हाई कमान के इशारे पर राजेन्द्र शुक्ला का बढ़ता कद!
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला लोकसभा चुनाव में बीजेपी हाई कमान द्वारा रायबरेली और अमेठी के प्रभारी बनाए गए। वे ज्यादा काम और कम बात पर विश्वास रखने वाले माने जाते हैं। किसी से छिपा नहीं है कि पंडित जी रीवा से लेकर पूर्वांचल तक सबसे प्रभावशाली ब्राह्मण नेता हैं और देश के गृह मंत्री अमित शाह का उन्हें वरदहस्त प्राप्त है और वे प्रधानमंत्री के भी निकट है। बताते है कि रायबरेली और अमेठी में भारी मेहनत के बाद राजेंद्र शुक्ला ने सीधे दिल्ली सियासत को रिपोर्ट किया। यदि राजनीतिक प्रोटोकॉल देखा जाए तो राजेंद्र शुक्ला मुख्यमंत्री के बाद प्रदेश के सबसे बड़े प्रभावी नेता हैं।
एक समय राजेन्द्र शुक्ला प्रदेश अध्यक्ष के दावेदार थे, अब उप मुख्यमंत्री के पद पर सुशोभित है। मालवा एवं जबलपुर के कई बड़े नेताओं की तुलना में हाई कमान राजेंद्र शुक्ला पर भरोसा करती है, और फिलहाल यही बात अन्य नेताओं को रास नहीं आ रही। लेकिन, राजेंद्र शुक्ला ने जिस निर्विवाद छवि को बनाया है उसका मूल रिजल्ट अभी आना बाकी है। बस जरा इंतजार कीजिए और देखिए कि विंध्य के इस ब्राह्मण का अगला तीर कहां लगेगा!
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कौन है वह, जो IAS अफसर को वादा करके भी नही आई?
वैसे तो भोपाल में जमीनों के रोज नए सौदे होते रहते हैं। लेकिन, हम आज एक ऐसे सौदे की बात कर रहे है जिसमें एन वक्त पर बेचने वाली नहीं पहुंची और खरीदने वाले खाली हाथ रह गए। मामला भोपाल की एक बड़े होटल की 18 हजार स्क्वेयर फ़ीट के सौदे का है। यह जमीन एक महिला की है और उस महिला को यह ज़मीन एक ऐसे IAS अफसर ने दिलाई थी, जो शिवराज सिंह सरकार मे कॉलर ऊंची करके चलते थे। तो कमलनाथ सरकार में भी उनके पैर जमीन पर नहीं थे।
बात यहीं खत्म नहीं होती, जमीन का सौदा भी कमलनाथ सरकार के समय एक कुलगुरु रहे महाशय ने किया था। लिखा-पढ़ी हो गई थी, सारे दस्तावेज की ख़ानापूर्ति कर ली गई। साहब और कुलगुरू भी प्रसन्न थे कि चलो सौदा हो गया। रजिस्ट्री की तारीख भी तय हो गई। तय तारीख पर दोनों पहुंच भी गए, फिर क्या था। वो महिला की राह देखते रह गए पर वो नहीं आई। आज भी ये बेचारे दोनों उसका रास्ता देख रहे हैं। लेकिन, बताने वालों ने बताया कि वो इस वेदना के कारण नहीं आई कि इस सौदे के पैसे साहब रखने वाले थे और साहब के साथ का सानिध्य भी समाप्त हो जाता! ऐसी वफ़ादार महिला मित्र को नमन।
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भाजपा को मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष!
इसका यह मतलब नहीं कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष पद से वीडी शर्मा को हटाया जा रहा है। उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है और सम्भवतः वीडी शर्मा केंद्र में मंत्री बन रहे हैं। हस्तिनापुर के महत्वपूर्ण स्रोत का यह कहना है कि निमाड़ के एक सांसद से गृहमंत्री अमित शाह की अंतिम और गंभीर चर्चा हो चुकी है। लोकसभा के रिजल्ट के बाद पहले कैबिनेट विस्तार से पहले उक्त सांसद दीनदयाल भवन की कमान संभाल सकते है।
अनुसूचित जनजाति वर्ग से ताल्लुक रखने वाले इस स्वयंसेवी सांसद के नाम पर नागपुर से लेकर दिल्ली तक और भोपाल से लेकर इंदौर तक पूरी सहमति है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव की समाप्ति के बाद प्रदेश अध्यक्ष का कार्य संगठनात्मक ही रहेगा।और एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि दिल्ली के नंबर वन और नंबर 2 के व्यक्तित्व के कारण प्रदेश अध्यक्ष महज एक औपचारिकता का पद बन गया है। लिहाज़ा बस एक पखवाड़े का इंतजार करिए और भाजपा में नया नेतृत्व का स्वागत कीजिए।
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धार में ‘राम मिलाई’ जोड़ी के चर्चे
