
नक्सलमुक्त मध्य प्रदेश ही होगी आशीष शर्मा को सच्ची श्रद्धांजलि…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
12 मई 2025 को बालाघाट में संपन्न अलंकरण समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के प्रेरणादायी भाषण को आशीष शर्मा ने अपने जीवन में अक्षरशः उतार लिया था। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा था कि अलंकरण समारोह नक्सलियों को सीधा संदेश है कि वे आत्मसमर्पण नहीं करेंगे बल्कि मारे जाएंगे। नक्सलियों का खूनी खेल अब और नहीं चलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सर्वोच्च बलिदान देने वाले 37 वीर पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा था कि जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है, लेकिन मृत्यु ऐसी हो जिस पर देश, प्रदेश और समाज गर्व कर सके। शहीद आशीष शर्मा ने नक्सलियों को सबक सिखाने के लिए अपना बलिदान उसी तरह किया है, जिससे उनकी मृत्यु पर देश, प्रदेश और समाज गर्व कर रहा है। लेकिन आशीष शर्मा की शहादत ने यह साबित कर दिया कि मध्य प्रदेश में नक्सलवाद को खत्म करने में बहुत प्रयास बाकी हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 12 मई 2025 को बालाघाट में यह भी कहा था कि “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में वर्ष-2026 तक देश से नक्सलवाद को समाप्त करने का संकल्प लिया गया है। इसे पूरा करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार भी केन्द्र सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। इसी क्रम में बालाघाट जिले में नक्सल मुठभेड़ में शामिल रहे पुलिस बल, हॉक फोर्स और विशेष सशस्त्र बल के 64 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को प्राथमिकता से पदोन्नति दी गई है। राज्य सरकार के इस महत्वपूर्ण कदम से पुलिसकर्मियों का मनोबल बढ़ेगा। पूर्व पदोन्नति पुलिस इतिहास का एक स्वर्णिम क्षण है।”
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा था कि बालाघाट कभी 12 घोर नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में शामिल था। सरकार की मंशा और पुलिस के प्रयासों से केन्द्र सरकार ने अब बालाघाट को गंभीर समस्या वाली श्रेणी से हटाकर दूसरी श्रेणी में रखा है। बालाघाट में नक्सल गतिविधियों में आई कमी सराहनीय है। पर आशीष शर्मा की शहादत ने एक बार फिर चेतावनी दी है कि बालाघाट में नक्सली समस्या को कम करके नहीं आंका जा सकता है। मध्यप्रदेश को इस बात पर गर्व है कि पुलिस बल, हॉक फोर्स और विशेष सशस्त्र बल का मनोबल नक्सलियों के मंसूबों पर भारी है। लेकिन नक्सलियों को सबक सिखा कर ही यह साबित किया जा सकता है कि नक्सल मुक्त मध्यप्रदेश की सरकार की तैयारी पूरी है। मध्यप्रदेश की धरती पर नक्सलियों को नहीं छोड़ा जाएगा। राज्य सरकार नक्सलियों से निपटने में पूरी तरह सक्षम है। नक्सली आत्मसमर्पण करें अन्यथा उन्हें मार दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने शायद शहीद आशीष शर्मा को कंधा देकर यही संकल्प लिया होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 20 नवंबर 2025 को शहीद आशीष शर्मा के अंतिम संस्कार कार्यक्रम में पहुंचे और शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने पार्थिक देह को कंधा भी दिया।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इंस्पेक्टर आशीष शर्मा ने नक्सल विरोधी अभियान में अदम्य साहस का परिचय देते हुए कर्तव्य पथ पर सर्वोच्च बलिदान दिया है। उन्होंने परिजनों को सांत्वना देते हुए कहा कि आशीष शर्मा की शहादत पर क्षेत्र को गर्व है।
शहीद के परिवार को एक करोड़ रुपये की श्रद्धानिधि दी जाएगी। बोहनी गाँव में शहीद आशीष शर्मा के नाम पर एक पार्क और स्टेडियम भी विकसित किया जाएगा। इससे आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्र प्रेम की प्रेरणा मिलेगी और उनकी स्मृति अक्षुण्ण रहेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शहीद आशीष शर्मा के छोटे भाई को सरकारी नियमों में शिथिलता प्रदान करते हुए उपनिरीक्षक के पद पर नियुक्ति दी जाएगी। यह निर्णय परिवार को सहयोग प्रदान करने, शहीद के अदम्य साहस को सदैव स्मरण रखने तथा जन-जन में देशभक्ति की प्रेरणा देने वाले उनके योगदान को सम्मान देने के उद्देश्य से लिया गया है।
प्रदेश के मुखिया होने के नाते शहीद आशीष शर्मा के प्रति सरकार का और डॉ मोहन यादव का यह भाव सराहनीय है लेकिन यह क्षण उन्हें यह सोचने पर मजबूर भी करते हैं कि आशीष शर्मा को सच्ची श्रद्धांजलि मध्य प्रदेश को नक्सलमुक्त करके ही दी जा सकती है। यह सोचकर कतई संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता है कि बालाघाट में नक्सली खतरा कम हो गया है। शहीद आशीष शर्मा की शहादत ने मध्य प्रदेश सरकार को चेतावनी दी है कि नक्सलियों का सफाया अभी बाकी है… सरकार को नक्सली खतरे को कम करके नहीं आंकना चाहिए। दूसरे राज्यों में
नक्सलियों पर शिकंजा कसने पर मध्य प्रदेश में नक्सली गतिविधियां बढ़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में नक्सलियों से निपटने के लिए हमें और ज्यादा सतर्क और तैयार रहना पड़ेगा… तभी नक्सल मुक्त मध्यप्रदेश हमें गर्व करने की मोहलत देगा। और आशीष शर्मा को सही श्रद्धांजलि तभी होगी जब किसी दूसरे वीर को इस तरह कंधे का सहारा देने की नौबत नहीं आए…।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।





