
Ropeway Trial Accident:नए साल पर खुलने वाला 13 करोड़ में बना रोपवे ट्रायल में ही हुआ धड़ाम ! तकनीकी खामी या भ्रष्टाचार! कमेटी करेगी जांच
रोहतास जिले के रोहतासगढ़ पर्वत पर रोपवे ट्रायल रन के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था। इस संबंध में मिली आधिकारिक जानकारी के अनुसार ट्रायल रन व टेस्टिंग के दौरान लोड बढ़ाया जा रहा था। इसी क्रम में वायर राेप स्लिप कर जाने से अपर टर्मिनल स्टेशन आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया।बिहार के रोहतास जिले में रोपवे प्रोजेक्ट ट्रायल रन में ही ध्वस्त हो गया। चार ट्रॉली और एक टावर टूट गए। प्रोजेक्ट 13 करोड़ की लागत से बन रहा है। रोहतासगढ़ किला से चौरासन मंदिर को जोड़ने के लिए रोपवे बनाया जा रहा है जिसकी दूरी 60 किलोमीटर है।
बिहार के रोहतास में बन रहे रोपवे का आज ट्रायल रन था लेकिन इससे पहले की ये ट्रायल रन पूरा हो पाता उससे पहले ही इसके कई पिलर उखड़ गए. इस घटना के सामने आने के बाद अब रोपवे की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं. आपको बता दें कि रोहतास में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगभग 60 किलोमीटर की दूरी चंद मिनटों में तय करने की योजना है. इस रोपवे का निर्माण 13 करोड़ की लागत से हुआ था. इस रोपवे को नए वर्ष में पर्यटकों के लिए शुरू करने की योजना थी. रोपवे के पिलर के उखड़ने का वीडियो भी वायरल हो रहा है.
आपको बता दें कि रोहतास में प्राचीन रोहतासगढ़ किला एवं रोहितेश्वर धाम मंदिर तक पहुंच आसान बनाने के लिए रोपवे का निर्माण किया गया है. रोपवे निर्माण कार्य की शुरुआत 12 फरवरी 2020 में हुई थी. रोपवे के निर्माण के शुरू में कई तकनीकी अड़चनें आई थी. तमाम कठिनाइयों को दूर करने के बाद इस रोपवे का निर्माण पूरा किया गया है.

करीब 1324 मीटर लंबाई वाले इस रोपवे में कुल पांच टावर लगाए गए हैं. इसमें कुछ टावर ऐसे हैं जहां पर 40 डिग्री की चढ़ाई है. इस रोपवे के शुरू होने से करीब 1400 फीट ऊंचाई पर स्थित रोहतासगढ़ तक पहुंचना अब आसान हो जाएगा. पहले लोगों को यहां तक जाने के लिए पैदल जाना होता था. इस रोपवे के शुरू होने के बाद अब किसी भी मौसम में लोग यहां तक आ जा सकेंगे.
बिहार।कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा, “यह घटना बिहार सरकार के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार का नतीजा है। निर्माण के दौरान गुणवत्ता पर सवाल उठे थे, लेकिन कमीशन के लालच में एनडीए सरकार ने उन्हें अनदेखा किया।” उन्होंने उच्चस्तरीय जांच और निर्माण एजेंसी को ब्लैकलिस्ट करने की भी मांग की। फिलहाल, यह रोपवे परियोजना बिहार में सरकारी विकास कार्यों की पारदर्शिता और गुणवत्ता पर एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।





