कांग्रेस (Congress) में बड़ी बगावत की तैयारी!

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मप्र कांग्रेस (Congress) में एक और बड़ी बगावत की तैयारी है। चर्चा है कि लगभग एक दर्जन कांग्रेस विधायक भाजपा का दामन थामने का मन बना चुके हैं। यह भी चर्चा है कि कांग्रेस की एक महिला विधायक लंबे समय से भाजपा के संपर्क में हैं। भाजपा ने इस महिला विधायक को महत्वपूर्ण संवैधानिक पद देने का वायदा कर दिया है। मुखबिर का कहना है कि इस महिला विधायक ने ही कांग्रेस के एक दर्जन से अधिक विधायकों को राष्ट्रपति चुनाव में आदिवासी के नाम पर क्रास वोटिंग के लिए तैयार किया था। दरअसल कमलनाथ ने कांग्रेस के अनेक विधायकों को सर्वे रिपोर्ट बताते हुए अगले चुनाव में टिकट न देने की बात अभी से कहना शुरु कर दी है। यही कारण है कि यह विधायक भाजपा में अपना भविष्य तलाशने लगे हैं।

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प्रभात झा की रहस्यमयी चुप्पी
मप्र भाजपा के पूर्व अध्यक्ष प्रभात झा की लंबी चुप्पी अब रहस्यमयी होती जा रही है। पिछले 40 वर्षों में प्रभात जी इतने खामोश कभी नहीं रहे हैं, जितने अभी हैं। हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखने वाले प्रभात जी ने लगभग हर मुद्दे पर चुप्पी साध ली है। नगरीय निकाय चुनाव में भी प्रभात जी लगभग पूरी तरह नदारद रहे। आखिर प्रभात जी कहां हैं और खामोश क्यों हैं? प्रभात जी को लेकर दो खबरें बाहर आ रही हैं। पहली यह कि वे ग्वालियर के बाद भोपाल में अपना घर बनाने में व्यस्त हैं। दूसरी खबर आ रही है कि उनके दिल्ली के साथियों और ज्योतिषियों ने उन्हें सलाह दी है कि राज्यपालों की नियुक्ति की लंबी सूची आने वाली है। इस सूची के आने तक वे पूरी तरह चुप्पी साध लें। संभव है कि प्रभात जी की योग्यता व क्षमता को देखते हुए उन्हें किसी राजभवन में बिठा दिया जाए। हम तो प्रभात जी के लिए शुभेच्छा ही कर सकते हैं।

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कांग्रेस ने कसा प्रवक्ताओं पर शिकंजा
मप्र कांग्रेस ने अपने प्रवक्ताओं पर जबर्दस्त शिकंजा कस दिया है। प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने प्रवक्ताओं के कामकाज का मूल्यांकन एक निजी एजेंसी से कराया है। इसी सोमवार को सभी प्रवक्ताओं और मीडिया विभाग के पदाधिकारियों को एक बंद कमरे में यह रिपोर्ट दिखाई गई। अनेक प्रवक्ता पार्टी की कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे हैं। सभी प्रवक्ताओं को हिदायत दी गई है कि ट्वीटर,फेसबुक सहित सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सक्रिय रहें। कमलनाथ की सभी पोस्ट को शेयर करें। आपस में सामंजस्य की कमी पर चिन्ता व्यक्त की गई। चेतावनी दी गई है कि हर माह इसी तरह सभी प्रवक्ताओं का मूल्यांकन होगा। लगातार तीन माह फिसड्डी रहने वाले प्रवक्ताओं व पदाधिकारियों को मीडिया विभाग की जिम्मेदारी से मुक्त किया जा सकता है।

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विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष क्यों नहीं?
क्या मप्र विधानसभा में डिप्टी स्पीकर की तरह उपनेता प्रतिपक्ष का पद भी होता है? संवैधानिक रूप से देखा जाए तो ऐसा कोई पद नहीं है, लेकिन 2013 में कांग्रेस ने चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष बनाया था। मजेदार बात यह है कि तत्कालीन स्पीकर ईश्वरदास रोहाणी ने उन्हें विपक्ष के उपनेता के रूप में मान्यता भी दे दी थी। विधानसभा सचिवालय ने उपनेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति का परिपत्र भी जारी किया था। लेकिन 2013 के बाद कांग्रेस ने आज तक विधानसभा में किसी को भी उपनेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया है। कांग्रेस में खुसर फुसर चल रही है कि इस पद पर कांग्रेस को फिर से क्लेम करना चाहिए। लेकिन यह भी डर सता रहा है कि चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी की तरह भाजपा उपनेता को चलती विधानसभा के बीच अपनी पार्टी में शामिल न करा ले!

