- *कौशल किशोर चतुर्वेदी की विशेष रिपोर्ट*
भोपाल: चौथी पारी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौका मिलने पर खुद को दूसरों से बेहतर साबित करने में चूक नहीं कर रहे हैं। पन्ना में जब कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे तो मंचासीन कांग्रेस विधायक को उन्होंने बुंदेली में ही खरी-खरी सुना दीं। तो सब जनन खों राम-राम कर शिवराज ने बुंदेली जनता का मन मोह लिया। जब शिवराज पन्ना में कांग्रेस विधायक से उदारता दिखा रहे थे, तब कांग्रेस इंदिरा भवन में संयुक्त विपक्ष के साथ मिलकर मोदी सरकार की नाकामियों को जन-जन तक पहुंचाने और संयुक्त रूप से विरोध जताने का दम भर रही थी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पन्ना में बुंदेली में भाषण की शुरुआत कर अभिवादन किया कि इते कार्यक्रम में आए सब जनन खों राम राम। हमारे संग सब जने बोलो पद्मावती पुरी धाम पन्ना की जय। जुगल किशोर जी महाराज की जय। राम जानकी की जय। बलदाऊ जू की जय। प्राणनाथ प्यारे की जय। और पन्ना की जनता की जय। भैया पन्ना गजब नगरी है रे और गजब है पन्ना की जनता।अब देखो कितने उत्साह से मन्दिरन में जन्माष्टमी मनत है।
कांग्रेस विधायक को भी बुंदेली में आइना दिखाया कि बागरी जी हम कोई बेईमानी ऐईमानी नहीं करत यार। जे ब्रजेंद्र प्रताप सिंह, जब कमलनाथ आए थे तो बैठवे कुर्सी नईं दई थी। तुम बैठो आराम से, चिंता मत करो भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। तारीफ बुंदेली में बोलने की नहीं बल्कि शिवराज के बुंदेली टोन में बात करने की है। निश्चित तौर से जनता के लिए यह दिल छूने वाली बात मानी जा सकती है। हालांकि चुनाव पन्ना में नहीं बल्कि सतना जिले के रैगांव में है लेकिन शिवराज को मौका मिले तो जनता का दिल जीतने का मौका भी नहीं छोड़ते। पन्ना में बुंदेली में बोलना जरूर कुछ खास माना जा सकता है।
इधर राजधानी में कांग्रेस ने संयुक्त विपक्ष के साथ मिलकर मोदी सरकार की नाकामियों को जन-जन तक पहुंचाने की बात कही है। कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर भी निशाना साधा कि रिकार्ड बनाने में तो वह मोदी सरकार को भी मात दे रही है। कांग्रेस की चिंता है कि कुल 11.3 फासदी आबादी को डबल डोज लग पाई है और 40 फीसदी आबादी को सिंगल डोज लगा है। ऐसे में वैक्सीन का निर्यात करने की बात करना घोर आपत्तिजनक है। कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों पर भी सवालिया निशान लगाया तो मुआवजा न देने पर आपत्ति भी जताई। नमो टीका शब्द पर आक्रोश जताया तो आरोप लगाया कि सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। कोविड के आंकड़ों की बात हो या चीन से संबंध की,मोदी सरकार सही बात छिपाती है।इस सरकार को बेचने के लिए याद किया जाएगा। सार्वजनिक उपक्रम बेचने से देश संकट में है और सुरक्षा से समझौता किया जा रहा है। हालांकि वक्ता जो बोल नहीं पाए, वह प्रेस नोट में शामिल किया गया था। 19 पार्टियों की तरफ से जनता से आह्वान किया गया था कि वक्त की पुकार सुनकर, अपनी पूरी ताकत से धर्मनिरपेक्ष, जनतांत्रिक, गणतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा करने के लिए आगे आएं। भारत को बचाएं ताकि उसे एक बेहतर भविष्य के लिए बदल सकें।
हालांकि आलोचना करने की मंशा नहीं है लेकिन सामान्य तौर पर देखा जाए तो संयुक्त विपक्ष में कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई-एम और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल थे। और जिस तरह के आरोप लगाए, जन-जन उससे कितना इत्तेफाक रखेगा…यह भी सबको मालूम है। मध्यप्रदेश में संयुक्त विपक्ष के चार दल मिलकर 19 दलों की तरफ से अपील कर रहे थे और दावे के मुताबिक 6 दल भी इकट्ठे नहीं हो पाए। ऐसे में कम से कम मध्यप्रदेश में कमजोर स्थिति में मोदी सरकार का विरोध करना कितना सार्थक होगा, यह भविष्य ही बताएगा। क्योंकि संयुक्त विपक्ष में शामिल बाकी तीन दल का तो मध्यप्रदेश में फिलहाल कोई विधायक ही नहीं है। सवाल यह भी है कि मध्यप्रदेश में ऐसा संयुक्त विपक्ष कहीं मजबूत विपक्ष कांग्रेस को भी कमजोर करने वाला तो साबित नहीं होगा…।
खैर शिवराज पन्ना पहुंचकर बुंदेली में बात करते हुए ज्यादा खुश नजर आए तो मंच पर कांग्रेस विधायक को उलाहना देने के बाद भी भाजपा की दरियादिली का लोहा भी मनवाते दिखे। वहीं मोदी सरकार के खिलाफ संयुक्त विपक्ष मध्यप्रदेश में कितना कारगर साबित होगा, यह वक्त ही बताएगा।