गणेश चतुर्थी से होंगा नई संसद की कार्यवाही का श्री गणेश,96 वर्ष पुरानी 144 खम्बों पर खड़ी गोलाकार पुरानी संसद की भव्य और खूबसूरत इमारत को दी विदाई 

नए संसद भवन में मोदी युग की कई नई इबारतें लिखी जायेंगी 

गणेश चतुर्थी से होंगा नई संसद की कार्यवाही का श्री गणेश,96 वर्ष पुरानी 144 खम्बों पर खड़ी गोलाकार पुरानी संसद की भव्य और खूबसूरत इमारत को दी विदाई 

गोपेंद्र नाथ भट्ट की खास रिपोर्ट 

नई दिल्ली: भारतीय लोकतंत्र की 76 वर्ष तक मूक गवाह रही 96 वर्ष पुरानी और

144 खम्बों पर खड़ी गोलाकार पुरानी संसद की भव्य और खूबसूरत इमारत अपनी शताब्दी वर्ष से मात्र चार साल पहलें ही भारतीय संसद के लिए एक इतिहास और भुला बिसरा अध्याय बन जायेंगी। एक ऐसा इतिहास और विरासत जिसे भारत के 140 करोड़ लोग वर्षों तक नही भुला पायेंगे। 18 जनवरी, 1927 को पुरानी संसद बिल्डिंग बनकर तैयार हुई थी और 18 सितंबर, 2023 को इसकी विदाई हुई ।इन 96 सालों में पुरानी संसद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच भीषण बहसों, जोरदार हंगामों, सांसदों के भाषणों, ऐतिहासिक कानून और विधेयकों के पारित होने की गवाह रही है।

 

पुरानी संसद को अलविदा कहने के बाद अब गणेश चतुर्थी से नई संसद की कार्यवाही का श्री गणेश होंगा और मोदी युग में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए चिन्हों को मिटाते हुए नई संसद भारत के आजादी के अमृत काल में नई इबारत लिखेंगी ।

 

मंगलवार को गणेश चतुर्थी पर देश को नया संसद भवन मिल जाएगा और संसद के विशेष सत्र का दूसरा दिन नए संसद भवन में आयोजित होंगा।इसके साथ हीं पुराना संसद भवन अब बस स्मृतियों का हिस्सा रह जाएगा।

 

संसद के विशेष सत्र का पहला दिन पुराने संसद भवन में बीता।इस दौरान पीएम मोदी ने इस संसद भवन की विरासत को याद किया।वहीं, कुछ घटनाओं को लेकर तंज भी कसा।अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्रीकई बार भावुक भी हो गए।

 

पुरानी संसद भवन के आख़िरी दिन सोमवार को सांसदों को सम्बोधित करते हुए राज्यसभा के चेयरमेन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड ने संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा और निचले सदन लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस ढंग से संसद की पुरानी ऐतिहासिक बिल्डिंग में भारत के सुनहरे संसदीय इतिहास की यात्रा की जिस ढंग से व्याख्या की वह अपने आपमें अद्भुत कही जा सकती है। वैसे संसद के पुराने भवन का इतिहास इतना समृद्ध है कि उनका उल्लेख करते-करते अनेक पृष्ठ भर सकते हैं।

 

प्रधानमंत्री मोदी ने पुराने संसद भवन में अपने 52 मिनट की आखिरी भाषण में कहा कि आजादी के बाद इस भवन को संसद भवन के रूप में पहचान मिली। इस इमारत का निर्माण करने का फैसला विदेशी शासकों का था। उन्होंने कहा कि हम गर्व से कह सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में पसीना और परिश्रम देशवासियों का लगा था। पैसे भी देश के लोगों के लगे। मोदी ने कहा कि सदन से विदाई लेना एक बेहद भावुक पल है, परिवार भी अगर पुराना घर छोड़कर नए घर में जाता है तो बहुत सारी यादें उसे कुछ पल के लिए झकझोर देती हैं। उन्होंने कहा कि  हम इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो हमारा मन मस्तिष्क भी उन भावनाओं और अनेक यादों से भरा हुआ है। यह भवन कई उत्सव-उमंग, खट्टे-मीठे पल, नोक-झोंक आदि सभी यादों के साथ जुड़ा हुआ है।

