
Padmashri 2025:खरगोन के जगदीश जोशीला को पद्मश्री:निमाड़ी साहित्य में योगदान देने पर होंगे सम्मानित
खरगोन:निमाड़ी भाषा के पहले उपन्यासकार जगदीश जोशीला खरगोन में रहते हैं. विगत पांच दशक से हिंदी और निमाड़ी के लेखन में सक्रीय हैं. उनके लेखन से जुड़ी उल्लेखनीय कृतियां हैं. भलाई की जड़ पत्थल में और गांव की पहचान. पचास से भी ज्यादा एतिहासिक और देशभक्ति नॉवेल, कविताएं और नाटक जगदीश जोशिला ने लिखे हैं. निमाड़ी भाषा को बचाए रखने में इनका विशेष योगदान है. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की औपचारिक घोषणा हो गई है। इसमें निमाड़ के प्रसिद्ध साहित्यकार जगदीश जोशीला को पद्मश्री से नवाजा गया है।वे इसके पूर्व, प्रतिष्ठित ” ज़िरोती सम्मान” गणगौर सम्मान और ईसुरी सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं.
जोशीला ने पुरस्कार की घोषणा के बाद कहा कि यह निमाड़ी और निमाड़ का सम्मान है। इससे निमाड़ी को भाषा का दर्जा दिलाने की मुहिम प्रभावी होगी।
पद्मश्री मिलने पर निमाड़ी गद्य के जनक के रूप में प्रसिद्ध और अखिल निमाड़ लोक परिषद के संस्थापक 76 वर्षीय जगदीश जोशीला ने पद्मश्री से सम्मानित किये जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त की उन्होंने कहा कि यह मूल रूप से मेरी जन्मभूमि निमाड़ और निमाड़ी बोली की उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि बीते तीन दशक में निमाड़ क्षेत्र के करीब 25 विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों को कई पत्र लिखकर निमाड़ी बोली को निमाड़ी भाषा के रूप में मान्यता दिलवाने का अनुरोध किया था, लेकिन समर्पण के अभाव में ऐसा नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद लोकजनपदीय कवियों की बोली पंजाबी, ब्रज, गुजराती, अवधी आदि को भाषा का दर्जा मिला, लेकिन निमाड़ी को भाषा के रूप में मान्यता दिलाने का संघर्ष जारी है।जोशीला ने कहा कि संत सिंगा जी अपने निमाड़ी साहित्य के माध्यम से 500 वर्षों से जीवित हैं, लेकिन हम इसे भाषा की मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। देश में निमाड़ी के एकमात्र उपन्यासकार जगदीश जोशीला का जन्म 3 जून 1949 को मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के गोगावा में एक मजदूर परिवार में हुआ था। गोगावा से ही दसवीं तक की शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने इंदौर से साहित्य विशारद की उपाधि प्राप्त की।