

Plastic-Free kitchen : प्लास्टिक के कारण 3.5 लाख हृदय रोग से मौतें, हर साल बढ़ रहा खतरा
डॉ. तेज प्रकाश व्यास
प्लास्टिक को एक ऐसी सामग्री के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें एक आवश्यक घटक होता है, बड़े आणविक भार वाला एक कार्बनिक पदार्थ। इसे लंबी कार्बन श्रृंखलाओं वाले पॉलिमर के रूप में भी परिभाषित किया जाता है।प्लास्टिक शब्द ग्रीक भाषा में ‘प्लास्टिकोस’ शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है ‘ढालना’ । जीवाश्म ईंधन में हाइड्रोजन और कार्बन (हाइड्रोकार्बन) युक्त यौगिक होते हैं जो लंबे बहुलक अणुओं के निर्माण खंड के रूप में कार्य करते हैं। इन निर्माण खंडों को मोनोमर्स के रूप में जाना जाता है, वे एक साथ जुड़कर लंबी कार्बन श्रृंखला बनाते हैं जिन्हें पॉलिमर कहा जाता है।आज इस प्लास्टिक ने हमारे घर का हर कवर कर लिया है,यह सस्ता और वजन में हल्का होता है। इसीलिए इसका उपयोग बढ़ता चला गया। डिब्बे,बोतल,लंच बॉक्स, स्टोरेज कंटेनर ,प्लेटें चारों तरफ इसका बोलबाला है। प्लास्टिक माइक्रोप्लास्टिक स्वरूप में अपने हानिकारक रसायन हमारे भोजन , पानी और हवा के माध्यम से धीमे जहर के रूप में मानव शरीर में प्रवेश कर रहा है। हृदयाघात मस्तिष्काघात , पैरालिसिस और मृत्यु दायक सिद्ध है।
पतली प्लास्टिक की थैली की चाय तो जहर का प्याला है ।बचिए, ऐसी चाय पीने से 100% बचिए।सारे प्लास्टिक किचन , फ्रिज से निकाल कर डस्ट बिन में डालिए। कांच के बर्तन या स्टील पात्र का उपयोग कीजिए।
लेखक का विनम्र सुझाव है कि प्लास्टिक विहीन कीजिए , फ्रिज और रसोईघर को, आज से अभी से ही।आप एडिबल ऑयल को प्लास्टिक पात्र से तुरन्त स्टील या कांच के पात्र में स्थानांतरित कीजिए।माइक्रोप्लास्टिक के हानिकारक रसायन हमारे भोजन , पानी और हवा के माध्यम से धीमे जहर के रूप में कार्य कर हैं, और मानव शरीर में निरन्तर प्रविष्ट हो रहे हैं । हृदयाघात , मस्तिष्काघात, पैरालिसिस और मृत्यु दायक शुद्ध हो रहे हैं । सारे प्लास्टिक किचन , फ्रिज से निकाल कर डस्ट बिन में डालिए। कांच के बर्तन और स्टील का उपयोग कीजिए।पीने के पानी के लिए तांबे के पात्र का उपयोग कीजिए। तांबे में कतई ऑक्सीडेशन न आवे, काला न हो तांबा। प्रतिदिन मांजकर तांबे को उजला कर ही पात्र उपयोग कीजिए।मानव हृदय, मानव शरीर में बहते हुए रक्त में तथा मानव मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक क्रमशः जमा हो रहा है, जो मृत्यु का कारण बन रहा है।
विज्ञान है प्रमाण:
लैंसेट के एक अध्ययन में पाया गया है कि अकेले 2018 में प्लास्टिक के कारण दुनिया भर में 3.56 लाख से अधिक हृदय संबंधी मौतें हुईं, विशेष रूप से 55 से 64 वर्ष की आयु के लोगों में।
प्लास्टिक के कण हृदय की धमनियों में सूजन पैदा कर सकते हैं, जिससे समय के साथ दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।2018 में दुनिया भर में डीईएचपी के संपर्क में आने से 3 लाख से अधिक हृदय संबंधी मौतें हुईं
प्लास्टिक के कण हृदय की धमनियों में सूजन पैदा कर सकते हैं।भारत में हृदय संबंधी बीमारियों से 1 लाख से अधिक मौतें हुईं हैं।लैंसेट के एक अध्ययन के अनुसार , घरेलू प्लास्टिक वस्तुओं में पाए जाने वाले रसायन, एक वर्ष में दुनिया भर में हृदय रोग से होने वाली 3.5 लाख से अधिक मौतों का कारण बनते हैं।
अमेरिका में एनवाईयू लैंगोन हेल्थ के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए इस अनुसंधान में डीईएचपी (डाइ-2-एथिलहेक्सिल फथलेट) नामक एक प्रकार के रसायन पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसका उपयोग खाद्य कंटेनरों, पाइपों, सौंदर्य प्रसाधनों, कीटनाशकों और यहां तक कि चिकित्सा उपकरणों में प्लास्टिक को नरम और लचीला बनाने के लिए किया जाता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, डीईएचपी के संपर्क में आने से अकेले 2018 में वैश्विक स्तर पर 3.56 लाख से अधिक हृदय संबंधी मौतें हुईं, विशेष रूप से 55 से 64 वर्ष की आयु के लोगों में।
टीम ने 200 देशों के स्वास्थ्य सर्वेक्षणों और मूत्र परीक्षणों का उपयोग करके लोगों के DEHP के संपर्क का अनुमान लगाया । फिर उन्होंने इस डेटा की तुलना वैश्विक शोध संगठन, इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के मृत्यु रिकॉर्ड से की।
इस प्रकार के प्लास्टिक रसायन से जुड़ी हृदय रोग से होने वाली मौतों का यह पहला वैश्विक अनुमान है।
एशिया और मध्य पूर्व में उच्च मृत्यु दर
अध्ययन में पाया गया कि दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया, प्रशांत और मध्य पूर्व के देश सबसे अधिक प्रभावित हैं, और इन क्षेत्रों में इन रसायनों से जुड़ी लगभग 75% मौतें हुई हैं।
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अंतरराष्ट्रीय प्रकृति निधि संरक्षण संघ, ग्लैंड स्विट्जरलैंड की ओर से भारतीय उपमहाद्वीप के प्रकृति , पर्यावरण वन्य जीव वैज्ञानिक
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