Post of Deputy CM is not Violation of Constitution : डिप्टी सीएम पद संविधान का उल्लंघन नहीं, SC में याचिका खारिज! 

कोर्ट ने कहा 'यह सिर्फ एक पदनाम, उपमुख्यमंत्री कहने से दर्जा नहीं बदलता!

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Post of Deputy CM is not Violation of Constitution : डिप्टी सीएम पद संविधान का उल्लंघन नहीं, SC में याचिका खारिज! 

 

New Delhi : राज्यों में उपमुख्यमंत्री (Deputy CM) बनाया जाना संविधान का उल्लंघन नहीं है। यह टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दायर याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने आज उपमुख्यमंत्री नियुक्त करने के चलन को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह चलन संविधान का उल्लंघन नहीं करता है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने ‘पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी’ की तरफ से दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक पदनाम है। भले ही आप किसी को उपमुख्यमंत्री (Deputy CM) कहें इससे दर्जा नहीं बदलता।

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि सबसे पहले जरूरी बात यह है कि एक उपमुख्यमंत्री राज्य सरकार में मंत्री होता है और इससे संविधान का उल्लंघन नहीं होता। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील ने कहा कि राज्य उपमुख्यमंत्री नियुक्त करके गलत उदाहरण पेश कर रहे हैं। यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है। पीठ ने कहा कि ऐसी नियुक्तियां किसी संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं करतीं।

पीठ ने कहा कि उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति कुछ राज्यों में पार्टी या सत्ता में पार्टियों के गठबंधन में वरिष्ठ नेताओं को थोड़ा अधिक महत्व देने के लिए अपनाई जाने वाली एक प्रथा है, यह असंवैधानिक नहीं है। इस याचिका को खारिज करते हुए, कहा गया कि संविधान के तहत डिप्टी सीएम, आखिरकार मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद के सदस्य हैं।

याचिका में क्या कहा गया था?

दूसरी तरफ याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी ओर से तर्क दिया कि राज्य उपमुख्यमंत्री की नियुक्ति करके एक गलत उदाहरण स्थापित कर रहे हैं, जो उन्होंने कहा कि संविधान में कोई आधार होने के बिना ऐसा किया गया था। वकील ने कहा कि संविधान में ऐसा कोई अधिकारी निर्धारित नहीं है, ऐसी नियुक्तियां मंत्रिपरिषद में समानता के नियम का भी उल्लंघन करती हैं।

कोर्ट ने कहा ‘याचिका में दम नहीं’

पीठ ने जवाब दिया कि एक उपमुख्यमंत्री, एक मंत्री ही होता है। उपमुख्यमंत्री किसी भी संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता। खासकर इसलिए कि किसी को विधायक होना चाहिए। यहां तक कि अगर आप किसी को डिप्टी सीएम भी कहते हैं, तब भी यह एक मंत्री का संदर्भ है। कोर्ट ने कहा कि उपमुख्यमंत्री का पदनाम उस संवैधानिक स्थिति का उलंघन नहीं करता है कि एक मुख्यमंत्री को विधानसभा के लिए चुना जाना चाहिए। लिहाजा इस याचिका में कोई दम नहीं है।