

Politics over Illegal Hoardings : अवैध होर्डिंग की सियासत पर गर्माया रतलाम, करोड़ों रुपए राजस्व देने वाली फर्म बनी निशाना!
रमेश सोनी की विशेष रिपोर्ट
Ratlam : मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में देशभर में विख्यात डी पी ज्वैलर्स के आग्रह पर देश के प्रतिष्ठित संत बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र शास्त्री विगत सप्ताह रतलाम आएं थे जिनके आगमन से पहले समूचा शहर सजाया गया था और विशेषकर चौराहों-चोराहों पर धीरेन्द्र शास्त्री के होर्डिंग्स और बेनर लगाएं गए थे। इस धार्मिक आयोजन के भीषण गर्मी के चलते भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु साक्षी बने थे।
इस धार्मिक आयोजन की अपार सफलता के बाद कुछ असंतुष्टों ने आयोजक को मोहरा बनाया और निगम द्वारा आयोजक डी पी ज्वेलर्स को एक लाख रुपए से अधिक राशि का जुर्माना नोटिस जारी किया गया और बस यह शहर में असंतुष्टों के लिए यह मुद्दा बन गया।
अब हम बात करें डी पी ज्वैलर्स की तो क्या जो आयोजनकर्ता एक प्रतिष्ठित संत को लाने के लिए वह सब फार्मलिटिज पुरी करता हैं जिसमें बागेश्वर धाम से रतलाम पंहुचने की समूची प्रक्रिया और उनकी शर्तों को पूरा करने के बाद रतलाम की एक छोटी सी निगम की प्रक्रिया पुर्ण करने में क्या दिक्कत थी। अमूमन एक सफल आयोजन आखिर असंतुष्टों की आंखों की किरकिरी बना और शहर में आरोप की भेंट चढ़ गया वैसे बता दें कि देश के ख्यातनाम और भारत-भर में अपनी शुद्धता की साख से पहचान बनाने वाला डी पी ज्वेलर्स किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। नगर निगम द्वारा अवैध होर्डिंग्स लगाने के आरोप में डी पी ज्वेलर्स को नोटिस जारी किया गया। वहीं संस्थान के डायरेक्टर अनिल कटारिया का कहना है की हमने इंदौर की एडवरटाइजिंग एजेंसी को पूरा कॉन्ट्रैक्ट दिया था सारी जवाबदारी एजेंसी की हैं इसमें हमारा कोई लेना-देना नहीं है।
क्या शहर में पहली बार होर्डिंग लगें और लगें तो कितने राजनेताओं के रतलाम आने पर शहर को सजाया संवारा जाता हैं और किसी भी आयोजन में किसी पर भी जुर्माना लगाया जाने की बात क्यों नहीं उछली और इस धार्मिक आयोजन को आखिरकार क्यों निशाना बनाया जा रहा हैं यदि कोई नियम-कानून का उल्लंघन हुआ हैं तो निगम द्वारा नोटिस देना उचित हैं परंतु क्या यही सख्ती नगर निगम उन राजनीतिक दलों, नेताओं, पहलवानों और अन्य संस्थाओं पर भी दिखाता है जो आए दिन बिजली के खंभों, सार्वजनिक दीवारों और अन्य नगर निगम की संपत्तियों पर बिना अनुमति बैनर, पोस्टर और होर्डिंग्स लगा देते हैं?
क्या निगम ने कभी किसी राजनीतिक दल या नेता या पहलवान या किसी धार्मिक संस्था को आज तक नोटिस जारी किया गया? क्या नगर निगम ने समय-समय पर कभी यह पड़ताल कि, हैं की ऐसे पोस्टर और बैनर लगाने के लिए अनुमति ली गई थी या नहीं? यदि नहीं तो फिर यह स्पष्ट रूप से दर्शाता हैं कि नगर निगम की कार्यवाहीं चुनिंदा लोगों और संस्थाओं तक ही सीमित हैं।
शहर को सैकड़ों की संख्या में रोजगार देने वाले और सरकार को करोड़ों का राजस्व देने वाले किसी प्रतिष्ठान संस्थान की इमेज से खिलवाड़ तो नहीं हो रहा। इसके अतिरिक्त एक और चिंताजनक बात यह है कि ज्वेलर्स को नोटिस देना तो एक प्रशासनिक प्रक्रिया हो सकती है, इससे उस संस्था की प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल असर पड़ सकता हैं जो पहले से ही नगर निगम को राजस्व प्रदान कर रही हैं।
तो क्या यह समझा जाए कि नगर निगम सिर्फ उन्हीं पर कार्यवाहीं करता हैं जो कानून का पालन करते हुए किराया अदा करते हैं और समूची प्रशासनिक शर्तों को पूरा करते हैं जबकि राजनीतिक और प्रभावशाली संस्थाओं को खुली छूट दे रखी हैं?? निगम प्रशासन का कानून सबके लिए बराबर है तो कार्यवाहीं भी सब पर समान रूप से होना चाहिए वह भी बिना किसी भेदभाव के!
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