(बाग से जय तापड़िया)
Bagh (Dhar) : आदिवासी बहुल ब्लॉक बाग में ‘सिकल सेल एनीमिया’ नामक घातक लाइलाज बीमारी के सूचीबद्ध 22 से अधिक गांव के 73 ग्रामीण मरीजों के लिए आशा की नई किरण जागी हैं। राज्यपाल ने इस बीमारी के अनुसंधान के निर्देश दिए हैं। हालांकि, इस रोग से पीड़ित मरीजों की संख्या कहीं अधिक हो सकती हैं। घातक बीमारी की वजह से 20 से 30 वर्ष की अल्प आयु में ही मौतें होना प्रकाश में आया है।
यह अनुवांशिक बीमारी होने से यह भावी पीढ़ी में लगातार फैलती जा रही हैं। हाल ही में राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने राजभवन में ‘सिकल सेल एनीमिया’ की रोकथाम के प्रयासों पर बैठक लेकर प्रदेश भर में सर्वेक्षण और अनुसंधान की बात कही। ऐसे में माना जा सकता है कि आगामी दिनों में इसे लेकर त्वरित कार्रवाई होगी। जिलेभर के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में यह बीमारी कई इलाकों में अपने पैर पसारे हुए है। अकेले बाग विकासखंड में 22 से अधिक गांव इस बीमारी से प्रभावित हैं। कुछ तो ऐसे परिवार है, जहां मां के साथ बेटी को भी इस बीमारी ने अपने शिकंजे में ले लिया।
बदनावर और धार क्षेत्र को छोड़कर आदिवासी बहुल कुक्षी, गंधवानी, डही में इस बीमारी से सैकड़ों मरीज हैं। मोटे अनुमान के अनुसार जिलेभर में इस बीमारी के एक हजार से अधिक मरीज होंगे। पीपरी, कुडूझेता, आगर, घटबोरी, वेकलिया, बांकी-बाग, कदवाल, नीमखेड़ा, चिजबा, जामला, पाडल्या, अखाड़ा, जामनियापुरा, बंधानिया, मेरती, भमोरी, झाबा, करकदा, टांडा, खनिअंबा, खरवाली, मगदी आदि में इस बीमारी के मरीज सबसे अधिक संख्या में हैं।
क्या हैं सिकल सेल एनीमिया
पिछड़े व गरीब क्षेत्रों में पाई जाने वाली ‘सिकल सेल एनीमिया’ लाइलाज और वंशानुगत बीमारी है। इस बीमारी से ग्रसित माता-पिता के जीन से बच्चों में यह बीमारी फैलती है। बीमारी में सामान्य रक्त कोशिकाओं का आकार प्रभावित होकर हसिए (अर्ध चंद्राकार) जैसा हो जाता है। ऐसे में रक्त कोशिकाओं को आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा नहीं मिलती हैं। मरीजों को बुखार के साथ हड्डियों में दर्द की शिकायत रहती है और खून की कमी हो जाती हैं।
डॉक्टर की सलाह
मरीजों को सलाह दी गई है कि चिकित्सक की देखरेख में फोलिक एसिड की गोली लगातार ली जाना चाहिए। दर्द होने पर केवल पेरासिटामोल गोली का उपयोग करना है। ठंड से बचाव के साथ संतुलित आहार और अधिक मात्रा में मरीजों को पानी पीना चाहिए। हीमोग्लोबिन की जांच समय-समय पर करवाते रहना चाहिए।
अधिकारी का कहना है
डॉ आरके शिंदे (बीएमओ बाग) के मुताबिक, ‘सिकल सेल एनीमिया’ की घातक बीमारी आदिवासी समुदाय विशेषकर भिलाला समुदाय में अधिक पाई गई हैं। रोगी को सिकलसेल बीमारी का कार्ड बनाकर दिए गए, ताकि अन्यत्र उपचार में उपयोगी हो। बीमारी के उपचार में बोन मेरो ट्रांसप्लांटेशन एक कारगार उपाय हैं। यह सुविधा एमवाय अस्पताल इंदौर में उपलब्ध है। हालांकि, यह खर्चीली सुविधा हैं। बीमारी की रोकथाम के लिए जीन स्टडी पर अनुसंधान चल रहा हैं।