उज्जैन में 2028 के सिंहस्थ को लेकर साधु-संत करेंगे मंथन

28 मई से शुरू होगी देश भर के साधुओं की बैठक,महाकाल की सशुल्क दर्शन व्यवस्था पर जताई नाराजगी

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उज्जैन में 2028 के सिंहस्थ को लेकर साधु-संत करेंगे मंथन

उज्जैन से मुकेश व्यास की खास रिपोर्ट

उज्जैन । उज्जैन में आगामी 2028 में होने वाले सिंहस्थ को लेकर साधु-संत अभी से मंथन करेंगे।प्रत्येक बारह वर्षों में होने वाले सिंहस्थ निर्विघ्न रूप से संपन्न हो एवं इस महापर्व में आने वाले साधु-संतों को कोई परेशानी नहीं हो तथा सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं को भी उज्जैन में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो, इसको लेकर अखाड़ा परिषद के साधु संतों की तीन दिवसीय बैठक आगामी 28 मई से उज्जैन में आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा की अगले सिंहस्थ में ग्यारह करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।इस बैठक में सभी अखाड़ों के साधु संत शामिल होकर विभिन्न विषयों पर मंथन करेंगे।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री हरीगिरिजी महाराज ने बताया कि 28 मई से 30 मई तक बैठक होगी। इन बैठकों में सिंहस्थ के विभिन्न विषयों पर विचार विमर्श किया जाएगा। श्री हरीगिरिजी ने बताया कि इसके साथ ही मां शिप्रा को प्रवाहमान किए जाने एवं विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आम श्रद्धालु को भी सहजता से दर्शन के साथ ही सिंहस्थ 2028 निर्विघ्न संपन्न होने पर भी चर्चा की जाएगी।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री हरिगिरिजी महाराज ने शिप्रा में गंदे नाले मिलने से होने वाले प्रदूषण पर कहा कि पिछले सिंहस्थ में भी मैंने ऐसे स्थानों पर पहुंचकर नालों का गंदा पानी मां शिप्रा में मिलने से रुकवाया था। अब भी मैं ऐसा ही करूंगा। जूना अखाड़ा द्वारा शिप्रा के जल का सैंपल लेकर इसकी जांच करवाई जाएगी कि आखिर यह जल आचमन करने के योग्य भी है या नहीं। उन्होंने शिप्रा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए अपने को संकल्पित बताया।
श्री हरिगिरि महाराज ने कहा कि मां शिप्रा को प्रवाहमान बनाने के लिए हर बार करोड़ों की योजनाएं लाई जाती है लेकिन उसके बावजूद भी न तो मां शिप्रा प्रवाहमान है और न ही स्वच्छ है।
महाराज ने बताया कि पिछले सिंहस्थ में भी मैंने रामघाट पर ही कई ऐसे स्थानो से सरकार को जानकारी दी थी।जहां नालों का गंदा पानी मां शिप्रा मे मिल रहा था।इस बार भी मां शिप्रा को प्रवाहमान और स्वच्छ बनाने के लिए अब भी मुझे ऐसा ही करना पड़ा तो मैं पीछे नहीं हटूंगा।

अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीहरिगिरिजी महाराज ने बताया कि महाकाल मंदिर में इन दिनों दर्शन के नाम पर व्यवसाय किया जा रहा है। भक्तों को भगवान के दर्शन करने की सशुल्क टिकट निर्धारित कर दी गई है, जिससे आम आदमी बाबा महाकाल के दर्शन-पूजन से दूर हो गया है। बाबा महाकाल हम सभी के हैं, इनका पूजन-अर्चन और दर्शन करने का अधिकार हम सभी का है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत श्री हरिगिरिजी महाराज ने महाकाल मंदिर में शुल्क दर्शन व्यवस्था पर श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति पर नाराजगी व्यक्त की। उनका कहना था कि आम श्रद्धालु के लिए भी बाबा महाकाल को जल चढ़ाने पास से दर्शन करने जैसी व्यवस्थाएं होना चाहिए, लेकिन महाकाल मंदिर की व्यवस्थाओं के अनुसार तो बाबा महाकाल के दर्शन और पूजन पर भी अब जैसे पूंजीपतियों का ही अधिकार हो गया है जो कि गलत है।
तल्ख शब्दों में हरिगिरि महाराज कहा कि हमें इस ओर ध्यान देना चाहिए कि बाबा महाकाल पूंजीपतियों के ही बनकर न रह जाएं। उन्होंने कहा कि मैं सरकार से इस विषय पर चर्चा करूंगा कि आम श्रद्धालु भी बिना शुल्क दिए बाबा महाकाल को जल चढ़ा सके और उनका पूजन व दर्शन कर सके। मैं सरकार से इस बात की भी चर्चा करूंगा कि आम भक्तों से महाकाल राजा कभी दूर ना हो जाए।वह सबके थे, सबके हैं और सबके रहेंगे।
इस बैठक में इस विषय पर भी मंथन चिंतन किया जाएगा।
उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि मोक्ष दायिनी मां शिप्रा को सदा प्रवाहमान बनाए रखने के लिए एक बांध का निर्माण कर देना चाहिए, जिससे कि शिप्रा तट पर सदैव जल प्रवाहित होने के साथ ही मां शिप्रा सदैव साफ व स्वच्छ रहेगी।साथ ही बांध के बनने से मां शिप्रा के प्रवाहमान और साफ व स्वच्छ होने के साथ ही क्षेत्र के किसानों को भी बांध में पानी होने से इसका लाभ मिलेगा।

आगामी 30 मई को प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी नीलगंगा सरोवर पर गंगा दशहरा उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा, जिसमें देश भर के साधु-संत शाही स्नान करेंगे और शोभायात्रा भी निकाली जाएगी, जिसके लिए सभी अखाड़ों के साधु संतों को आमंत्रित किया गया है।