*MP News रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट*
महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि दुनिया के जितने भी धर्म और मजहब है वे सभी भयभीत करने का काम करते है लेकिन यह एक मात्र सनातन धर्म है,जो मौत के भय से निर्भय बनाकर अभय बनाता है।मौत सामने खड़ी है लेकिन फिर भी सात दिन में शुकदेवजी ने राजा परीक्षित को मुक्ति प्रदाता श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करवाकर अभय पद में प्रतिष्ठित कर दिया।जीते जी जीवन मुक्ति प्रदान करने का मार्ग सनातन धर्म और ग्रन्थ श्रीमद भागवत है। इसलिए जब भी अवसर मिले कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए इससे ने केवल कलियुग के दोषों से रक्षा होती है बल्कि भक्ति, ज्ञान और वैराग्य भी जीवन में प्रकट होते है।
अखंड ज्ञान आश्रम में ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी श्री ज्ञानानन्द जी महाराज के 31 वे पुण्य स्मृति महोत्सव के तीसरे दिन श्रीमद् भागवत कथा का वे श्रवण करवा रहे थे।मुख्य यजमान श्रीमती मैनाबाई बंशीलाल अग्रवाल ने पोथी पूजन अर्चन एवं स्वामीजी का स्वागत किया।आश्रम सहसंचालक स्वामी श्री देवस्वरूपानन्द जी महाराज ने स्वागत वंदन किया।
*सत्य की नाव कभी डूबेगी नहीं-*
स्वामीजी ने कहा की धर्म की सदैव जय होती है।
समय और परिस्थितिवश कभी अधर्म–असत्य समाज में लोगों को प्रभावित और भ्रमित करता नजर आता हैं।लेकिन उसका प्रभाव स्थायी नहीं होता है।विश्वास कीजिए सत्य की नाव हिलेगी और डुलेगी भी सही मगर डूबेगी नहीं। सत्य के पक्ष में जो खड़ा है उसकी विजय सुनिश्चित है। हमारे संत और ग्रन्थ हमें हमेशा सत्य के मार्ग पर नित नवीन उत्साह के साथ आगे बढने को प्रेरित करते है।
*गलत का विरोध करें*
आपने कहा की हमारे संस्कृति में गलत व्यक्ति और विचार का हमेशा से विरोध किया गया है। हम जब अपने कपड़े पर दाग स्वीकार्य नहीं करते है तो समाज /धर्म पर कोई दाग कैसे सहन कर सकते है!कथा हमें प्रेरित करती है कि सत्य के पक्ष में रहिए।यदि समाज में कही कोई गलत हो रहा है तो उसका विरोध अवश्य होना चाहिए। हमारी आंखों के सामने यदि गलत कार्य हो रहा है और हम मौन है तो यह सर्वथा अनुचित है।
*कथा श्रवण का मनोविज्ञान-*
चिदम्बरानंद जी ने बताया कि श्रीमद् भागवत जी में स्पष्ट रूप से कलियुग का प्रभाव शराबखोरी,जुआं,हिंसा और वैश्या गमन में बताया गया है।इन चारों से बचने का यदि कोई उपाय है तो वह है कथा श्रवण और संतो का सत्संग।कथा श्रवण से आपके विचार दूषित नहीं होंगे और जब आपके विचारों में पवित्रता होगी तो आचरण स्वत:ही श्रेष्ठ हो जायेगा।इसी मनोविज्ञान को समझते हुए हमारे ऋषियों ने कथा को सत्संग की व्यवस्था की थी।
*इन्होने किया स्वागत-*
आरम्भ में पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी,अशोक चौटाला,विप्लव जैन,राजेन्द्र वाघेला.विजय उपाध्याय,नित्येंद्र आचार्य,विशाल वर्मा,के.बी.व्यास,राकेश पोरवाल,गायत्री वीडी टंडन, ध्यान सिंह,देवी सिंह,गणेश शर्मा आदि ने स्वामीजी का स्वागत कर आशीर्वाद लिया।
इस धार्मिक आयोजन का
संचालन कैलाश व्यास ने किया।