तब ही यह बन पाएगा गौ पालकों का प्रदेश…

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तब ही यह बन पाएगा गौ पालकों का प्रदेश…

कौशल किशोर चतुर्वेदी
मध्यप्रदेश को देश की डेयरी केपिटल बनाएंगे। पशुपालन एवं डेयरी विभाग का नाम पशुपालन, डेयरी और गौपालन विभाग होगा। राज्य शासन द्वारा इसके लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश नदियों का मायका है। पूरा प्रदेश वनों से आच्छादित है। वर्ष 2002-03 तक पशुपालन विभाग का बजट सिर्फ 300 करोड़ था, जो बढ़कर अब 2600 करोड़ हो गया है। किसी समय प्रदेश में फैट मात्रा के अनुसार दूध खरीदने की व्यवस्था लागू की गई थी। राज्य सरकार ने अमृत समान गौ-माता का दूध खरीदने का निर्णय लिया है, ताकि गौ-पालकों तक लाभ पहुंचे।
यह कहना है मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का। अवसर था 20 जून 2025 को मुख्यमंत्री निवास परिसर में आयोजित राज्य स्तरीय गौशाला सम्मेलन का। सम्मेलन में प्रदेश भर से आए गौ-पालकों और गौ-शाला संचालकों की भागीदारी थी। गौ-शालाओं को 90 करोड़ रुपए की अनुदान राशि अंतरित
की गई। भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के तीन हितग्राहियों को प्रतीक स्वरूप ऋण स्वीकृति आदेश भी दिए गए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गाय का दूध सम्पूर्ण आहार है। राज्य में हाईटैक गौशालाएं संचालित हो रही हैं। सरकार का अर्थ ही यह है कि गरीबों के जीवन से कष्टों का नाश हो और सुख का मार्ग प्रशस्त हो। राज्य सरकार ने गौशाला संचालन के लिए अनुदान राशि 20 रुपए से बढ़कर 40 रुपए प्रति गाय प्रतिदिन की गई है। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड से अनुबंध किया है। प्रदेश का दूध उत्पादन पांच गुना करने का लक्ष्य है। वर्तमान में प्रदेश में साढ़े पांच करोड़ लीटर दूध उत्पादित होता है और इसमें से लगभग आधा घरेलू उपयोग और शेष मार्केट तक पहुंचता है। फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित कर प्रदेश में दुग्ध से समृद्धि के लिए नई योजनाएं बना रहे हैं। दुग्ध उत्पादन और संकलन के कार्य को व्यवस्थित बनाने के लिए समितियों की संख्या भी 9 हजार से बढ़कर 26 हजार करने का संकल्प है। पशुपालन विभाग का नाम बदल कर अब इसे पशुपालन के साथ गोपालन विभाग भी कहा जाएगा। गौ- माता को सम्मान देते हुए इस विभाग के माध्यम से कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जाएंगी। गाय के गोबर से किसान खाद बनाएं, सरकार प्राकृतिक खाद से उत्पादित अनाज का ज्यादा भाव देगी।गायों और अन्य पशुओं के लिए भगवान श्रीकृष्ण समर्पित थे। प्रदेश के हर ब्लॉक में वृंदावन ग्राम बनाए जाएंगे। बच्चों को गाय का दूध मिलेगा तो उन्हें कुपोषण से मुक्ति मिलेगी। बड़ी गौशाला खोलने के लिए राज्य सरकार 125 एकड़ जमीन प्रदान करेगी। वर्तमान बजट में इसके लिए प्रावधान भी किया गया है। जिनके घर गाय है, वे गोपाल है। मुख्यमंत्री निवास आज गौपालकों का निवास हो गया है। जहां गौमाता है, वहीं स्वर्ग है। हमें जन्म भले माता ने दिया है, पहली रोटी का अधिकार गौ-माता का ही है। सनातन संस्कृति में गौमाता का अहम स्थान है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश गौ-पालन से संपन्न बन रहा है। भारत की आत्मा गांवों में बसती है। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने वास्तव में गुजरात में अमूल संस्थान की स्थापना करवाई, हम प्राय: अमूल की प्रगति का श्रेय अन्य लोगों को दे देते हैं। गौ-पालन ऐसा माध्यम है, जो आय प्रदान करता है।
तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और खजुराहो सांसद वीडी शर्मा ने कहा कि गौपालन और गौसेवा मुख्यमंत्री डॉ. यादव के जीवन का हिस्सा है। उन्होंने प्रदेश को पशुपालन में अग्रणी बनाने का लक्ष्य रखा है। यह प्रदेश में इस क्षेत्र का ऐतिहासिक सम्मेलन है। राज्य सरकार ने नेशनल डेयरी विकास बोर्ड के साथ समझौता किया है। कामधेनु योजना से किसानों को गौपालन और डेयरी शुरू करने का अवसर मिलेगा। गौपालन से कृषि क्षेत्र ही नहीं सम्पूर्ण आर्थिक क्षेत्र को मजबूती मिलेगी।
पशुपालन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार लखन पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में प्रदेश में निरंतर गौ संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में 9 अप्रैल 2024 से 29 मार्च 2025 तक गौ संरक्षण वर्ष मनाया गया जिसके अंतर्गत प्रदेश भर में गौ संरक्षण एवं गौ सेवा के कार्य किए गए। सरकार ने प्रदेश में स्वावलंबी गौशालाएं बनाने का निर्णय लिया है। मध्यप्रदेश ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य है। प्रदेश में 30 ऐसे स्थानों को चिन्हित भी कर लिया गया है जहां 5000 से लेकर 25000 तक गोवंश क्षमता वाली स्बावलंबी गौशाला बनाई जाएंगी। ये गौशालाएं हाईटेक होंगी, जहां गायों की देखभाल के लिए सभी आधुनिक सुविधाओं सहित जैविक खाद, सीएनजी गैस उत्पादन आदि के साथ सौर ऊर्जा से बिजली भी बनाई जाएगी। पशुपालन मंत्री ने कहा कि किसानों की आमदनी दोगुना करने में पशुपालन का विशेष स्थान है। गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए पशुओं में नस्ल सुधार आवश्यक है। पशुपालन के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। सरकार ने कामधेनु योजना में 200 गोवंश रखने पर 25 प्रतिशत अनुदान देने का निर्णय लिया है।
खेल एवं सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि गौ-माता की सेवा से पुण्य कार्य कोई नहीं हो सकता है। गौ-माता की सेवा से वैतरणी पार हो जाती है। प्रदेश की समृद्धि के लिए गौ-पालन और गौ-सेवा पर ध्यान देना होगा।
तो जिसने भी जो भी कहा वह सब स्वागत योग्य है और गौ को माता मानने वाले भारत के नागरिकों को आह्लादित करने वाला है। भारत वह देश है जिसकी अर्थव्यवस्था कभी गोवंश पर ही केंद्रित थी। यहां दूधों नहाओ पूतों फलो की कहावत चरितार्थ होती थी। कृषि और गोवंश इन दो आधारों पर ही भारत सोने की चिड़िया बन पाया था। और अगर 21वीं सदी में मध्य प्रदेश में गोपालन इसी तरह फलीभूत होता है जैसी कि मंशा जताई जा रही है तब विश्वास पूर्वक कहा जा सकता है कि किसानों की आय भी बढ़ेगी और मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी समृद्ध होगी। अब जब प्रदेश के मुखिया मोहन यादव कृष्ण और गोवंश के प्रति पूरी तरह से समर्पित है और मध्य प्रदेश को दूध उत्पादन की राजधानी बनाने के लिए संकल्पित हैं। और उस दिशा में योजनाएं बनाने और क्रियान्वित करने की शुरुआत की है। अगर इसमें सफलता मिलती है तब ही मध्य प्रदेश गोपालकों का प्रदेश बन पाएगा और गोवंश के संरक्षण और संवर्धन में मॉडल स्टेट कहलाएगा… हालांकि यह एक दुर्गम लक्ष्य को पाने का मोहन का संकल्प है… उम्मीद यही है कि मोहन सरकार को सफलता मिले और मध्य प्रदेश गोपालक प्रदेश बनकर कीर्तिमान रचे…।