नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद अब मध्यप्रदेश के राजनैतिक दलों को 2023 का रण सामने नजर आने लगा है। संगठन की बड़ी बैठकों का सिलसिला शुरू हो चुका है। आक्रामक शैली में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति देखने को मिल रही है। भाजपा की बड़ी बैठक हुई है, तो कांग्रेस की बड़ी बैठक संपन्न होने वाली है। वहीं भाजपा ने प्रदेश कार्यकारिणी बैठक इसी माह पचमढ़ी में होने की सूचना जारी कर दी है। यानि कि अब सारी बैठकों का फोकस 2023 पर है। 2022 के चार माह बचे हैं और फिर 2023 का कड़ी परीक्षा का दौर सामने है। भाजपा के सामने सत्ता में बने रहने की चुनौती है, तो कांग्रेस की निगाह सत्ता पर है और इन दोनों प्रमुख दलों के साथ विकल्प बनने के लिए आम आदमी पार्टी तो मैदान में दिखने की तैयारी में है ही, वहीं दूसरी निगाहें भी विकल्प बनने पर हैं।
भाजपा की बड़ी बैठक हो चुकी है। इसमें बूथ सशक्तीकरण अभियान को असाधारण एवं दूरदर्शी माना गया। चुनाव जीतने की तैयारी के साथ इस अभियान को भाजपा की सत्ता बरकरार रखने का अभियान बताया गया। देश की व्यवस्थाओं में बदलाव और भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए अभियान को जरूरी बताया गया। बूथ सशक्तीकरण अभियान की बैठक में जिला अध्यक्षों, जिला प्रभारियों, सांसदों, विधायकों तथा बूथ विस्तारक अभियान प्रभारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में 2023 को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री एवं प्रदेश प्रभारी शिवप्रकाश, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, अभियान के राष्ट्रीय सह संयोजक लालसिंह आर्य एवं प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद ने अपने मन की बात साझा की। बूथ सशक्तीकरण अभियान तीन चरणों में होगा। पहला चरण 20 अगस्त तक पूरा करना है, जिसमें टोली का चयन, बूथों का चयन और कार्यकर्ताओं में कार्यविभाजन होगा। 21 से 25 अगस्त तक दूसरा चरण होगा, जिसमें राजनीतिक विश्लेषण करना होगा। तीसरा चरण 26 से 31 अगस्त तक चलेगा, जिसमें घर-घर जाकर विभिन्न सरकारी योजनाओं को लाभार्थियों और की वोटर्स से संपर्क करना है। प्रचार और प्रसिद्धि से दूर रहकर काम करना है। तो पार्टी की बड़ी बैठक का लब्बोलुआब यही है कि सत्ता में बने रहने के लक्ष्य पर हर हाल में संधान करना है।
इसके साथ ही यह भी तय हो गया कि 26 अगस्त को प्रदेश कार्यसमिति बैठक पचमढ़ी में होगी। वृहद बैठक में पार्टी के आगामी कार्यक्रम भी साझा किए गए। पार्टी का प्रदेश स्तरीय प्रशिक्षण 24 अगस्त से पचमढ़ी में आयोजित होगा, जो 26 अगस्त को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के साथ संपन्न होगा। 22 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री का भोपाल आगमन और नई शिक्षा नीति पर वैचारिक संगोष्ठी और इससे पहले कुशाभाऊ जयंती पर मंडल तक पार्टी की गतिविधियों का उद्देश्य यही कि सत्ता में बने रहने का लक्ष्य दिखता रहे।
तो कांग्रेस भी 2023 को लेकर सक्रिय है। कमलनाथ मध्यप्रदेश की जनता को यह भूलने नहीं देते कि वापस सत्ता में आने के कितने महीने बचे हैं। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने मोर्चा संभाल लिया है। तो कमलनाथ लगातार कदम बढ़ा रहे हैं 2023 की ओर। सरकार पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। हाल ही में कारम डैम का दौरा कर लौटे हैं। तिरंगा यात्रा जारी है तो महंगाई के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन 23 अगस्त तक चलने वाला है। और बैठकों का सिलसिला जारी है। नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों से कांग्रेस उत्साहित है। पर कमलनाथ शायद 2024 के लिए मोर्चा संभालने की बात का संकेत दे चुके हैं। 2023 में प्रदेश से विदाई की तारीख भी तय कर चुके हैं। कमलनाथ को शायद भरोसा है कि 2023 में सत्ता में लौटकर 2024 का रण संभालेंगे…।
खैर सत्ता में बने रहने की भाजपा की रणनीति और सत्ता में वापसी का कांग्रेस का भरोसा … के बीच बात इतनी सी ही है कि दोनों दलों की निगाहें 2023 के रण पर हैं। बैठकें हो रही हैं और रणनीतियां बन रही हैं…। 2023 तक क्या-क्या बदलाव देखने को मिलते हैं, यह वक्त बताएगा…पर रणनीतियां बदस्तूर जारी रहेंगीं।