Sidhi Urination Act:मुद्दों की रस्साकसी …
जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे मुद्दों की छीना झपटी का खेल मध्यप्रदेश में रोमांचक दौर में पहुंच रहा है। कोई भी मुद्दा बनने की हैसियत वाली गेंद उछली कि वार-पलटवार का खेल शुरू हो जाता है। विपक्ष जिस मुद्दे को अपना विनिंग शॉट समझ बैठता है, सरकार उसको अपने पाले में लाने में सफल हो जाती है। ऐसा ही मुद्दा था सीधी जिले में सीधे-साधे, भोले-भाले कोल आदिवासी दसमत का। जिस पर पेशाब करते भाजपा विधायक प्रतिनिधि रहे प्रवेश शुक्ला नाम के विकृत मानसिकता के शख्स के वायरल हुए वीडियो ने पूरे प्रदेश को शर्मसार कर दिया था। प्रवेश भी इतना शातिर कि आनन-फानन में दसमत से ही शपथ पत्र पेश करवा दिया कि वायरल वीडियो विरोधियों की साजिश है। पर तब तक बाजी हाथ से निकल चुकी थी और मुद्दा बन गई थी यह घृणित घटना।
इसके बाद मुद्दा बना फुटबाल और कभी विपक्ष ने गोल करने की कोशिश की, तो कभी सरकार ने प्रयास किया। विपक्ष ने कानून-व्यवस्था, आदिवासियों की दयनीय हालत, शिव राज पर आक्रोश जताकर सरकार पर गोल साधा, तो सरकार ने आरोपी की गिरफ्तारी कर, उसके मकान पर बुलडोजर चलाकर और एनएसए लगाकर बोनस प्वाइंट हासिल कर लिए। फिर शिवराज ने दसमत को सीएम हाउस बुलाकर, पैर पखारकर, दसमत के चरणों की अमृत बूंदें माथे पर लगाकर, दसमत को सुदामा की पदवी दे उसके परिवार की सारी समस्याओं का समाधान करने का प्रण लेकर यह जता दिया कि आदिवासियों, गरीबों के प्रति भाव और संवेदनशीलता का अथाह सागर शिवराज के ह्रदय में विद्यमान है। इससे शिवराज ने एक तो अपनी सरल, सहज, सह्रदय और संवेदनशील होने की ब्रांड इमेज का डंका बजा दिया और दूसरा दसमत को सुदामा की तरह दोस्त बनाकर यह गारंटी दे दी कि दसमत को अब जीवन में कोई दिक्कत नहीं आने देंगे। कांग्रेस एक बार फिर मुर्दा बन चुके इस मुद्दे में प्राण फूंकने की हरसंभव कोशिश कर रही है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज द्वारा दसमत रावत के पैर पखारने और चरण अमृत माथे पर लगाने का जो दृश्य मध्यप्रदेश और देश-दुनिया में देखा गया, वह अद्भुत था। दसमत रावत वीडियो वायरल होने से पहले भी प्रवेश का शिकार बनता रहा होगा, पर उसे इतना सम्मान भी नसीब हो सकेगा…यह उसने कभी भी नहीं सोचा होगा। दसमत रावत 6 जुलाई 2023 को मुख्यमंत्री निवास पहुंचे।मुख्यमंत्री चौहान ने पैर धोकर सम्मान किया। घटना पर दुख जताया, माफी मांगी और कहा मन द्रवित है ,मन दुखी है, मेरे लिए जनता ही भगवान है। मुख्यमंत्री ने दशमत से अनेक विषयों पर चर्चा की। लाड़ली लक्ष्मी से लेकर लाड़ली बहना तक सभी योजनाओं की जानकारी ली। दसमत को मुख्यमंत्री ने सुदामा कहा, कहा दसमत तुम अब मेरे दोस्त हो। मुख्यमंत्री चौहान ने दशमत की पत्नी से फोन पर चर्चा कर परिवार का हाल जाना एवम घटना पर दुख व्यक्त किया। भाव व्यक्त किए, मेरे लिए दरिद्र ही नारायण है और जनता ही भगवान है। जनता की सेवा हमारे लिए भगवान की पूजा है और हम यह मानते हैं कि हर इंसान में ही भगवान निवास करता है। भाई दसमत के साथ अन्याय हुआ मेरा मन दर्द, पीड़ा और व्यथा से भर गया। इसलिए मैंने दसमत को यहां बुलाया क्योंकि मन गहरी वेदना से भरा हुआ था। मन में बहुत तकलीफ थी कि एक बहुत अमानवीय घटना हमारे भाई के साथ घटी।
मैं व्यथित था और मैं अंतरात्मा से मानता हूं गरीब ही हमारे लिए पूज्य है और उसका अपमान मतलब हम सबका अपमान है।एक तरफ जिसने अन्याय किया उस को कड़ी सजा और जो अपराध करता है, अन्याय करता है उसका कोई धर्म नहीं होता, कोई जाति नहीं होती, कोई पार्टी नहीं होती। इसलिए जिसने अन्याय किया उस को कड़ी सजा और जिसके साथ अन्याय हुआ उसको कलेजे से लगाकर उसकी पीड़ा भी कम करने की कोशिश…! मैं प्रदेशवासियों से भी अपील करना चाहता हूं हम सभी के प्रति और विशेषकर, गरीबों के प्रति हमारे ऐसे भाई – बहनों के प्रति हम मानवीयता, करुणा, प्रेम, दया और संवेदना से भरे रहें। मैं कोई भगवान कृष्ण जैसा नहीं हूं लेकिन मुझे लगा मेरा भाई आया है तो मैं प्रेम से उसे गले लगाऊं और उसे सम्मान देने की कोशिश करूं यही भाव मेरे मन में था। दो ही चीजें एक संदेश गरीब की इज्जत सबसे बड़ी है हमारे लिए और दूसरा कठोरतम दंड ताकि कोई ऐसी हिम्मत ना करें। गरीब का अपमान- हम सबका अपमान है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण यादव ने एक ट्वीट किया था कि मोहब्बत में बहुत ताकत होती है, मोहब्बत से दुनिया जीत सकते हैं। मोहब्बत जिंदाबाद। तो शिवराज ने साबित किया कि हां उन्हें गरीबों, आदिवासी और वंचितों से मोहब्बत है और इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार हैं।
