प्राजक्ता एक पुष्प-कविता
प्राजक्ता एक पुष्प देने वाला वृक्ष है। इसे हरसिंगार, शेफाली, शिउली आदि नामो से भी जाना जाता है। इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है। इसका वानस्पतिक नाम ‘निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस’ है। पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यह पूरे भारत में पैदा होता है। यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है।
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प्राजक्ता
तुम कृति ईश्वर की।
सतह इतनी कठोर !
पर जब उस पर इतने हौले से बिखरती हो,
लगता है कि उसे सतह को कोई चोट अपनी ओर से नहीं देना चाहती हो।
मेरे देश के माटी और तुम्हारी गंध मिलकर अति, अति सुगंधित हो जाती हो।
फैलाती हो चहु और अपनी छटा, उस काली सी सतह पर, अपने सुंदर श्वेत और केसरिया रंग से।
तब तुम उसे चित्रकार की तूलिका कि सुंदर कृति बन जाती हो।
प्राजक्ता, बिखर जाती हो उसे राह पर इतनी सरलता से ,की राहगीर अगर कोई उसे पर से गुजरे तो चोट उसके कोमल पदों पर न पहुंचे।
यह तुम्हारी अदा है ,पर ईश्वर की इस कृति पर अपने पग धर कर कौन इतनी बड़ी खता कर सकता है?
माना तुम्हारा जीवन अति छोटा है पर ईश्वर ने तुम्हें तुम्हारी सुंदरता और खुशबू से नवाजा है।
तुम्हारा सम्मान करना हम सब मानव को भी आता है ,
तभी तुमको ईश्वर पर अर्पित किया जाता है।
संध्या राणे