बापू की राजनीति के मूल में सदैव त्याग रहा

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बापू की राजनीति के मूल में सदैव त्याग रहा

इटारसी। गांधी जी राजनीति प्रारंभ करने के पूर्व अपने गुरु श्री गोखले जी के कहने पर सम्पूर्ण देश का भ्रमण कर समाज के अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे,उनकी समस्याओं को समझा। उन्होंने आजादी के आंदोलन से जन जन को जोड़ा। उक्त उदगार मुख्य अतिथि शिक्षाविद एस पी एस यादव ने व्यक्त किए। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित साहित्यकार चंद्रकांत अग्रवाल ने कहा कि महात्मा गांधी की राजनीति के मूल में हमेशा देश के प्रति त्याग का भाव रहा। उन्होंने भाषण की अपेक्षा सदैव भजनों,प्रवचनों व प्रार्थना सभाओं को प्राथमिकता दी। उनके लिए अधिकारों व कर्तव्यों के मध्य संतुलन ही धर्म था। भारत भूषण गांधी ने वर्तमान में गांधी जी के जीवन मूल्यों के साथ हो रहे खिलवाड़ को विस्तार से बताया। मधुसूदन यादव ने भी संबोधित किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 153 वीं व लाल बहादुर शास्त्री की जन्म जयंती स्थानीय गोठी धर्मशाला में गांधी सभा भवन ट्रस्ट (प्रा) द्वारा मनाई गई।

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पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी एस पी एस यादव के मुख्य आतिथ्य में,गांधी सभा भवन ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी,साहित्यकार चंद्रकांत अग्रवाल,भाजपा नेता दीपक अग्रवाल, समाजसेवी बी बी गांधी, जीनियस प्लानेट स्कूल संचालक जाफर सिद्दीकी के विशिष्ट आतिथ्य में संपन्न हुआ।ट्रस्ट सहसचिव रितेश विश्वकर्मा,सदस्य अनिल तिवारी, भगवान नित्यानंद संगीत विद्यालय संचालक शरद दीक्षित विशेष रूप से उपस्थित थे। प्रारंभ संगीत विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा गाए गए बापू के संगीतमय प्रिय भजनों से हुआ।

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अधिवक्तागण बलदेव सोलंकी, रघुराज सिंह बघेल,सुश्री नेहा चावरे, गांधीवादी सुरेश मालवीय,शेख रफीक,अतुल तिवारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। प्रथम चरण में हिंदू, मुस्लिम सिक्ख व कैथोलिक चर्च के धर्म गुरुओं का सम्मान गांधीवादी विचारधारा के तहत किया गया। इसके उपरांत शालाओ में महाविद्यालय में गांधी जी के जीवन दर्शन पर आयोजित प्रतियोगिताओं में विजेताओं को पुरुस्कार वितरित किए गए। साथ ही प्रतिभावान छात्रा सोनम दुबे को सम्मान निधि रुपये 2100 प्रदान की गईं। सभी वक्ताओं ने अपने विचारों से गांधीजी एवम लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर प्रकाश डाला,कार्यक्रम का संचालन सचिव संतोष कुमार गुरयानी द्वारा किया गया वही आभार रितेश विश्वकर्मा ने किया।