OBC Reservation Issue : CM और राज्यपाल आमने-सामने, प्रधानमंत्री को पत्र लिखा!

राज्यपाल ने आरक्षण बिल रोका, इससे हितग्राहियों को नुकसान हो रहा!

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देखिए, CM ने नरेंद्र मोदी को पत्र में क्या लिखा!

Raipur : विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संविधान की नौवीं अनुसूची में आरक्षण के संशोधित प्रावधान को शामिल करने का अनुरोध किया है। उन्होंने नरेंद्र मोदी से OBC आरक्षण बिल के बारे में लिखा कि हम लगातार इसकी मांग कर रहे हैं। हमने इसे विधानसभा से पारित किया है। लेकिन, राज्यपाल इसकी अनुमति नहीं दे रहे।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के मुताबिक, केंद्र सरकार लगातार भर्तियों में रोक लगा रही है। जब राज्य सरकार भर्ती करना चाह रही है, तो हमारा आरक्षण बिल रोका गया है। इससे हितग्राहियों को नुकसान हो रहा है। बघेल ने कहा कि मैं राज्यपाल से फिर आग्रह करता हूं कि या तो इसे वापस करें या अपनी सहमति दें।

प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा

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छत्तीसगढ़ की कुल आबादी में 32% अनुसूचित जनजाति 13% अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के 42% लोग शामिल हैं। राज्य का 44% भाग वनों से आच्छादित है तथा बड़ा भूभाग दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों से घिरा हुआ है। इन सब कारणों से ही राज्य के मैदानी क्षेत्रों को छोड़कर अन्य भागों में आर्थिक गतिविधियां संचालित करने में कड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

रिजर्व बैंक आफ इंडिया की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में गरीबों की संख्या देश में सर्वाधिक (करीब 40% के लगभग) है। अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की सामाजिक आर्थिक तथा शिक्षा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की तरह ही कमजोर है। इन वर्गों के 3/4 भाग कृषक सीमांत एवं लघु कृषक हैं। इनमें से बड़ी संख्या में खेतिहर मजदूर भी है।

राज्य में वर्ष 2013 से अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्यों के लिए क्रमशः 12, 32 एवं 14% (कुल 58%) आरक्षण का प्रावधान किया गया था, जिसे छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2022 में निरस्त किया गया। राज्य की विधानसभा द्वारा दिसम्बर 2022 में पुनः सर्वसम्मति से विधेयक पारित कर विभिन्न वर्गों की जनसंख्या के आधार पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग एवं ईडब्ल्यूएस के लोगों के लिए आरक्षण का संशोधित प्रतिशत 13, 32, 27 और 4% करने का निर्णय लिया। यह विधेयक वर्तमान में महामहिम राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए लंबित है।

सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ द्वारा नवंबर 2022 में ईडब्ल्यूएस के लोगों को 10% आरक्षण देने के निर्णय को आरक्षण देने के निर्णय को वैध ठहराए जाने से आरक्षण की सीमा 50% की सीमा से बनाने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है। विगत माह में झारखंड और कर्नाटक विधानसभा में विभिन्न वर्गों के लिए आरक्षण का प्रतिशत 50 प्रतिशत से अधिक करने के प्रस्ताव पारित किए गए हैं।

यह उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु राज्य जहां प्रति व्यक्ति आय छत्तीसगढ़ से बहुत अधिक है मैं पूर्वोत्तर के अनेक राज्यों में जनजातियों एवं पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण 50% की सीमा से अधिक है। छत्तीसगढ़ राज्य की विशेष परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए संशोधित प्रावधान को संविधान की नवमी अनुसूची में शामिल कराए जाने से ही वंचित एवं पिछड़े वर्गों के लोगों को न्याय प्राप्त हो सकेगा। अनुरोध है कि इसके लिए सर्व संबंधितों को निर्देशित करने का कष्ट करें।