Shabd Rishi Samman : ‘मीडियावाला’ के 3 स्तंभकार ‘शब्द ऋषि पुरस्कार’ से सम्मानित(Honored)
Indore : नोबेल शांति पुरस्कार के विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि जो समाज सवालों की टॉर्च लेकर चलता है, वही आगे बढ़ता है। शब्दों के ऋषि यदि मन में करुणा को जगाए, तो वही आदर्श होता है। सत्यार्थी रविंद्र नाट्य ग्रह में स्टेट प्रेस क्लब द्वारा आयोजित तीन दिवसीय पत्रकारिता महोत्सव के दूसरे दिन ‘शब्द ऋषि पुरस्कार’ समारोह को संबोधित कर रहे थे।
इस समारोह में वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार स्वर्गीय नरेश मेहता की स्मृति में 20 पत्रकारों को उनके द्वारा किए गए किताब के लेखन के लिए ‘शब्द ऋषि अलंकरण'(Shabd Rishi Samman)से अलंकृत किया गया। इनमें ‘मीडियावाला’ पोर्टल के नियमित स्तंभकार जयराम शुक्ला, राकेश अचल और प्रमोद भार्गव को भी इस अलंकरण से सम्मानित किया गया। पांच पत्रकारों को मरणोपरांत यह अलंकरण दिया गया।
इस समारोह को संबोधित करते हुए सत्यार्थी ने कहा कि जो लोग स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का सपना देखते हैं, उन्हें फैसले अच्छे भविष्य के लिए लेना चाहिए। मेरे नोबेल पुरस्कार का बीज भी पत्रकारिता से पैदा हुआ है। मैंने पत्र संपादक के नाम लिखकर भेजा। वह पत्र आलेख के रूप में संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित हुआ।
फिर उस आलेख के मुझे पैसे मिलने लगे और यहीं से मेरा सफर शुरू हुआ। जो समाज सवालों की टॉर्च लेकर चलता है वही आगे बढ़ता है। जो समाज सवालों से बचता है वह प्रगति कभी नहीं करता है।
हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि परमात्मा कभी कोई अन्याय नहीं करता है। जब मैं स्कूल में पढ़ने जाता था, तब एक बच्चे को स्कूल में प्रवेश नहीं दिया गया। क्योंकि वह छोटी जाति का था। वह बच्चा प्रवेश के इंतजार में स्कूल के बाहर बैठा रहता था। इस बच्चे की आंख मेरा हमेशा पीछा करती रही। यह सवाल मेरे जेहन में पैदा हुआ कि क्या कोई बच्चा गुलामी के लिए पैदा किया गया है! इसी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए मैं लगातार लगा रहा।
उन्होंने कहा कि ‘संघर्ष जारी रहेगा’ नाम से मैंने एक पत्रिका शुरू की, जिसमें कि समाज से वंचित महिला और बच्चों की कहानी को प्रकाशित करने के साथ उस समस्या का समाधान भी बताया गया। हमारे देश की धरती में यदि 100 समस्या है, तो उसके एक अरब समाधान भी हैं।
हमारे शब्द जहां अंगारे, दीपक, आंधी और ठंडी बयार की तरह काम करते हैं। वहीं यह शब्द नए समाज की रचना करने और बुराई का खात्मा करने में सक्षम है। हम जब शब्दों के शिल्पी बनकर मन में करुणा को जगाए तो वही आदर्श है और यहीं से आंदोलन शुरू होता है।
इस समय हमारे देश में सोशल मीडिया के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, पावर ऑफ मनी सभी मिलकर गड़बड़ कर रहे है। देश में सच को झूठ और झूठ को सच बताया जा रहा है। हम सभी को यह संकल्प लेना होगा कि अगले 25 वर्ष में हम अपने देश भारत को महान बनाएं और उसके लिए भागीदारी करें। इस दुनिया को बेहतर बनाने के लिए हमें मंत्रों को अपने जीवन में उतारना होगा।
पत्रकारिता के समक्ष गंभीर चुनौती
प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि आज के युग में कुछ पल में सारी जानकारी मोबाइल पर आ जाती है। ऐसे में पत्रकारिता के समक्ष गंभीर चुनौती है।
जिस तरह से उज्जैन में सिंहस्थ पर्व का आयोजन होता है, उसी तरह से इंदौर का यह पत्रकारिता महोत्सव पत्रकारों का सिंहस्थ है। पिछले दिनों में हम लोगों ने कोविड-19 का सामना किया है। उसकी पहली लहर तो निकल गई, लेकिन दूसरी लहर में हमने बहुत पीड़ा देखी है।
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बहुत से लोग हमसे बिछड़े हैं मैं उन सभी को याद करते हुए श्रद्धांजलि देता हूं। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सांसद तथा इंदौर के पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे ने कहा कि पत्रकारिता में परिश्रम और अध्ययन किया जाना चाहिए। जब हम किसी भी मुद्दे की जड़ तक जाएंगे और लगातार काम करेंगे तो उससे प्रतिष्ठा बढ़ेगी।