Politics of Royals : राजघरानों के जुड़े भाजपा उम्मीदवारों ने बाजी मारी, पर कांग्रेस पिछड़ी!
Jaipur / Bhopal : राजस्थान विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे समेत अलग-अलग राजघरानों के छह सदस्यों ने चुनाव लड़ा। इनमें से पांच सदस्य भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे थे। एक सदस्य ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। इनमें से एक को छोड़कर बाकी सभी जीत गए। जबकि, मध्यप्रदेश में राज घरानों से जुड़े चार उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, इनमें दो पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे जयवर्धन सिंह और अजय सिंह ने चुनाव जीता।
■ ग्वालियर राजघराने से ताल्लुक रखने वाली और राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की झालरापाटन विधानसभा सीट से इस बार भी चुनाव जीत गई। 1985 में पहली बार चुनाव लड़ने वाली सिंधिया अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विदेश राज्य और कार्मिक मंत्रालय जैसे विभागों का जिम्मा भी संभाल चुकी हैं। मुंबई के मशहूर सोफिया कॉलेज से पढ़ीं वसुंधरा को किताबें पढ़ने का शौक है। धर्म-अध्यात्म से लेकर मर्डर मिस्ट्री तक पढ़ना पसंद करती हैं।
■ जयपुर राजघराने से ताल्लुक रखने वाली दीया कुमारी ने जयपुर की विद्याधर नगर विधानसभा सीट जीत ली। 52 साल की दीया कुमारी जयपुर के आखिरी महाराजा मानसिंह (द्वितीय) की पोती हैं। वे पहले भी विधायक रह चुकी हैं और इस बार उन्हें सांसद रहते हुए भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा था। लंदन से फाइन आर्ट्स व डेकोरेटिव पेंटिंग में डिप्लोमा हासिल करने वाली दीया कुमारी जयगढ़ फोर्ट और अंबर फोर्ट की मालकिन हैं।
■ कोटा के राजपरिवार की बहू कल्पना देवी राजस्थान की लाडपुरा सीट से चुनाव जीती हैं। 2018 में कल्पना देवी ने भाजपा के टिकट पर इसी सीट से पहली बार चुनाव लड़ा था और 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी। कल्पना देवी के पति इज्यराज सिंह कट्टर कांग्रेसी रहे हैं। कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज कर लोकसभा में भी पहुंचे थे। 2018 में कांग्रेस से नाराजगी के बाद वे भाजपा में शामिल हो गए थे। राजस्थान विधानसभा चुनाव में कोटा जिले की लाडपुरा विधानसभा सीट से कल्पना देवी दूसरी बार निर्वाचित हुईं। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार नईमुद्दीन गुड्डू को 25,522 वोटों से शिकस्त दी। कल्पना देवी कोटा राजघराने से जुड़ी हैं। वे पूर्व महाराव और पूर्व सांसद इज्यराज सिंह की पत्नी हैं। दोनों ही 2018 के चुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।
■ बीकानेर के राज परिवार से ताल्लुक रखने वाली सिद्धि कुमारी भी विधानसभा चुनाव में ताल ठोकी। उनकी चंबा के तत्कालीन शासक राजा लक्ष्मण सिंह की पुत्री पद्मावती की बीकानेर के तत्कालीन महाराजा करणी सिंह बहादुर के पुत्र नरेंद्र सिंह बहादुर से शादी हुई। सिद्धि कुमारी पद्मावती की बेटी हैं और चुनावी समर में चौथी मर्तबा भाजपा के टिकट पर प्रचंड मतों से जीत हासिल की। सिद्धि कुमारी 2008 से लगातार बीकानेर (पूर्व) सीट से जीतती आ रही हैं।
■ महाराणा प्रताप के वंशज और मेवाड़ राजघराने से ताल्लुक रखने वाले विश्वराज सिंह ने मेवाड़ की नाथद्वारा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपी जोशी को हराया। वे इसी साल भाजपा में हुए थे। विश्वराज सिंह के पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ भी 1989 में चित्तौड़गढ़ से भाजपा के टिकट सांसद बने थे।
■ भरतपुर के अंतिम महाराजा बृजेंद्र सिंह के बेटे विश्वेंद्र सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर डीग कुम्हेर सीट से चुनाव लड़ा, पर भाजपा उमीदवार डॉ शैलेंद्र सिंह से चुनाव हार गए। विश्वेंद्र सिंह की गिनती राजस्थान के सबसे अमीर उम्मीदवारों में होती है। वे 3 बार भाजपा के टिकट पर सांसद रह चुके हैं और दो बार केंद्रीय मंत्री भी रहे। 2008 में कांग्रेस में आए और गहलोत सरकार में मंत्री भी रहे।
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मध्य प्रदेश के राजा-महाराजा
■ मध्य प्रदेश की राघोगढ़ राजघराने से ताल्लुक रखने वाले दिग्गज कांग्रेसी दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह ने राघोगढ़ सीट से अपनी किस्मत आजमाई और चुनाव जीत गए। 2013 और 2018 में भी वे राघोगढ़ से जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे। लेकिन, इस बार जीत का अंतर पहले की तुलना में बहुत कम रहा।
■ इसी परिवार के और दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने चाचौड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, पर वे हार गए। वे एक बार से भी चुनाव लड़े थे। लक्ष्मण सिंह का राजनीति में पदार्पण 1990 में हुआ। चाचौड़ा सीट पर नौ बार कांग्रेस का और तीन बार भाजपा का कब्ज़ा रहा है। चाचौड़ा सीट हमेशा से चर्चाओं में रही है। इसी विधानसभा सीट से दिग्विजय सिंह ने भी उपचुनाव लड़कर मुख्यमंत्री बने थे।
■ रीवा राजघराने से ताल्लुक रखने वाले दिव्यराज सिंह सिरमौर सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे। कभी दिग्विजय सिंह की कैबिनेट में मंत्री रहे दिव्यराज के खिलाफ कांग्रेस ने आदिवासी समुदाय से आने वाले राम गरीब को उतारा था। उन्होंने बसपा के वीडी पांडे को हराया।
■ विंध्य क्षेत्र के चुरहट राजघराने से ताल्लुक रखने वाले अजय सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुरहट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत भी गए। अजय के पिता अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अजय सिंह को पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार उन्होंने शारदेन्दु तिवारी को हरा दिया।
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