Silver Screen: फ्लॉप फिल्मों के इतिहास में कई ‘धाकड़’ दर्ज!

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Silver Screen: फ्लॉप फिल्मों के इतिहास में कई ‘धाकड़’ दर्ज!

फिल्मों का इतिहास सौ साल से भी पुराना है। इस दौरान बहुत कुछ अच्छा भी हुआ और बुरा भी। फ़िल्में हिट भी हुई और फ्लॉप भी! फ्लॉप इसलिए कि हिट फिल्मों का कोई तयशुदा फार्मूला नहीं है! जो फिल्म दर्शकों के दिल को छू जाए वो हिट और जो दिल से उतर जाए, वो फ्लॉप! फिल्म बनाने वाला निर्माता अपनी तरफ से कभी कोई कसर नहीं छोड़ता, पर दर्शकों के मूड का कोई भरोसा नहीं! ‘शोले’ जैसी कालजयी फिल्म के बारे में एक सच यह भी है कि ‘जय संतोषी मां’ के कारण ये फिल्म शुरू में नहीं चली! निर्माता ने भी समझ लिया था कि सारी मेहनत बेकार चली गई!

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पर, दो सप्ताह बाद इस फिल्म ने ऐसी गति पकड़ी कि इतिहास बन गया! ताजा घटना रंगना रनौत की फिल्म ‘धाकड़’ को लेकर है। इस फिल्म ने रिलीज होते ही, दम तोड़ दिया। जबकि, शुरूआती सप्ताह में सभी फ़िल्में चल जाती है, पर ये फिल्म चार दिन में सिमट गई! सौ करोड़ में बनी इस फिल्म की दुर्गति इतनी बुरी होगी ये सोचा नहीं गया था। फिल्म के फ्लॉप होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार माने जाते हैं। फिल्म की लचर कास्ट, बेदम कहानी, निष्प्रभावी निर्देशन या फिर कुछ और! लेकिन ‘धाकड़’ के फ्लॉप होने के पीछे कंगना इमेज को भी जोड़कर देखा जा रहा है! यदि ये सच है, तो किसी फिल्म के फ्लॉप होने का एक नया कारण है।

इसे अब तक की ऐतिहासिक फ्लॉप फिल्मों में एक माना जा रहा है। इससे पहले अब्बास मस्तान की फिल्म ‘मशीन’ (2017) को बॉलीवुड के इतिहास की सुपर फ्लॉप फिल्म माना गया था। ‘मशीन’ के बारे में यह अनुमान इसलिए लगाया गया था, कि मुंबई के एक थियेटर में सिर्फ एक शख्स इस फिल्म को देखने पहुंचा था। इसके बाद फिल्म के सारे शो कैंसिल कर दिए गए। जबकि ‘धाकड़’ को देखने औसतन 5 दर्शक टॉकिज में आए!

ये पहली घटना नहीं है, जब बहुत उम्मीद जगाने के बाद कोई फिल्म दर्शकों को पसंद नहीं आई हो! फ्लॉप फिल्मों के पन्ने पलटे जाएं तो ऐसी सैकड़ों फ़िल्में हैं, जो सारे फार्मूलों के आजमाए जाने के बाद भी नहीं चली। 2015 में आई ‘बॉम्बे वेलवेट’ 120 करोड़ के बजट में बनी फिल्म थी। लेकिन, इसकी असफलता ने पूरी इंडस्ट्री को हिला दिया था। फिल्म ने दुनियाभर में सिर्फ 34 करोड़ का बिजनेस किया।


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अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी इस फिल्म में रणबीर कपूर, अनुष्का शर्मा और करण जौहर मुख्य भूमिका में थे। 130 करोड़ में बनी शाहरुख़ खान की ‘रा-वन’ (2011) में वीएफएक्स के प्रयोग की कोशिश, जो सफल नहीं हुई! करीना कपूर के अलावा एकॉन के संगीत सहित कई फार्मूलों के बावजूद फिल्म फ्लॉप रही। 200 करोड़ की लागत से बनी शाहरुख खान की ‘जीरो’ ने भी बॉक्स ऑफिस पर पानी नहीं मांगा था।

फिल्म में शाहरुख बौना किरदार निभाया था। उनके साथ कैटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा भी थे। पर कलेक्शन हुआ था 178 करोड़ का! फिल्म ने 97 करोड़ का बिजनेस किया था। सलमान खान की ‘ट्यूबलाइट’ भी 135 करोड़ में बनी, पर दर्शकों ने ईद पर रिलीज होने के बाद भी इसे नकार दिया था।