मुद्दे की बात यह कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मप्र में आदिवासी समूह पर अत्याचार और सीधी में हुई अमानवीय घटना पर कहा कि 18 साल की शिवराज सिंह सरकार ने मध्यप्रदेश में कानून एवं व्यवस्था की ऐसी बदहाल व्यवस्था बनाई है कि कोई व्यक्ति, कोई समुदाय सुरक्षित नहीं है। मध्यप्रदेश का आदिवासी समाज आज गहरे संकट में है। आदिवासियों पर मध्यप्रदेश में सर्वाधिक अत्याचार और क्रूर घटनाएं हो रही हैं। नेमावर में हुए आदिवासी नरसंहार में मासूम बच्ची सहित परिवार के 6 सदस्यों को मारकर जमीन में गाड़ दिया गया, उसके परिजन आज तक न्याय के लिए भटक रहे हैं। कमलनाथ ने कहा कि आज आवश्यकता पैर धोने की ही नहीं अपने मन का मैल धोने की भी है। नीमच में आदिवासी युवक को गाड़ी से बांधकर, घसीटकर मार डाला गया। गुना में आदिवासी महिला को डीजल डालकर जिंदा जला दिया गया।
सिवनी में 2 आदिवासियों को पीट-पीट कर मार डाला गया और अब सीधी में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना हुई, जिसमें आदिवासी के मुॅंह पर पेशाब की गई। उक्त घटना देखकर माथा लज्जा से झुक जाता है। कमलनाथ ने कहा कि दुखद पहलू यह है कि ऐसी क्रूर घटनाओं के पीछे सत्ताधारी दल भाजपा और इनसे जुड़े संगठनों के लोगों के नाम सामने आये हैं। आज सत्ताधारी दल के लोग बैखौफ होकर आदिवासियों पर, कमजोरों पर अत्याचार कर रहे हैं। कमलनाथ ने कहा कि जब कोई घटना उजागर हो जाती है और उसके खिलाफ आंदोलन खड़ा हो जाता है, तभी भाजपा सरकार कार्यवाही करने का नाटक करती है और मामले के ठंडा होते ही लीपापोती करना शुरू कर देती है। झूठी संवेदनाएं दिखाने के लिए कैमरे के सामने नौटंकी कर गुमराह करने की राजनीति की जाती है। बात आरोपियों को जमीन में गाड़ने की होती है और काम उन्हें बचाने का होता है। ऐसा क्यों है कि 18 साल की भाजपा सरकार प्रदेश में ऐसी व्यवस्था आज तक नहीं बना पाई, जो गरीब और कमजोर को सुरक्षा और न्याय दे सके?
सवाल किया कि ऐसा क्यों है कि कानून और व्यवस्था को सत्ताधारी दल के लोग हाथों की कठ-पुतली की तरह उपयोग कर रहे हैं? ऐसा क्यों है कि मध्यप्रदेश आदिवासी अत्याचार में लगातार नम्बर एक पर आ रहा है? 18 साल में तो ऐसी व्यवस्था बन जानी चाहिए थी कि प्रदेश का हर एक गरीब और कमजोर व्यक्ति गर्व से सीना तानकर प्रदेश में सम्मान के साथ जीवन जी सके। पर दुख का विषय है कि भाजपा सरकार ऐसी व्यवस्था बनाने में पूरी तरह असफल रही है। कमलनाथ ने कहा कि आज मध्यप्रदेश के कमजोर, दलित, आदिवासी, बच्चों और महिलाओं को खैरात की जरूरत नहीं है, उन्हें सम्मान और सुरक्षा के साथ मानव का जीवन जीने का अधिकार चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं प्रदेश के हर कमजोर व्यक्ति और समुदाय के साथ हूं और उनकी सुरक्षा का वचन देता हूं।
तो जो लक्ष्य कमलनाथ का है, उससे ज्यादा सरोकार सरकार और शिवराज का भी है। शिवराज की सहजता, सरलता और सह्रयता का वाकई कोई जवाब नहीं है। पर यह साल मुद्दों के खुद पैदा होने, जैसे अचानक एक पुराना वीडियो वायरल हुआ और सबका सिर शर्म से झुक गया। फिर यह मुद्दा बना मंजिल की तलाश करते हुए यह संदेश दे गया है कि फिलहाल आपदा को अवसर बना भुनाने का हुनर भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान में ही है। चुनावी साल है मुद्दों की यह रस्साकसी चलती रहेगी और हर बार विजेता का ऐलान करती रहेगी…। मध्यप्रदेश में 6 जुलाई 2023 का दिन दसमत का था, सम्मान का यह सागर उसे संजीवनी तो दे ही गया…।