कांग्रेस और संघ की बहुत पुरानी दुश्मनी है, लेकिन अगर कोई संघ का बड़ा पूर्व पदाधिकारी किसी कांग्रेसी विधायक का सलाहकार बन जाए, तो क्या कहना! बात सही है। धार जिले के एक कांग्रेस विधायक को इन दिनो संघ के एक पूर्व पदाधिकारी का साथ खूब भा रहा है। इधर पदाधिकारी भाई साहब भी विधायक की आन बान शान में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। यहां के कांग्रेस कार्यकर्ता बता रहे हैं कि फिलहाल यह गठबंधन अपनी ऊंचाई पर है। विधायक का परिवार भी भाई साहब के आदर सम्मान मे कोई कसर नही छोडता। पर्दे के पीछे रहकर भाई साहब उस विधानसभा में विधायक की सरपरस्ती में एक बड़ा ईवेंट भी करने वाले हैं।
अंदर की खबर रखने वालों को यह समझ नहीं आ रहा कि आखिर यह एडजेस्टमेंट क्यो और कैसे जमा! लेकिन, पार्टी के ही कार्यकर्ता बताते है कि इसके पीछे उद्देश्य यही है कि भाई साहब को अपने पुराने साथियों से हिसाब बराबर करना है, तो इधर विधायक साहब को अपने वर्तमान प्रतिद्वंदी को अपनी ताकत का हिसाब करवाना है। मतलब दोनों को जोड़कर भी रहना है और दुश्मन के दांत भी खट्टे करना है। अभी तो उस विधानसभा में राम मिलाई जोड़ी के चर्चे खूब है। देखना है कि यह जोड़ी कब अपने अपने विरोधियों से कितना हिसाब बराबर कर पाती है!
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कालिख चेहरे पर और दोष आईने को
किसी समय अफसर अपनी इमेज इतनी सम्भाल कर रखते थे कि उस पर दाग न लगे। किंतु अब जमाने मे इतना अंतर आ गया है। अफसरों से अपनी इमेज सुधारी नहीं जाती और जब अपने आचरण से इमेज इतनी बिगड जाती है तो उसे सुधारने के लिए पीआर एजेंसी को हायर किया जाता है। मामला आबकारी विभाग के एक रंगीन मिजाज अफसर से जुडा है। इस अफसर पर अपनी रंगीन मिजाजी आदत के चलते अपनी इमेज यहा वहां सब दूर इतनी गिरा ली कि लोग अब बातो-बातो मे रंगीन मिजाजी शब्द का प्रयोग करना होता है, तो लोग उस अफसर का नाम ले लेते है। साहब को पता ही नही चला की आदत इतनी भारी पडेगी कि उन्हे रंगीन मिजाज मान लिया जाएगा। लेकिन, अब साहब अपनी गिरती इमेज से बहुत चौकन्ना हो गए। उन्होंने इस इमेज को अपने आचरण से सुधारने के बजाय एक पीआर एजेंसी हायर की है, जो साहब पर लगे रंगीन मिजाजी तमके को हटाएगी। बात तो यही हुई कि चेहरा अपना काला है और दोष आइने को दिया जा रहा।
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मनोज सिंह की खाटला बैठको के चर्चे
वैसे तो अफसर अपने एयर कंडीशनर केबिनों से बाहर निकलना नहीं चाहते और जो थोडे बहुत निकलते भी हैं, तो वे जितनी जल्दी हो वापस केबिन मे पहुंचने की जुगाड़ मे रहते है। लेकिन, धार के एसपी इन दिनों इस भीषण गर्मी मे गांव गांव की पैदल यात्रा कर रहे है। इस यात्रा के पीछे भले ही कोई कुछ भी कहे किंतु एसपी जैसे बडे अफसर का धार जिले के आदिवासियों के साथ खाटला बैठक कर वे पुलिस के प्रति विश्वास पैदा करने का अनुपम कार्य तो कर ही रहे। यह अलग बात है कि धार एसपी के इस नवाचार को सत्ता के गलियारे मे काफी दाद मिल रही है।
हालांकि मनोज कुमार सिंह को पुलिस विभाग मे एक जमीनी एवं खांटी अफसर माना जाता है। उनके इस नए नवाचार ने दूसरे पुलिस अफसरों को हालाकान कर रखा है। कही ऐसा न हो कि मनोज सिंह का यह दांव अन्य जिलों के मैदानी पुलिस अफसरों पर उल्टा पड जाए और उन्हे भी मुख्यालय से खाक छानने का आदेश मिल जाए। फिलहाल मनोज सिंह की ग्राउंड जीरो की सोच की जयजयकार तो होने लगी है।
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ओर अंत में…
लोकसभा मे मध्यप्रदेश में कांग्रेस का प्रदर्शन अगर खराब रहता है तो बड़े नेताओं ने अपने वे दस्तावेज तैयार कर लिए है, जिन्हे हाईकमान को देना है। बताने वालों ने बताया है कि इन दस्तावेजों में पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की भूमिका का उल्लेख है। इधर कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहता है, तो पटवारी और सिंघार ने भी अपनी तैयारी कर रखी है। यानी कि अच्छे परिणाम और ख़राब परिणाम दोनों स्थितियों मैं होगी तो कांग्रेस मे महाभारत ही!