PFI Investigation Start : पुलिस PFI की परतें खोलने में लगी, कई जानकारियां हाथ लगी

629

PFI Investigation Start : पुलिस PFI की परतें खोलने में लगी, कई जानकारियां हाथ लगी

Indore : पांच साल के लिए प्रतिबंधित किए गए PFI संगठन की अब पुलिस परतें उधेड़ रही है। पता चला है कि इंदौर में PFI के 52 पदाधिकारी थे, जबकि पुलिस का दावा है कि इनकी संख्या 70 है। इनमें से हर तीसरे नेता पर कोई न कोई आपराधिक केस दर्ज है। कुछ तो जिला बदर हुए हैं। पुलिस की ख़ुफ़िया की रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर जिले में NAI और ATS के सक्रिय होने के बाद PFI के कई नेता गायब हो गए।
पीएफआई किन लोगों को मदद देने के नाम पर देशद्रोह सिखाता था। जांच एजेंसियां इस बात का पता करने की कोशिश कर रही हैं। साथ ही ये भी जानकारी ढूंढी जा रही है कि इनके पास फंड कहां से आता था। लोकल स्तर के अलावा देश और देश के बाहर से आने वाली मदद को भी जांचा जा रहा है। अब्दुल करीम बेकरीवाला पर तो अपने ही धर्मगुरु पर जानलेवा हमला करने और हिंदू-मुस्लिम दंगे कराने का आरोप है। पीएफआई खुद को गरीब लोगों की मदद करने वाला संगठन बताता रहा हो, लेकिन उसका षड्यंत्र सामने आने के बाद केन्द्र सरकार ने इसे 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया। इस संगठन के नेता लोगों के बीच हिंसा और द्वेष फैलाने का काम रहे थे। एनआईए ने पीएफआई के जिन नेताओं को पकड़ा, उनके इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से पता चला कि वे तकनीकी चीजों से बचने के लिए एप के जरिए जुड़े रहते थे। इंटेलिजेंस डीसीपी रजत सकलेचा ने 70 से अधिक पीएफआई सदस्यों के सक्रिय होने की पुष्टि की है।
लालच के साथ डर बताया
संगठन के स्थापना दिवस (17 फ़रवरी) के मौके पर कार्यालय में पीएफआई का झंडा भी फहराया गया था। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल करीम बेकरीवाला, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कफिल रजा और एक दर्जन से ज्यादा सदस्य मौजूद रहे। पीएफआई ने स्थापना दिवस पर वयस्कों के साथ बच्चों को भी बुलाया था। उन्हें उपहार भी बांटे गए। वयस्कों को संगठन में शामिल होने का लालच दिया और साथ में डर भी बताया था। कहा था कि संगठन से जुड़ने पर उनकी हिंदू विरोधी मामलों में आर्थिक मदद की जाएगी। मुस्लिम बस्तियों में खाने-पीने की व्यवस्था भी की जाती, ताकि वहां के रहवासी संगठन से जुड़ें रहें। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने इसका पूरा रिकॉर्ड जुटा लिया है। एंटी टेरर स्क्वॉड (ATS) भी इस राष्ट्रविरोधी संगठन की हर गतिविधि पर नजर रखती रही है।
भड़काऊ मैसेज वायरल
यह भी जानकारी मिली कि सरकार की नीतियों और छोटी घटनाओं को लेकर मुस्लिम बस्तियों में जाकर सरकार और हिंदुओं के खिलाफ भड़काया जाता था। एक साथ कई जगह इस विरोध को सोशल मीडिया पर वायरल किया जाता था। इसके लिए पीएफआई की सोशल मीडिया टीम और पीएफआई नेता कंटेंट पहले से बनाकर रखते थे। तीन तलाक और अन्य कानूनों को लेकर बड़वाली चौकी और गुलजार कॉलोनी में बड़े स्तर पर प्रदर्शन किए गए थे। इनमें पीएफआई और उससे जुड़े लोगों ने भड़काऊ मैसेज मुस्लिमों तक पहुंचाए। बताया गया कि तीन तलाक और सीएए से मुस्लिम समुदाय को काफी नुकसान होगा। पीएफआई नेताओं की अपील पर कई दिनों तक यह प्रदर्शन जारी रहे। इस दौरान मस्जिदों और व्यापारिक स्थानों से फंडिंग की गई, ताकि विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को मौके पर ही खाने-पीने की व्यवस्था की जा सके।
ऐसे मिली फंडिंग की जानकारी
एनआईए ने अब्दुल खालिद छीपा और जावेद बेलिम पर पिछले दिनों कार्रवाई की थी। जिसमें पता चला कि इंदौर में बिल्डिंग का रिनोवेशन कराने के साथ उसका निर्माण करा रहा है। उनके खातों में फंड के माध्यम से लाखों रुपए आए थे। एनएआई को यह भी जानकारी मिली थी कि अब्दुल खालिद मस्जिदों में जाकर नमाज के पहले फंड इकट्ठा करता था, कई लोग उसकी मदद करते थे। इस फंडिंग का उपयोग ऐसे लोगों की मदद के लिए किया जाता था जो लव जिहाद जैसे विवादों में फंसे हों।

