Relief to Dr Ajay Mehta: हाई कोर्ट ने डॉ. अजय मेहता के खिलाफ दर्ज FIR रद्द की

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Relief to Dr Ajay Mehta: हाई कोर्ट ने डॉ. अजय मेहता के खिलाफ दर्ज FIR रद्द की

जबलपुर: व्यापमं पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा से जुड़े मामले में एक बड़ी न्यायिक राहत देते हुए, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने वर्ष 2015 में सीबीआई और एसटीएफ द्वारा डॉ. अजय शंकर मेहता के खिलाफ दर्ज की गई FIR को पूरी तरह रद्द कर दिया है।

डॉ. मेहता, जो प्रदेश के प्रतिष्ठित अस्थि रोग विशेषज्ञ जाने जाते हैं और जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष (मंत्री दर्जा) रह चुके हैं, इस मामले में लगभग 70 दिन न्यायिक हिरासत में रहे थे। यह उनके खिलाफ दर्ज एकमात्र आपराधिक मामला था।

वरिष्ठ अधिवक्ता श्री अजय गुप्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों और तथ्यों को मानते हुए न्यायालय ने स्पष्ट किया कि—

* केवल दो अभ्यर्थियों के नाम डॉ. मेहता से जोड़े गए थे,
* कोई भी आर्थिक लेनदेन, व्यक्तिगत लाभ या आपराधिक साजिश का प्रमाण नहीं है,
* व्यापमं अधिकारियों से फोन पर बातचीत मात्र मित्रवत संबंधों के कारण हुई थी,
* और यह कि “मित्रता मात्र साजिश का प्रमाण नहीं मानी जा सकती।”

माननीय न्यायालय ने यह भी कहा कि CBI और STF ने कई ऐसे लोगों को भी आरोपी बनाया, जिनके विरुद्ध कोई ठोस साक्ष्य नहीं था और जिन्होंने कोई अपराध किया ही नहीं। कोर्ट ने अपने आदेश में यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि “यदि सीबीआई द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को यथावत भी मान लिया जाए, तब भी किसी प्रकार का दंडनीय अपराध सिद्ध नहीं होता।”

यह आदेश न केवल डॉ. मेहता की प्रतिष्ठा की पुनर्स्थापित करता है, बल्कि उन सभी लोगों के लिए भी एक संदेश है जो वर्षों से बिना अपराध के कानूनी लड़ाई लड़ते रहे हैं।