World’s Most Expensive Tea: 9 करोड़ रुपये में सिर्फ एक किलो मिलती है ये चायपत्ती!

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World’s Most ExpensiveTea: 9 करोड़ रुपये में सिर्फ एक किलो मिलती है ये चायपत्ती!

दुनिया भर में कई तरह के फ्लेवर्स की चाय मिलती हैं,  जिन्हें पीने के बाद स्वाद का मजा ही कुछ और होता है, लेकिन क्या कभी आपने दुनिया की सबसे महंगी चाय की पत्तियों के बारे में सुना है? आज हम आपको दुनिया की सबसे महंगी चाय की पत्तियों के बारे में बताएंगे, जिसकी कीमत जानकर आपके भी होश उड़ जाएंगे। दुनिया की सबसे महंगी चाय (Costliest Tea of World) की पत्ती चीन में मिलती है। इसका नाम डा-होंग पाओ टी (Da-Hong Pao Tea) है। ये इतनी महंगी है कि इतनी कीमत में आप कई फ्लैट खरीद सकते हैं। आप कई लग्जरी गाड़ियां खरीद सकते हैं। इसे हेल्थ के लिए काफी अच्छा माना जाता है। ऐसे दावे किए जाते हैं कि इसे पीने से गंभीर बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं।

चायपत्ती, जिसे आमतौर पर चाय की पत्तियां कहा जाता है, एक ऐसी सामग्री है जिसका उपयोग चाय बनाने के लिए किया जाता है। यह कैमेलिया साइनेन्सिस पौधे की पत्तियों से प्राप्त होती है. चायपत्ती का उपयोग न केवल एक पेय के रूप में किया जाता है, चाय की एक चुस्की हमारे भीतर किस तरह से ताजगी भर देती है, इसका अनुभव हम रोज ही करते हैं। चाय के बाजार पर चल रही चर्चा के बीच यह जानना रोचक होगा कि भारत चाय उत्पादन में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। चीन पहले स्थान पर है. 

बात करते हैं चीन में मिलने वाली डा-होंग पाओ टी की। इस चाय पत्ती का नाम दुनिया में मिलने वाली सबसे महंगी चाय की पत्तियों में शुमार है। इसकी कीमत 9 करोड़ रुपए प्रति किलोग्राम है। डा-होंग पाओ की खेती चीन के फुजियान के वूईसन इलाके में की जाती है। इस चाय पत्ती के कई सारे लाभकारी गुण हैं, जिसे शायद ही आप जानते होंगे।

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स्वास्थ्य के लिए ये चायपत्ती काफी लाभदायक होती है। यही एक बड़ी वजह है, जिसके चलते इसको जीवनदायिनी भी कहा जाता। कई प्रकार की गंभीर बीमारियां इसके सेवन से ठीक होती हैं। खेती के दौरान डा-होंग पाओ की पत्तियों की पैदावार काफी कम मात्रा में होती हैं और इसकी पत्तियां दुनिया में काफी दुर्लभ भी हैं। यही एक बड़ा कारण है, जिसके चलते इस चायपत्ती की कीमत 9 करोड़ रुपए प्रति किलोग्राम है। इस चाय पत्ती की खेती विशेष तरह से की जाती है, जिसमें मेहनत और ध्यान दोनों लगता है,और इसके पौधे उपलब्ध नहीं होपाते  हैं।

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डा-होंग पाओ टी की पत्तियों के इतिहास पर गौर करें, तो इसकी खेती की शुरुआत चीन के मींग शासन के समय में शुरू हुई थी। चीनी लोगों का कहना है कि उस दौरान मींग शासन की महारानी अचानक बीमार हो गई थी। उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई थी और महारानी के बचने की संभावना काफी कम थी। उन पर किसी भी दवा का असर नहीं हो रहा था।इसके बाद उन्हें डा-होंग पाओ चाय पीने के लिए कहा गया। उन्होंने इसे पीया और पीने के कुछ ही दिनों के बाद वह ठीक हो गईं। महारानी के ठीक होने के बाद राजा काफी खुश हुए और उन्होंने आदेश दिया कि इस खास तरह की चाय की पत्तियों की खेती की जाए। राजा के लंबे चोंगे के नाम पर ही इस चायपत्ती का नाम डा-होंग पाओ पड़ा।

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इस चायपत्ती के इतना महंगा होने की वजह है इसका आसानी से न मिलना। चीन में इसके अभी सिर्फ 6 प्लांट ही बचे हैं। इनसे भी साल भर में बहुत ही कम मात्रा में ये चायपत्ती मिल पाती है। डा-होंग पाओ टी (Da-Hong Pao Tea) की पत्तियां काफी कम मात्रा में होती हैं। ऐसे में इसकी ओरिजनल पत्तियां काफी महंगी आती है। कई जगहों पर इस पत्ती के 10 ग्राम के लिए लोग 10 से 20 लाख रुपये तक चुकाते हैं। सिर्फ एक ही ख़ास पेड़ से इसकी पत्तियां चुनी जाती है। आम चायपत्ती की तरह इसकी खेती नहीं की जाती है। चीन इसकी पत्तियों का सौदा कर अच्छा मुनाफ़ा कमाता है।कई प्रकार की गंभीर बीमारियां इसके सेवन से ठीक होती हैं। खेती के दौरान डा-होंग पाओ की पत्तियों की पैदावार काफी कम मात्रा में होती हैं और इसकी पत्तियां दुनिया में काफी दुर्लभ भी हैं। यही एक बड़ा कारण है, जिसके चलते इस चायपत्ती की कीमत 9 करोड़ रुपए प्रति किलोग्राम है। इस चाय पत्ती की खेती विशेष तरह से की जाती है, जिसमें मेहनत और ध्यान दोनों लगता है।

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