

प्रतिक्रिया : “तुम कौन हो? तुम्हारा धर्म क्या है?”और मार दिया इंसानियत को !
नीलम सिंह सूर्यवंशी
22 अप्रैल 2025, कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 28 निर्दोष लोगों ने अपनी जान गंवाई। यह घटना अत्यंत निंदनीय, शर्मनाक, दुर्भाग्यपूर्ण और दिल दहला देने वाली है।
आतंकियों ने लोगों से यह पूछकर कि “तुम कौन हो? तुम्हारा धर्म क्या है?”, गोलियां बरसाईं और मासूम लोगों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। सोचने वाली बात है — कौन-सा धर्म हिंसा सिखाता है? कौन-सा धर्म मासूमों की जान लेना सिखाता है?
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध — सभी धर्म तो अहिंसा का मार्ग दिखाते हैं। ये धर्म हमें मानवता, इंसानियत, नेकी और प्रेम का संदेश देते हैं। फिर यह हिंसा क्यों?
क्या हम अपने ही देश में सुरक्षित नहीं हैं?
मीडिया सूत्रों के अनुसार, जिस जगह यह हादसा हुआ वहाँ लगभग 2,000 सैलानी मौजूद थे। ऐसा सुनने में आया है कि वहाँ सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतज़ाम नहीं थे — यह एक गंभीर भूल है, जिसके चलते यह त्रासदी घटी।
किसी ने अपनी पत्नी का जन्मदिन मनाने का सपना देखा था,
कोई नवविवाहित जोड़ा अपनी नई ज़िंदगी की शुरुआत करने गया था,
कोई रोज़मर्रा की जद्दोजहद से कुछ सुकून के पल चुराने निकला था,
लेकिन किस्मत ने उन्हें कभी लौटने का मौका ही नहीं दिया।
उनका क्या कसूर था? और उनके पीछे छूटे अपनों का?
मैं खुद भी चार दिन बाद अपने पति के साथ शादी के तीस साल के जीवन में पहली बार सालगिरह मनाने कश्मीर जाने वाली थी। कल जब यह समाचार सुना, तो मैं और मेरा परिवार स्तब्ध रह गए। यह बहुत भयानक और अमानवीय कृत्य है।
किसी का कुछ नहीं जाता…
बस किसी की ज़िंदगी चली जाती है,
किसी की जिंदगी में हमेशा के लिए अंधियारा छा जाता हैं,
कोई परिवार बिखर जाता है..
मत मारो धर्म के नाम पर..
मत मारो इंसानियत को।
नीलम सिंह सूर्यवंशी