आखिर कार्यकर्ता ने क्यों दीं भाजपा विधायक को गालियां!
सिरोंज के भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा फिर चर्चा में हैं। इस बार सिरोंज के ही भाजपा कार्यकर्ता कपिल त्यागी ने उन्हें पीटने की धमकी दी है। इस सप्ताह इस धमकी का ऑडियो जमकर वायरल हुआ है। उमाकांत शर्मा ने त्यागी के खिलाफ एफआईआर तो कराई, लेकिन यह नहीं बताया कि आखिर जिस त्यागी को उनके बड़े भाई ने विधायक प्रतिनिधि बनाया, वह उन्हें मारना क्यों चाहता है। दूसरी ओर जमानत कराने के बाद कपिल त्यागी खुलकर मैदान में आ गये हैं। उनका कहना है कि उमाकांत शर्मा ने विधायक पद का दुरूपयोग कर उन्हें आर्थिक रूप से बर्बाद कर दिया है।

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उनकी जमीनों को सरकारी घोषित कराना, उनकी काॅलोनियों में प्रशासन से कहकर परेशानी पैदा करना, उनके छोटे भाई का बंदूक का लायसेंस बिना नोटिस दिए रद्द करा दिया है। शर्मा इससे पहले मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में भ्रष्टाचार उजागर करने के लिए चर्चा में आए थे। मुखबिर का कहना है कि कारण कुछ भी हो, लेकिन भाजपा संगठन उमाकांत शर्मा की कार्यशैली से खुश नहीं है।

जीएसटी के खिलाफ पूर्व प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त की मुहिम
मप्र व छत्तीसगढ के प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त रहे डाॅ. आरके पालीवाल की पहचान पद पर रहते समय भी अधिकारी से ज्यादा एक गांधीवादी कार्यकर्ता की रही है। रिटायर होने के बाद भोपाल में बस गये पालीवाल जैविक खेती की मुहिम चलाए हुए हैं। आटा चावल दाल दूध दही जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाने के फैसले ने पालीवाल को झकझोर कर रख दिया है। वे इसके विरोध में खुलकर सामने आ गये हैं। उनका कहना है कि गांधी के नमक सत्याग्रह की तरह इस टैक्स के विरोध में जनमानस को खड़ा होना चाहिए। सोशल मीडिया पर पालीवाल की मुहिम को भरपूर समर्थन मिल रहा है। पालीवाल ने इस टैक्स के खिलाफ एक ज्ञापन भी तैयार किया है जिसे सोशल मीडिया के जरिये सभी सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजने की तैयारी है।

और अंत में…!
तीनों हार गये….हां कांग्रेस के तीन विधायक महापौर का चुनाव लड़ने मैदान में उतरे और तीनों हार गये। उज्जैन के विधायक महेश परमार मामूली अंतर से चुनाव हारे हैं। उन्होंने अपनी हार का ठीकरा उज्जैन के पूर्व विधायक बटुक जोशी पर फोड़ दिया है। सतना से विधायक सिद्धार्थ कुशवाह बड़े अंतर से हारे हैं। चर्चा है कि कांग्रेस से उनकी विधायक की टिकट भी खतरे में पड़ सकती है। कांग्रेस के तीसरे विधायक इंदौर से संजय शुक्ला हारे हैं। लेकिन कांग्रेस को इस बात का संतोष है कि भाजपा के सबसे बड़े गढ़ में शुक्ला ने पूरी दम-खम से चुनाव लड़ा है। हारकर भी कांग्रेस में शुक्ला का कद बढ़ा है। मजेदार बात यह है कि कांग्रेस ने एकमात्र विधायक सतीश सिकरवार की पत्नी शोभा सिकरवार को ग्वालियर से महापौर का टिकट दिया। शोभा ने 57 वर्ष बाद ग्वालियर में कांग्रेस को जीत दिलाकर इतिहास रच दिया है।