सुविधाओं के विकास में सहयोगी होना चाहिए।

मेरा मन होता है बच्चों को पढ़ाने का

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बच्चों में अनुशासन, परिश्रम, ईमानदारी के गुणों के विकास और अपने लिए ही नहीं सभी के लिए जीने वाले व्यक्ति के रूप में पहचाने जाने को जरूरी बताते हुए कहा कि जन-प्रतिनिधियों और समाज की विभिन्न संस्थाओं को शिक्षा से जुड़कर बच्चों के व्यक्तित्व को आकार देने का प्रयास करना चाहिए।

स्कूलों में हर महीने पालक-शिक्षक बैठक होना चाहिए। हमें शिक्षक की भूमिका भी निभाने के लिए तैयार होना चाहिए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मेरा भी माह में एक या दो बार स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ाने का मन होता है।

कक्षाओं में जाकर बच्चों से चर्चा भी की है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में नई शिक्षा नीति में टॉस्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसमें निरंतर संवाद की प्रक्रिया जारी है।

रैंकिंग व्यवस्था के माध्यम से श्रेष्ठ परफार्मेंस वाले शिक्षकों को पुरस्कृत और सम्मानित करने और एन.सी.सी. जैसे संगठनों के माध्यम से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास निरंतर होना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से किया संवाद

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे से जुड़े शिक्षकों से संवाद भी किया।

उन्होंने पन्ना के शिक्षक श्री जड़िया, देवास की सुश्री शीला मरावी, दमोह के श्री माधव पटेल और गुना के शिक्षक श्री प्रशांत श्रीवास्तव से बातचीत करते हुए सवाल-जवाब से उनके रचनात्मक प्रयासों की जानकारी प्राप्त की।

शिक्षकों ने बताया कि कोविड की वजह से हमारा घर-हमारा विद्यालय के अंतर्गत प्रश्न तैयार कर बच्चों को उनके निवास पर भिजवाए गए।

बच्चों के ज्ञान के स्तर की परख करते हुए अनुत्तरित प्रश्नों के बारे में समझाया गया। दशहरा और दीवाली के साथ अन्य पर्वों पर भी स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति रही।

अनुप्रयोग और कौशल आधारित शिक्षण पद्धति का लाभ बच्चों को दिलवाया गया। शिक्षा विभाग की रणनीति से शैक्षिक संवाद निरंतर होता रहा। राज्य शिक्षा केन्द्र के निर्देशों के पालन के प्रति शिक्षक गंभीर रहे।

रविवार को भी बच्चे पढ़ने आया करते थे। कोई दीवार नहीं थी। पढ़ने और पढ़ाने के कार्य में, आनंद मिलता था। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शिक्षकों का अभिनंदन करते हुए उनके प्रयासों की प्रशंसा की और उन्हें बधाई दी।

स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) और सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान के मंगल नेतृत्व के कारण राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे में मध्यप्रदेश को शीर्ष राज्यों में स्थान मिला है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कोविड की विपरीत परिस्थितियों में डर के माहौल से आगे निकलकर स्कूल खोले जाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया।

दीपावली की छुट्टी के समय भी विभागीय अधिकारियों और शिक्षकों ने अतिरिक्त एवं अधिक परिश्रम किया, जिसके परिणाम के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश को पहचान मिली है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना शासन की प्राथमिकता है। विद्यालयों में विद्यार्थियों को सुविधाओं के साथ ही कैसी शिक्षा देनी है इस पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे में जिन जिलों ने अच्छा प्रदर्शन किया है वे जिले आगामी समय में और अच्छा प्रदर्शन करें, जो जिले निचली पायदान पर आए हैं उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करने और आगामी रणनीति साझा करने के लिए यह कार्यशाला हो रही है।

अब मध्यप्रदेश, राष्ट्रीय स्तर ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक सर्वे की भी तैयारी करेगा।

राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे 2021 : एक नज़र

मध्यप्रदेश को देश के प्रथम 10 राज्यों में स्थान हासिल हो, इसके लिए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने लक्ष्य दिया था, जिसे शिक्षा विभाग ने बेहतर ढंग से पूरा किया और पाँचवें स्थान पर आकर सम्मानजनक स्थिति प्राप्त की।

प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में वातावरण निर्माण में मीडिया एवं अन्य डिजीटल माध्यमों का सहयोग भी प्राप्त हुआ। कोविड की परिस्थितियों में चरणबद्ध तरीके से विद्यालय प्रारंभ किए गए।

प्रदेश के शिक्षक, पालक और समुदाय उत्साहजनक वातावरण से प्रेरित हुए। यू-ट्यूब लाइव द्वारा शिक्षकों का विषयवार एवं कक्षावार सतत् उन्मुखीकरण भी किया गया।

परीक्षा वातावरण से विद्यार्थियों को परिचित कराने के लिए मॉक टेस्ट का उपयोग किया गया। जिलों के अच्छे प्रयासों को साझा करने के लिए मंच उपलब्ध करवाया गया।

जिला टीमों ने विशेष प्रयास किए। विषय शिक्षकों ने कठिन अवधाराणाओं को समझाने के लिए निरंतर प्रयास किए। प्रदेश प्रारंभिक कक्षाओं (कक्षा 3, 5 एवं 8) में देश में पाँचवें क्रम पर रहा है।

कक्षा 3 में 37 जिले, कक्षा 5 और 8 में 33 जिले और कक्षा 10 में प्रदेश के 20 जिले राष्ट्रीय औसत से ऊपर रहे हैं।

प्रमुख सचिव श्रीमती रश्मि अरुण शमी ने उपलब्धि सर्वे के उद्देश्य और इसकी कार्य प्रक्रिया की जानकारी दी। आयुक्त लोक शिक्षण श्री अभय वर्मा, आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र श्री धनराजू एस, संचालक श्री के.के. द्विवेदी उपस्थित थे।

सचिव माध्यमिक शिक्षा मंडल श्री श्रीकांत बनोठ, अपर मिशन संचालक श्री लोकेश जांगिड़ भी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यशाला में प्रदेश के सभी जिलों के डाइट प्राचार्य, जिला परियोजना समन्वयक (समग्र शिक्षा) और सहायक परियोजना समन्वयक (अकादमिक) उपस्थित हुए।

राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे 2021 के विश्लेषण और भावी रणनीति पर प्रस्तुतिकरण के साथ एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई।