Sculptures Stone : गंडकी नदी के पत्थरों से ही क्यों बनेगी राम-सीता की मूर्तियां!  

नेपाली नदी के 6 लाख साल पुराने पत्थरों का अलग ही धार्मिक महत्व! 

663

Sculptures Stone : गंडकी नदी के पत्थरों से ही क्यों बनेगी राम-सीता की मूर्तियां!  

Ayodhya (UP) : अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए रामलला और सीता माता की मूर्ति के लिए नेपाल की गंडकी नदी से शिलाएं लाई जा रही है। 127 क्विंटल की इन शिलाओं को नेपाल से सड़क मार्ग के जरिए लाया जा रहा है। ये शिलाएं जल्द ही अयोध्या पहुंचेगी। मूर्ति के लिए इस्तेमाल करने से पहले विधि विधान से इनकी पूजा की जाएगी।

इन शिलाओं को लेकर लोगों में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। आखिर रामजन्मभूमि राम की जिस स्वरुप को प्राण प्रतिष्ठित किया जाएगा, उसके लिए सुदूर नेपाल से ही शिलाएं क्यों लाई गई हैं। दरअसल, 6 लाख साल पुराने इन शालिग्राम पत्थर (Shaligram Stone) की कुछ विशेषताएं हैं तभी इन्हें वहां से लाया जा रहा है।

IMG 20230201 WA0020

शालिग्राम पत्थरों को शास्त्रों में साक्षात विष्णु का रूप माना जाता है। हिंदू धर्म में शालीग्राम पत्थर को भगवान की तरह पूजा जाता है। ये पत्थर सिर्फ उत्तर नेपाल की गंडकी नदी में पाया जाता है। हिमालय से आने वाला पानी इन चट्टानों से टकराकर पत्थर को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है। इन्हीं की मूर्ति बनाकर उन्हें पूजा जाता है। विज्ञान के नजरिए से समझें तो ये पत्थर एक तरह का जीवाश्म (Fossil) है, जो 33 तरह के होते हैं।

इन पत्थरों को तलाशकर बनाई जाती हैं मूर्तियां

देशभर में इन पत्थरों को तराशकर ही भगवान की मूर्तियां बनाई जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पत्थर को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में पूजा जाता है। यह भी मान्यता है कि इसे कहीं भी रखकर पूजने से उस जगह पर लक्ष्मी का वास होता है। 2024 की मकर संक्रांति से पहले भगवान रामलला की प्रतिमा इस पत्थर से बनकर तैयार हो जाएगी। इन पत्थरों का सीधा रिश्ता भगवान विष्णु और माता तुलसी से भी है। इसलिए शालिग्राम की अधिकतर मंदिरों में पूजा होती है और इनको रखने के बाद प्राण प्रतिष्ठा की जरूरत भी नहीं होती।

IMG 20230201 WA0022

इन शिलाओं से बनेगी रामजी और सीता माता की मूर्ति

अयोध्या लाए जा रहे ये दो शिलाएं 5-6 फीट लंबे और लगभग 4 फीट चौड़ी हैं।  इनका वजन लगभग 18 और 12 टन है। ‘राम लला’ की प्रतिमा इन चट्टानों से उकेरी जाएगी और मूल गर्भगृह में स्थापित की जाएगी। इन पवित्र चट्टानों से रामलला के साथ सीताजी की प्रतिमा भी तराशकर बनाई जाएगी। 2024 में मकर संक्रांति (14 जनवरी) को राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की नई मूर्ति स्थापित की जाएगी।