 

पुरानी संसद में सोमवार को संसद की कार्यवाही के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके कार्यों को याद किया। मोदी ने कहा कि ये वो सदन है जहां आजादी के बाद नेहरु ने अपना पहला भाषण दिया था ।पंडित नेहरू का स्टोक्स ऑफ मिडनाइट की गूंज हम सबको प्रेरित करती है। इसी तरह इन्दिरा गांधी के नेतृत्व में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का आंदोलन भी इसी सदन ने देखा था। इसी सदन ने इमरजेंसी भी देखी।इसी सदन से लाल बहादुर शास्त्री ने जवानों का हौसला बढ़ाया और जय जवान,जय किसान का नारा दिया ।इसी सदन से अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कई साहसिक फैसले लिए। मोदी ने ऐसी अन्य कई ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र भी किया।

 

मोदी ने कहा कि सदन ने कैश फॉर वोट और 370 को भी हटते देखा है। वन नेशन वन टैक्स, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन, गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण भी इसी सदन ने दिया।

 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहली बार एक सांसद के रूप में मैंने जब इस भवन में प्रवेश किया था तो सहज रूप से मैंने संसद भवन की चौखट पर अपना शीश झुका दिया था । इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन करते हुए मैंने इसमें पैर रखा था। वह पल मेरे लिए भावनाओं से भरा हुआ पल था। उन्होंने कहा कि मैं कल्पना नहीं कर सकता, लेकिन भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि रेलवे प्‍लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला एक बच्चा कैसे पार्लियामेंट पहुंचता है। मुझे यकीन नही था कि देश मुझे इतना सम्मान देगा।’

मोदी ने कहा कि हमारे संसद भवन के गेट पर लिखा है, जनता के लिए दरवाजे खोलिए और देखिए कि कैसे वो अपने अधिकारों को प्राप्त करते हैं। हम सब और हमारे पहले जो रहे है वो इसके साक्षी रहे हैं और हैं। उन्होंने कहा कि वक्त के साथ संसद की संरचना भी बदलती गई। इस भवन में समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधि विविधताओं से भरा हुआ नजर आता है। समाज के सभी तबके के लोगों का यहां अभूतपूर्व योगदान रहा है।

 

मोदी ने बताया कि प्रारंभ से अब तक 7500 से अधिक प्रतिनिधि गण दोनों सदनों में आ चुके हैं। शुरु में महिला सदस्यों की संख्या अवश्य कम थी, लेकिन धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़ी। इस कालखंड में करीब 600 महिला संसद में आईं। इंद्रजीत गुप्ता 43 साल तक इस सदन के साक्षी रहे जब कि शफीकुर्रहमान 93 साल की उम्र में भी सदन में आ रहे हैं।

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मोदी ने कहा कि लोकतंत्र के इस मन्दिर में आतंकी हमला भी हुआ था। यह हमला इस इमारत पर नहीं बल्कि हमारी जीवात्मा पर हुआ था। ये देश उस घटना को कभी नहीं भूल सकता। उन्होंने कहा कि आतंकियों से लड़ते हुए जिन सुरक्षाकर्मियों ने हमारी रक्षा की, उन्हें कभी नहीं भूला जा सकता।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब आज हम इस सदन को छोड़ रहे हैं तब मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद दिलाना चाहता हूं जो संसद की रिपोर्टिंग करते रहे। कुछ तो ऐसे रहे जिन्होंने पूरी जिदंगी संसद की रिपोर्टिंग की है। उन्होंने कहा कि पहले समाचार प्रेषण की

आज जैसी डिजिटल तकनीक उपलब्‍ध नहीं थी, तब वही लोग और उनका सामर्थ्‍य था कि वे अंदर की खबर देश वासियों तक पहुंचाते थे।

 

पुरानी संसद के विशाल गलियारों में कई क़यासों के साथ आज एक और नई बात की गूँज भी सुनाई दी कि अगले वर्ष होने वाले लोकसभा आम चुनावों के साथ कुछ प्रदेशों के विधान सभा चुनाव भी करवा मोदी सरकार द्वारा एक देश एक चुनाव पद्धति का पूर्वाभ्यास किया जा सकता है।