संगठन में शामिल होने के लिए लालच दिया जाता और डराया भी जाता

Indore : पांच साल के लिए प्रतिबंधित किए गए PFI संगठन की अब पुलिस परतें उधेड़ रही है। पता चला है कि इंदौर में PFI के 52 पदाधिकारी थे, जबकि पुलिस का दावा है कि इनकी संख्या 70 है। इनमें से हर तीसरे नेता पर कोई न कोई आपराधिक केस दर्ज है। कुछ तो जिला बदर हुए हैं। पुलिस की ख़ुफ़िया की रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर जिले में NAI और ATS के सक्रिय होने के बाद PFI के कई नेता गायब हो गए।

पीएफआई किन लोगों को मदद देने के नाम पर देशद्रोह सिखाता था। जांच एजेंसियां इस बात का पता करने की कोशिश कर रही हैं। साथ ही ये भी जानकारी ढूंढी जा रही है कि इनके पास फंड कहां से आता था। लोकल स्तर के अलावा देश और देश के बाहर से आने वाली मदद को भी जांचा जा रहा है। अब्दुल करीम बेकरीवाला पर तो अपने ही धर्मगुरु पर जानलेवा हमला करने और हिंदू-मुस्लिम दंगे कराने का आरोप है। पीएफआई खुद को गरीब लोगों की मदद करने वाला संगठन बताता रहा हो, लेकिन उसका षड्यंत्र सामने आने के बाद केन्द्र सरकार ने इसे 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया। इस संगठन के नेता लोगों के बीच हिंसा और द्वेष फैलाने का काम रहे थे। एनआईए ने पीएफआई के जिन नेताओं को पकड़ा, उनके इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से पता चला कि वे तकनीकी चीजों से बचने के लिए एप के जरिए जुड़े रहते थे। इंटेलिजेंस डीसीपी रजत सकलेचा ने 70 से अधिक पीएफआई सदस्यों के सक्रिय होने की पुष्टि की है।

लालच के साथ डर बताया

संगठन के स्थापना दिवस (17 फ़रवरी) के मौके पर कार्यालय में पीएफआई का झंडा भी फहराया गया था। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल करीम बेकरीवाला, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कफिल रजा और एक दर्जन से ज्यादा सदस्य मौजूद रहे। पीएफआई ने स्थापना दिवस पर वयस्कों के साथ बच्चों को भी बुलाया था। उन्हें उपहार भी बांटे गए। वयस्कों को संगठन में शामिल होने का लालच दिया और साथ में डर भी बताया था। कहा था कि संगठन से जुड़ने पर उनकी हिंदू विरोधी मामलों में आर्थिक मदद की जाएगी। मुस्लिम बस्तियों में खाने-पीने की व्यवस्था भी की जाती, ताकि वहां के रहवासी संगठन से जुड़ें रहें। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने इसका पूरा रिकॉर्ड जुटा लिया है। एंटी टेरर स्क्वॉड (ATS) भी इस राष्ट्रविरोधी संगठन की हर गतिविधि पर नजर रखती रही है।

भड़काऊ मैसेज वायरल

यह भी जानकारी मिली कि सरकार की नीतियों और छोटी घटनाओं को लेकर मुस्लिम बस्तियों में जाकर सरकार और हिंदुओं के खिलाफ भड़काया जाता था। एक साथ कई जगह इस विरोध को सोशल मीडिया पर वायरल किया जाता था। इसके लिए पीएफआई की सोशल मीडिया टीम और पीएफआई नेता कंटेंट पहले से बनाकर रखते थे। तीन तलाक और अन्य कानूनों को लेकर बड़वाली चौकी और गुलजार कॉलोनी में बड़े स्तर पर प्रदर्शन किए गए थे। इनमें पीएफआई और उससे जुड़े लोगों ने भड़काऊ मैसेज मुस्लिमों तक पहुंचाए। बताया गया कि तीन तलाक और सीएए से मुस्लिम समुदाय को काफी नुकसान होगा। पीएफआई नेताओं की अपील पर कई दिनों तक यह प्रदर्शन जारी रहे। इस दौरान मस्जिदों और व्यापारिक स्थानों से फंडिंग की गई, ताकि विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को मौके पर ही खाने-पीने की व्यवस्था की जा सके।

ऐसे मिली फंडिंग की जानकारी

एनआईए ने अब्दुल खालिद छीपा और जावेद बेलिम पर पिछले दिनों कार्रवाई की थी। जिसमें पता चला कि इंदौर में बिल्डिंग का रिनोवेशन कराने के साथ उसका निर्माण करा रहा है। उनके खातों में फंड के माध्यम से लाखों रुपए आए थे। एनएआई को यह भी जानकारी मिली थी कि अब्दुल खालिद मस्जिदों में जाकर नमाज के पहले फंड इकट्ठा करता था, कई लोग उसकी मदद करते थे। इस फंडिंग का उपयोग ऐसे लोगों की मदद के लिए किया जाता था जो लव जिहाद जैसे विवादों में फंसे हों।