RERA V/S Government: क्या ‘रेरा’ चेयरमैन इस्तीफा देंगे या सरकार हटाएगी? नियमों का हवाला देकर अपने को बचाने में लगे पूर्व IAS एपी श्रीवास्तव!

EOW ने कहा हम 'RERA' चेयरमैन के भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच कर रहे!,'रेरा' सचिव ने पत्र लिखकर इसे 'रेरा एक्ट' का उल्लंघन बताया था!      

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RERA V/S Government: क्या ‘रेरा’ चेयरमैन इस्तीफा देंगे या सरकार हटाएगी? नियमों का हवाला देकर अपने को बचाने में लगे पूर्व IAS एपी श्रीवास्तव!

 

Bhopal : रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (RERA) के चेयरमैन एपी श्रीवास्तव और सरकार आमने सामने है। ऐसा लगता है कि सरकार श्रीवास्तव को हटाना चाहती है और श्रीवास्तव ने सरकार की मंशा भांप ली है और वे अपने को बचाने में लग गए हैं। ऐसे में सियासी और प्रशासनिक गलियारों में यह चर्चा है कि सरकार के दबाव को देखते हुए क्या ‘रेरा’ चेयरमैन इस्तीफा देंगे या सरकार अन्य तरीके से उन्हें हटाएगी?

बता दे कि श्रीवास्तव के खिलाफ भ्रष्टाचार और नियमों के उल्लंघन के आरोप में एक व्यक्ति द्वारा EOW में शिकायत दर्ज की गई है। इसी को आधार बनाकर EOW ने प्राथमिक जांच शुरू की है। इस पर ‘रेरा’ के सचिव डीवी सिंह ने EOW के डायरेक्टर जनरल (DG) को पत्र लिखकर इसे अवैधानिक बताया। इसके जवाब में ईओडब्ल्यू ने कहा कि चेयरमैन के खिलाफ शिकायत भर्ती के संबंध में थी, हम तो भ्रष्टाचार की जांच कर रहे हैं।

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मध्य प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण यानी RERA के चेयरमैन पूर्व IAS अधिकारी अजित प्रसाद श्रीवास्तव के खिलाफ EOW की कार्रवाई को लेकर कई कानूनी पेचीदगी सामने आ रही है।इसीलिए EOW फूंक फूंक कर कदम आगे बढ़ा रही है।

दरअसल, EOW के पास एक व्यक्ति ने भ्रष्टाचार और नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए रेरा के चेयरमैन एपी श्रीवास्तव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इस शिकायत में चेयरमैन पर एक बिल्डर से आवासीय प्लॉट लेने और ‘रेरा’ में नियुक्ति की गड़बड़ी करने के आरोप लगाए गए। शिकायत के आधार पर बुधवार को ईओडब्ल्यू द्वारा चेयरमैन एपी श्रीवास्तव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

 

‘रेरा’ की आपत्ति पर ईओडब्ल्यू का पलटवार

जब ‘रेरा’ के सचिव ने ईओडब्ल्यू की कार्रवाई पर आपत्ति उठाई तो ईओडब्ल्यू ने भी उसका जवाब देते हुए कहा कि चेयरमैन के खिलाफ शिकायत भर्ती के संबंध में थी। हम तो भ्रष्टाचार की जांच कर रहे हैं। ‘रेरा’ के सचिव ने अपने पत्र में चार बिंदु शामिल किए हैं, जो ‘रेरा एक्ट’ और इसके तहत चेयरमैन के अधिकार को विस्तारित करते हैं। ‘रेरा एक्ट’ की धारा-90 के उपबंध का हवाला देते हुए पत्र का अहम बिंदु ये भी है, कि प्राधिकरण में नियुक्त अध्यक्ष, सदस्य व अन्य अफसर-कर्मचारियों के खिलाफ कोई वाद, अभियोजन या विधिक कार्यवाही नहीं हो सकती। पत्र में कहा गया है कि प्राधिकरण में पदस्थ होने वाले न्याय निर्णायक अधिकारियों की नियुक्ति संबंधी प्रावधान रेरा अधिनियम की धारा-71 में किए गए हैं।

 

शिकायत ‘रेरा’ के प्रावधानों की नहीं

इस पर EOW का कहना है कि ‘रेरा’ चेयरमैन के खिलाफ मिली शिकायत भर्ती के संबंध में थी, न कि ‘रेरा एक्ट’ के प्रावधानों में की गई कार्रवाई के संबंध में। EOW का कहना है कि वे तो भ्रष्टाचार की जांच कर रहे हैं। EOW का कहना है कि पत्र आया है, जिसका परीक्षण करवा रहे हैं। ‘रेरा’ चेयरमैन के खिलाफ मिली शिकायत भर्ती के संबंध में थी, न कि ‘रेरा एक्ट’ के प्रावधानों में की गई कार्रवाई के संबंध में। हम अपने अधिकार क्षेत्र में जांच कर रहे हैं। शिकायत ‘रेरा’ के प्रावधानों की नहीं है। माना जा रहा है कि EOW रेरा सचिव के पत्र का परीक्षण करा रहा है।

कुल मिलाकर मामला कानूनी दांव पेंच और नियमों प्रावधानों में उलझा हुआ है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि श्रीवास्तव सरकार के आगे घुटने टेक देंगे या अंतिम समय तक अपने पद को बचाने के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। बता दे कि श्रीवास्तव भारतीय प्रशासनिक सेवा में 1984 बैच के IAS अधिकारी है। उन्हें शिवराज सरकार ने मार्च 2021 में RERA का चेयरमैन बनाया था। यह कार्यकाल पांच साल का होता है, जो अप्रैल 2026 तक है। पर, सवाल यह है कि क्या वे अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे?