75 साल में पहली बार देरी से शुरू होगी गणतंत्र दिवस परेड, झांकियों को लेकर भी विवाद

1454

दिल्ली ब्यूरो

नई दिल्ली: देश में 75 साल के इतिहास में पहली बार राजपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस परेड कई बदलाव लिए हुए हाेगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारत सरकार ने इस बार की परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर किसी भी राष्ट्र के राष्ट्राध्यक्ष या फिर किसी गणमान्य व्यक्ति को आमंत्रित नहीं किया है। यानी परेड में किसी भी देश के राष्ट्राध्यक्ष शामिल नहीं होंगे। गणतंत्र दिवस के मौके पर निकलने वाली राज्यों की झांकियों को लेकर भी कुछ विवाद है।

इस बार परेड भी आधा घंटा देर से शुरू होगी। हर साल गणतंत्र दिवस की परेड सुबह ठीक 10 बजे राजपथ पर शुरू हो जाती थी। इस बार यह परेड 10 की बजाए 10:30 बजे शुरू होगी।

75 सालों में ऐसा पहली बार होगा कि गणतंत्र दिवस की परेड में देर से शुरू हाेगी। इस बार आम दर्शकों के लिए दर्शक दीर्घा भी नहीं हाेगी।

गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने वालों की संख्या में 70 से 80 फीसदी की कमी कर दी गई है।

सेंट्रल विस्टा निर्माण कार्य के चलते राजपथ भी बदला बदला नजर आएगा। इस बार विभिन्न राज्यों की झांकियों की संख्या भी कम रहेगी। मीडियाकर्मियों की संख्या में भी कटौती कर दी गई है।

इन दिनों राजपथ पर परेड की रिहर्सल जारी है। आजू बाजू सेंट्रल विस्टा निर्माण कार्य जारी है लेकिन राजपथ (विजय चौक से इंडिया गेट) काे परेड के लिए तैयार कर दिया गया है। गणतंत्र दिवस परेड के दौरान जहां चुनिंदा दर्शक बैठेंगे उसके पीछे 75 मीटर लंबी और 15 मीटर ऊंची दीवार पर पेंटिंग की जाएगी। इसके लिए देशभर से करीब 6000 पेंटर्स का चयन किया गया है।

पेंटिंग में देश के अनसंग हीरो, आजादी की कहानी की झलक होगी। समारोह में ऑटो चालकों, मजदूरों और फ्रंट लाइन वर्करों के लिए सीटें आरक्षित की गई है। जो राजपथ से परेड नहीं देख पाते थे उनके लिए पूरे राजपथ पर दोनों तरफ 10 बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई जा रही है।

कोरोना की तीसरी लहर के कारण स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर में अलर्ट घोषित किया हुआ है। इसलिए समारोह स्थल पर कोविड के नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार इस बार परेड में करीब 8 हज़ार लोगों को एंट्री मिलेगी। पिछले साल गणतंत्र दिवस पर आयोजित परेड में करीब 25,000 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी गई थी।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इस साल की परेड के लिए मुख्य अतिथि आएंगे या नहीं, इस संबंध में विदेश मंत्रालय से अभी तक कोई निर्देश नहीं मिला है। वैसे पिछले साल भी परेड में कोई मुख्य अतिथि नहीं था। दर्शकों की संख्या में कटौती का मकसद लोगों को दूर रखना और सामाजिक दूरी बनाए रखना है ताकि परेड के कारण संक्रमण के मामलों में वृद्धि नहीं हो सके। यह सरकारी तर्क है।

लेकिन इसकी मुख्य वजह सेंट्रल विस्टा निर्माण के कारण इंडिया गेट के चारों ओर की गई खुदाई के कारण रास्ते बंद पड़े हैं। ऐसे में समारोह स्थल तक लाेगाें काे पहुंचने में कठिनाई हाेती। इस साल समारोह आधे घंटे देरी से शुरू होगा। 10 बजे के बजाय 10:30 बजे से परेड शुरू होगी।

इसके पीछे सरकारी तर्क यह है कि कम विजिबिलिटी के चलते फ्लाई पास्ट दिख नहीं पाता था। इसके चलते ये बदलाव किया गया है। परेड से पहले जम्मू-कश्मीर में जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी जाएगी, इसके बाद परेड शुरू होगी।

झांकियों को लेकर विवाद

गणतंत्र दिवस की परेड में हर साल राज्यों, केंद्र शासित प्रदेश, भारत सरकार के विभागों आदि की झांकियां निकलती हैं। पिछले साल कुल 32 झांकियां निकली थीं, जिनमें 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की थीं। इस साल पश्चिम बंगाल और केरल की झांकी को लेकर विवाद छिड़ा है। उनकी झांकियों को रिजेक्ट कर दिया गया है।

पश्चिम बंगाल की सरकार का कहना है कि झांकी आजादी के नायकों पर आधारित थी फिर भी इसे खारिज कर दिया गया। राज्य सरकार ने कहा है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर उनकी आजाद हिंद सेना की झांकी बनाई गई थी और साथ ही इसमें बंगाल के महान स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरें भी शामिल की गई थीं।

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, देशबंधु चितरंजन दास, महर्षि अरविंद, मतांगिनी हाजरा, भगवान बिरसा मुंडा आदि की तस्वीरें भी झांकी में लगाई गई थीं।

इसी तरह केरल सरकार की झांकी महान समाज सुधारक नारायण गुरु पर आधारित थी, जिन्हें जाति तोड़ने और छुआछूत का अभियान चलाया था।

इसके साथ ही राज्य सरकार ने पर्यटन केंद्र के रूप में जटायु पार्क को भी झांकी में दिखाया था। पर इसे खारिज कर दिया गया।

पिछले चार साल में तीन बार केरल की झांकी खारिज की गई। गणतंत्र दिवस परेड 2022 के लिए राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से कुल 56 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। इनमें से 21 प्रस्तावों को चुना गया। इस प्रकार कुल 35 प्रस्ताव खारिज हुए हैं।

मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि समय की कमी को देखते हुए अधिक संख्या में झांकियों को नहीं चुना जा सकता। निर्धारित समय के हिसाब से ही झांकियों की संख्या चयन होता है।