

Rajkumar Rao : राजकुमार राव ने कहा ‘मैं हर बार कुछ नया करने की कोशिश करता हूं!’
‘मालिक’ फिल्म का प्रमोशन में बोले कि मैं अपनी कोई फिक्स्ड इमेज बनाना नहीं चाहता!
Indore : फिल्म अभिनेता राजकुमार राव ने बुधवार को अपनी आने वाली फिल्म ‘मालिक’ के प्रमोशन के दौरान मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि ‘मालिक’ सिर्फ एक नाम नहीं, एक प्रतीक है, शक्ति का, निर्भयता का और उस ऊर्जा का, जो किसी रूल बुक में नहीं बंधती। किसी से डरता नहीं, सिर्फ अपनी सुनता है।
उनके साथ फिल्म में मुख्य किरदार में मानुषी छिल्लर और फिल्म के लेखक और निर्देशक पुलकित भी साथ थे। ‘मालिक’ फिल्म 1980 के दशक के इलाहाबाद की पृष्ठभूमि पर आधारित एक एंटरटेनर है। यह महत्वाकांक्षा, सत्ता और अस्तित्व की एक जबरदस्त कहानी है। यह फिल्म दिखाती है कि बंदूकें, लालच और वफादारी के जंगल में ऊपर उठने की आखिर क्या कीमत चुकानी पड़ती है।
अपने किरदार के बारे में बताते हुए राजकुमार ने कहा कि इस बार वे उस जोन में हैं, जहां उन्होंने खुद को पहले कभी एक्सप्लोर नहीं किया। यह किरदार आज़ादी देता है। ऐसी भूमिका निभाना मेरे लिए भी नया था। अपने किरदार की भूमिका और उसको निभाने की तैयारी के बारे में बताया कि मैं एक मार्शल आर्टिस्ट रह चुका हूं। काफी साल मैंने मार्शल आर्ट्स किया है तो वो एक एक रिदमम तो है बॉडी में। ऐसा कोई नया नहीं था मेरे लिए।
लेकिन, हां इस किरदार के लिए कुछ अलग चीजों की जरूरत थी। हमें हथियारों की प्रैक्टिस करनी थी। फिल्म में एके-47 जैसे हथियार का प्रयोग हुआ।उसके लिए बॉडी थोड़ी अलग चाहिए थी। मैं भी चाहता था कि कुछ हो। जो मैंने अभी तक किया है उससे कैसे मैं अपने को डिफरेंट प्रेजेंट कर सकूं। साथ ही यह कर पाना इस किरदार में मेरे लिए चैलेंज था।
फिल्म की शूटिंग लोकेशन के बारे में बताते हुए राजकुमार ने कि हमने लखनऊ में उन्नाव, कानपुर और रायबरेली के इर्द-गिर्द बहुत सारे गांव में शूटिंग की, क्योंकि 1980 की कहानी है। तो उस दौर में जो जो जगह ऐसे लोकेशन लगती थी वहां पर शूटिंग की। सब रियल लोकेशन है। हमने कहीं सेट नहीं बनाया है। उन जगहों पर जाकर शूटिंग की है। इस दौरान मानुषी छिल्लर ने भी अपने किरदार के बारे में बताया। उन्होंने कहानी के लिए भाषा और उसके डायरेक्ट के बारे में बताया कि फिल्म के संवाद और डायलॉग और डायरेक्टर के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। एक ऐसे एरिया की है भाषा जहां आप पले बड़े हो वहां का एक अलग डायरेक्ट होता है। छोटी-छोटी चीजें लगती हैं। लेकिन मुझे अच्छा लगा कि मैं एक ऐसा कैरेक्टर प्ले करके आया, क्योंकि कहीं ना कहीं ये एक तरह का चैलेंज होता है। एक कलाकार के रूप में आपके कितनी सच्चाई से अपने किरदार के साथ न्याय कर पाते हो।
यहां आती है असल चुनौती
साधारण दिखने वाले किरदार को असल और जीवंत बनाना बहुत बड़ी चुनौती होती है। डायलॉग की तैयारी, स्थानीय लहजे को पकड़ना और एक रियल किरदार की सच्चाई को पर्दे पर उतारने के अनुभव को एक कलाकार के लिए अत्यंत मूल्यवान बताया। राजकुमार राव ने अपने किरदार में बदलाव के बारे में बताते हुए कहा कि मैं अपनी कोई फिक्स्ड इमेज नहीं बनाना चाहता। हर बार कुछ नया करने की कोशिश करता हूं ताकि दर्शक भी चौंके और मैं भी।
निर्देशक पुलकित ने ओटीटी और थिएटर फिल्म के अनुभव पर बताया कि बड़े पर्दे और ओटीटी के लिए फिल्म बनाने में तकनीक लगभग एक ही रहती है।
लेकिन थियेटर के हिसाब से साउंड इंजीनियरिंग का अलग स्टाइल रहता है। थिएटर का मजा एक साथ बैठकर फिल्म देखने में है। एक्शन फिल्में जब तक बड़े पर्दे और लाउड साउंड में न देखी जाएं, मजा अधूरा रह जाता है। थिएटर सामूहिक अनुभव है। 300 लोग साथ में देखते हैं। इसलिए हम साउंड, फ्रेम, स्केल सब में कुछ एक्स्ट्रा करते हैं। साथ ही राजकुमार ने भी कहा कि कुछ फिल्में मोबाइल में नहीं, सिर्फ बड़े पर्दे पर मजा देती हैं। ‘मालिक’ 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।