सीमा पर डेरा डाले रहे ‘पार्टी मुखिया’…

244

सीमा पर डेरा डाले रहे ‘पार्टी मुखिया’…

यह शायद ऐसा पहला उपचुनाव होगा, जब मध्यप्रदेश के दोनों महत्वपूर्ण राजनैतिक दलों के मुखिया विधानसभा उपचुनाव की सीमा पर डेरा डाले रहे। ‘विजयपुर विधानसभा उपचुनाव’ ने इस मामले में रिकार्ड बना दिया है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने विजयपुर सीमा पहुंचकर पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया। आरोप लगाया कि विजयपुर में कांग्रेस ने गुंडागर्दी कर लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया है। कांग्रेस की गुंडागर्दी व दबाव की राजनीति का मुंहतोड़ जवाब देने विजयपुर की सीमा पर आया हूं। तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी बोले कि नरेन्द्र मोदी के नए भारत का लोकतंत्र मतदान करने खुलेआम गुंडागर्दी से भरा हुआ है। लोकतंत्र और संवैधानिक परंपराओं की अवमानना कर भाजपा सरकार प्रदेश के चेहरे पर कालिख पुती है,जिसका निशान कभी नहीं मिटेगा। शायद लोकतंत्र का निहितार्थ अब यही है कि ईंट का जवाब पत्थर से देने की ताकत का अहसास एक-दूसरे को करवाया जा सके। उसके बाद जो जीता, वही सिकंदर है। लोकतंत्र की देवी ने शायद ही यह सोचा होगा कि इक्कीसवीं सदी में विपक्ष का शासन-प्रशासन से इतना भरोसा उठ जाएगा कि दलों के मुखिया सीमा पर बैठकर चौकसी करेंगे।

भारतीय जनता पार्टी के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने 13 नवंबर को मतदान के दिन विजयपुर विधानसभा क्षेत्र की सीमा पर पहुंचकर कांग्रेस नेताओं द्वारा चुनाव में की जा रही गुंडागर्दी, अनुचित दबाव की राजनीति और भ्रमित किए जाने के षड्यंत्रों का मुंहतोड़ जवाब दिया। विष्णुदत्त शर्मा को प्रशासन द्वारा चुनाव आचार संहिता के कारण विजयपुर विधानसभा की सीमा पर रोका गया तो नियमों का सम्मान करते हुए उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ वहीं जमीन पर उतरकर चुनाव का हाल जाना। उन्होंने कहा कि “कांग्रेस नेताओं की गुंडागर्दी नहीं चलने दी जाएगी। कांग्रेस की गुंडागर्दी व दबाव की राजनीति का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए मैं विजयपुर की सीमा पर आया हूं। चुनाव को प्रभावित करने के लिए कांग्रेस ने आदिवासियों पर अत्याचार किए। किसी भी आदिवासी भाई बहन पर अत्याचार होगा तो भाजपा उनके साथ खड़ी है। भारतीय जनता पार्टी हमेशा नियमों का पालन करती है, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इसे तोड़ा है उन पर चुनाव आयोग को सख्त कार्रवाई करना चाहिए। शर्मा ने कहा कि चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद भी विजयपुर में कांग्रेस के बाहरी नेता कैसे मौजूद रहे, उन पर मामला दर्ज कर कार्रवाई क्यों नहीं की गई ? तो प्रदेश अध्यक्ष शर्मा ने बुधनी और विजयपुर विधानसभा के मतदाताओं का आभार जताया। विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी विजयपुर के पास रूककर चुनाव को प्रभावित करने का कार्य कर रहे हैं। कांग्रेस जब-जब चुनाव हारती है तब-तब षडयंत्रों का सहारा लेती है। निर्वाचन आयोग जीतू पटवारी के कहने पर नहीं कानून के अनुसार काम करेगा। सवाल किया कि चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद कांग्रेस नेता विजयपुर में कैसे रूके? कांग्रेसियों के खिलाफ एफआईआर कर गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? यह बड़ा प्रश्न चिन्ह है, जिसकी वजह से मुझे विजयपुर की सीमा तक आना पड़ा। कांग्रेस के गुंडागर्दी की राजनीति नहीं चलने दी जायेगी। उन्होंने कहा कि आदिवासियों पर षडयंत्रपूर्वक कांग्रेस ने हमला कराया। कांग्रेस द्वारा षडयंत्रपूर्वक कराए गए हमले में पीड़ित आदिवासियों को न्याय दिलाने के लिए भाजपा उनके साथ खड़ी है।”

तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने विजयपुर और बुधनी के उपचुनाव के मतदान दिवस पर श्योपुर में बैठकर पैनी नजर रखी। कांग्रेस का आरोप था कि विजयपुर में भाजपा नेताओं द्वारा लोकतंत्र की खुलेआम हत्या की जा रही है। इस पर सवाल उठाते हुये पटवारी ने कहा कि “चुनावों में इस तरह की अराजकता का माहौल इससे पहले कभी देखने में मिला आया है कि सत्तापक्ष भाजपा के लोगों द्वारा सीधे साधे आदिवासियों सहित अन्य वर्ग के लोगों को मतदान करने से रोका गया हो। जिसमें शासन और प्रशासन गुलाम बनकर भाजपा के इशारे पर काम कर रहा हो। उपचुनाव में जिस तरह से लोकतंत्र और संवैधानिक परंपराओं की अवमानना कर भाजपा और भाजपा सरकार के चेहरे पर कालिख पुती है, उसका निशान कभी मिटने वाला नहीं है। जिस तरह बुधनी और विजयपुर में लोकतंत्र का मखौल उड़ाया गया है, मतदान करने के लिए मतदाताओं को रोका गया, उन्हें भगाया गया, उनके साथ मारपीट की गई, गोलियां चलाकर घायल किया गया। खुलेआम गुंडागर्दी से भरा हुआ क्या यही है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नये भारत का लोकतंत्र?”

आरोप-प्रत्यारोप और बयानबाजी का दौर चलता रहेगा। पर यह बात सबके मन की है कि लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं है। तो गुंडागर्दी की गुंजाइश कतई नहीं है। राजनैतिक दलों के मुखिया सीमा पर डटे रहें, यह ठीक है। पर उपचुनाव में सीमा पर डटे रहने की वजह यह कतई न हो कि दूसरा दल गुंडागर्दी के चलते मतदान को प्रभावित न कर सके…।