
पहले दिन गिरगिट, दूसरे दिन बीन… अब दिखेगा सत्ता पक्ष का सीन…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
मध्य प्रदेश विधानसभा में इन दिनों विपक्ष की क्रिएटिविटी सबका ध्यान आकर्षित कर रही है। पहले दिन गिरगिट लेकर विधानसभा पहुंचे विपक्षी सदस्यों ने सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया। तो दूसरे दिन बीन बजा कर विपक्ष ने एक बार फिर सत्ता पक्ष को चौंकाने की पुरजोर कोशिश की। विधायक दल की बैठक में बनी रणनीति के मुताबिक विधानसभा सत्र के पहले इन दो दिन कांग्रेस की क्रिएटिविटी प्रभावी नजर आई। हालांकि सत्ता पक्ष पर विपक्ष की यह सृजनात्मक पहल शायद ही कुछ असर डाल पाई हो। अब 29 जुलाई 2025 को हुई भाजपा विधायक दल की बैठक के बाद विधानसभा सत्र के तीसरे दिन सत्ता पक्ष के विधायक भी जवाबी हमले में सुनियोजित तरीके से नजर आएंगे। विपक्ष उमंगित है, तो सत्ता पक्ष भी सदन में मोहन-हेमंत के डबल इंजन की ताकत से ऊर्जित है। गिरगिट और बीन के बाद अब सबकी नजर तीसरे दिन सत्ता पक्ष के सीन पर रहेगी।
मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू करने और जाति आधारित जनगणना में पारदर्शिता के मुद्दे पर प्रदर्शन किया। विधानसभा परिसर स्थित महात्मा गांधी की मूर्ति के सामने नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने प्रदर्शन किया और राज्य सरकार पर ओबीसी वर्ग के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए ‘पल-पल रंग बदलती है, सरकार नहीं यह गिरगिट है’ के नारे लगाए। 27 जुलाई 2025 को हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद विधानसभा सत्र के पहले दिन से ही विपक्ष पूरे रंग में नजर आया।
मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन, 29 जुलाई 2025, नाटकीय और प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन का गवाह बना। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा परिसर में ‘भैंस के आगे बीन बजाने’ का अनोखा प्रदर्शन किया, जिसने न केवल सियासी हलकों में हलचल मचाई, बल्कि सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं बटोरीं। यह प्रदर्शन बीजेपी सरकार की कथित संवेदनहीनता और जनहित के मुद्दों पर उसकी चुप्पी के खिलाफ था।
उमंग सिंघार ने दो टूक कहा, “बीजेपी सरकार अब भैंस की तरह निष्क्रिय और संवेदनहीन हो चुकी है। जैसे भैंस के आगे बीन बजाने से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती, वैसे ही यह सरकार जनता के गंभीर सवालों पर मौन है।”
कांग्रेस पहले दोनों दिन प्रतीकात्मक विरोध और मध्य प्रदेश की सियासत पर इसके प्रभाव को रोचक ढंग से उजागर करती नजर आई। विधानसभा मानसून सत्र के एक दिन पहले कांग्रेस विधायक दल की बैठक में तय हुआ था कि आदिवासियों को जमीन से बेदखल करने, महिला अत्याचार, किसानों को खाद की किल्लत सहित अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरा जाएगा। आदिवासियों, दलितों के साथ ही ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण का मुद्दा भी प्राथमिकता में था। महिला, युवा, किसानों सहित अन्य वर्ग कांग्रेस के एजेंडे में है। सिंघार के मुताबिक भ्रष्टाचार चरम पर है। घोटालों की फेहरिस्त बढ़ रही है, लेकिन सरकार कार्रवाई करने के बजाय विपक्ष की आवाज दबाने, फर्जी मुकदमे लादने की कोशिश में लगी है।
तो मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की मानें तो ‘जिनकी आंखों में तिनका है, वे दुनिया को गंदा देख रहे हैं। इसका कुछ नहीं हो सकता।’ नाम लिए बिना कांग्रेस पर कसा गया मोहन का तंज सरकार की हुंकार ही है। और अब भाजपा विधायक दल की बैठक में सीएम डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के नेतृत्व में हमेशा की तरह कांग्रेस के आरोपों का आक्रामक जवाब देने व अपनों की घेराबंदी से बचने की रणनीति बन चुकी है। हालांकि सत्ता-संगठन की ओर से पहले ही विधायकों को यह संकेत दे दिए गए थे कि सदन के अंदर अपनी ही सरकार को घेरने जैसी स्थिति से बचें। सरकार वैसे भी अपने कामों से विपक्ष को करारा जवाब दे रही है। राज्य विधानसभा में 28 जुलाई 2025 को श्रम संशोधन विधेयक पारित हो गया, जिसे राज्य के श्रम मंत्री प्रह्लाद पटेल ने सदन में पेश किया था। यह कानून महिलाओं को नौकरी के क्षेत्र में अधिक अवसर और समानता प्रदान करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। इसके बाद मध्य प्रदेश में अब महिलाएं रात की शिफ्ट में भी काम कर सकेंगी। वहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा ओबीसी आरक्षण और जातिगत जनगणना का ऐलान भी विपक्ष पर सीधा निशाना है। मंत्रियों ने आंकड़े प्रस्तुत कर बताया कि प्रदेश में निवेश, रोजगार और महिला सशक्तिकरण में तेजी आई है। तो विधानसभा परिसर में लगी सदानीरा प्रदर्शनी सरकार की उपलब्धियां का बखान कर ही रही है।
खैर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 29 जुलाई 2025 को विधानसभा में करीब 55,000 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट पेश किया है। अब सदन में 30 जुलाई 2025 को अनुपूरक बजट पर विस्तृत बहस होनी है, जिसमें दोनों पक्षों की रणनीति और सियासी तेवर और साफ नजर आएंगे। विधायक दल की बैठक के बाद सत्ता पक्ष ने भी पूरी कमर कस ली है। विपक्ष गिरगिट और बीन के बाद तीसरे दिन किसी नए रूप में सामने आ सकता है। तो सरकार ने विपक्ष को करारा जवाब देने के लिए कुछ न कुछ नया सीन क्रिएट करने की रणनीति विधायक दल की बैठक में बनाई भी होगी और उसका असर भी साफ तौर पर नजर आने वाला है…।