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शाहिद कपूर और आलिया भट्ट की 2015 में आई ‘शानदार’ की लागत 69 करोड़ थी, पर ये बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाल नहीं कर सकी। बड़े कलाकार, भव्य सेट, सुपरहिट गाने भी फिल्म को बचा नहीं सके। फिल्म ने 40 करोड़ की कमाई की जिसमें लागत भी नहीं निकली। ऐसी ही हालत राकेश रोशन की फिल्म ‘काइट्स’ की भी हुई थी।

अनुराग बसु के निर्देशन में 50 करोड़ में बनी और ऋतिक रोशन और कंगना रनौत जैसी कास्ट भी फिल्म को बचा नहीं पाई। संजय लीला भंसाली जैसे बड़े निर्देशक की 40 करोड़ की फिल्म ‘सांवरिया’ की भी दुर्गति हुई थी। इस फिल्म से रणबीर कपूर और सोनम कपूर ने बॉलीवुड डेब्यू किया था। दर्शकों ने उनकी एक्टिंग भी अच्छी लगी, पर कहानी बेदम थी। फिल्म साढ़े 18 करोड़ का ही बिजनेस कर सकी थी।

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सलमान खान की ‘युवराज’ भी बड़ी फ्लॉप की गिनती में दर्ज है। 50 करोड़ के बजट वाली इस फिल्म ने कटरीना कैफ, अनिल कपूर और मिथुन चक्रवर्ती हुए 16 करोड़ कमाए थे। सलमान की फ्लॉप फिल्मों की लिस्ट में ‘रेस-3’ (2018) भी है जो 180 करोड़ में बनी, पर कमाई के मामले में 166 करोड़ पर टिक गई।

सलमान खान के अलावा फिल्म में अनिल कपूर, बॉबी देओल, डेजी शाह, जैकलीन फर्नांडिस मुख्य भूमिका में थे। जबकि, ‘रेस-1’ और ‘रेस-2’ ने फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा दिया था। हरमन बवेजा जब फिल्मों में आए थे तब प्रियंका चोपड़ा के साथ उनकी ‘लव स्टोरी ऑफ 2050’ फिल्म आई थी। 60 करोड़ में बनी ये फिल्म कमाई के मामले में 18 करोड़ में सिमट गई थी।

कोई भी फिल्मकार निर्माण में कभी कोई समझौता नहीं करता! उसकी कोशिश होती है कि दर्शक उसके प्रयोग को पसंद करें। फिल्म के प्रचार के लिए भी सारे हथकंडे अपनाए जाते हैं। लेकिन, पहले शो के बाद रिजल्ट सामने आ जाता है। सबसे ज्यादा असर करती है फिल्म की माउथ पब्लिसिटी। टॉकीज से बाहर निकले दर्शक की पहली प्रतिक्रिया सबसे ज्यादा मायने रखती है।

उसके लिए ये बात मायने नहीं रखती कि फिल्म का बजट क्या था और इसके पीछे कितनी मेहनत की गई! उसके लिए ये बात ज्यादा मायने रखती है कि फिल्म ने उसका मनोरंजन किया या नहीं! ऐसा नहीं कि हर महंगी फिल्म हिट ही हो! बल्कि, ऐसी फिल्मों के फ्लॉप होने का हल्ला ज्यादा होता है। अब तक ऐसी कई महंगी फिल्में बन चुकी है, जो बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी। इस लिस्ट में कोई बड़ा अभिनेता-अभिनेत्री नहीं बची। फिर वो अमिताभ बच्चन हो, शाहरुख़ खान हो, आमिर खान या फिर सलमान खान!

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अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘अजूबा’ 1991 में रिलीज हुई थी। 8 करोड़ के बजट से बनी तब इस फिल्म ने 4.5 करोड़ ही कमाए थे। ये उस समय की सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्मों में से एक थी। जबकि, इसमें शशि कपूर, ऋषि कपूर जैसे कलाकारों ने भूमिका निभाई थी और फिल्म का कथानक सुपरहीरो पर आधारित था। लेकिन, इसे दर्शकों ने नकार दिया। 1993 में आई बोनी कपूर की बड़े बजट वाली फिल्म ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ उस समय फ्लॉप हुई थी, जब अनिल कपूर और श्रीदेवी अपने स्टारडम के चरम पर थे।

इस फिल्म का बजट 9 करोड़ था और फिल्म ने 6 करोड़ का ही बिजनेस किया था। 2010 में आई ‘गुजारिश’ एक रोमांस ड्रामा फिल्म थी, जिसका बजट 50 करोड़ था। ऋतिक रोशन और ऐश्वर्या राय जैसे सुपरस्टार्स इसमें लीड रोल में थे। लेकिन, ये फिल्म अपनी लागत भी नहीं निकाल पाई थी। इस फिल्म ने सिर्फ 29 करोड़ का बिजनेस किया था। इसी साल आई ‘खेलें हम जी जान से’ में दीपिका पादुकोण और अभिषेक बच्चन लीड रोल में थे। 40 करोड़ में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सिर्फ 5 करोड़ कमाए थे।


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2000 में आई ‘राजू चाचा’ में ऋषि कपूर, अजय देवगन और काजोल मुख्य भूमिका में थे। फिल्म का बजट 30 करोड़ रुपए था। जबकि फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 15 करोड़ रुपए की कमाई की थी। 2001 में आई शाहरुख़ खान और करीना कपूर की ‘अशोका’ ऐतिहासिक कथानक पर बनी थी। लेकिन, ये फिल्म अपना बजट भी नहीं निकाल पाई। इस फिल्म का बजट 12.5 करोड़ रुपए था, जबकि बॉक्स ऑफिस कलेक्शन था 8.25 करोड़। 2005 में आई आमिर खान की ‘मंगल पांडे’ को आमिर के करियर की सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्म माना जाता है।

37 करोड़ की लागत से बनी इस फिल्म का कलेक्शन था 28 करोड़ रुपए। 21 करोड़ रुपए के बजट से बनी ‘रामगोपाल वर्मा की आग’ (2007) मल्टीस्टारर फिल्म थी पर इसने 16 करोड़ ही कमाए। 2009 में आई ‘ब्लू’ भी मल्टीस्टारर फिल्म थी। ये फिल्म 129 करोड़ की लागत से बनाई गई थी, पर इसने बिजनेस किया था 70 करोड़ का। अभिषेक और प्रियंका के मुख्य किरदार वाली ‘द्रोणा’ 2008 में रिलीज हुई थी। इस सुपरहीरो फिल्म का बजट 60 करोड़ रुपए था। जबकि, इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर महज 9 करोड़ का बिजनेस किया था।

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अक्षय कुमार की ‘चांदनी चौक टू चाइना’ 2009 में आई और भारी प्रचार के बाद भी धड़ाम से गिर गई थी। इसे बनाने में 80 करोड़ खर्च हुए थे, लेकिन ये फिल्म 55 करोड़ की ही कमाई कर पाई। 2013 की फिल्म ‘बेशरम’ भी बॉलीवुड की बड़ी फ्लॉप फिल्मों में से एक है। इसमें रणबीर कपूर और पल्लवी शारदा मुख्य किरदार में नजर आए थे। फिल्म का बजट 85 करोड़ था। लेकिन, यह फिल्म महज 35 करोड़ का ही कारोबार का पाई थी।

2013 में आई ‘जंजीर’ में दक्षिण के सुपरस्टार रामचरण, संजय दत्त और प्रियंका चोपड़ा ने काम किया था। रामचरण तेजा साउथ में जितने लोकप्रिय हैं, वो बॉलीवुड में उतने ही फ्लॉप रहें। फिल्म को बनाने में करीब 60 करोड़ का खर्च आया। लेकिन, फिल्म सिर्फ 15 करोड़ रुपए कमा पाई। अमिताभ बच्चन और आमिर खान की बड़े बजट की फिल्म ‘ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान’ (2018) को बॉलीवुड की बड़ी फ्लॉप फिल्म कहा जाता है। इस फिल्म का बजट 300 करोड़ था। लेकिन, फिल्म 145 करोड़ का ही कारोबार करने में सफल रही।

लगातार 15 हिट फिल्म देने वाले राजेश खन्ना की आखिरी 7 फिल्में बुरी तरह फ्लॉप हुई थी। इसकी शुरुआत हुई 1976 से जब उनकी लगातार तीन फ़िल्में फ्लॉप हुई। फिल्म ‘महाचोर’ ने बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ा। इसके बाद ‘बंडलबाज’ भी औंधे मुंह गिर पड़ी। शक्ति सामंत के साथ कई हिट फ़िल्में देने के बावजूद उनकी फिल्म ‘महबूबा’ (1976) ने भी उम्मीदें धराशाई कर दी। इसके बाद तो उनकी फ्लॉप फिल्मों का सिलसिला चलता ही गया। कुछ ऐसा ही सुभाष घई के साथ भी हुआ। उन्होंने अपने करियर में कई बड़ी हिट फ़िल्में दी।

लेकिन ‘सौदागर’ और ‘ताल’ जैसी फ़िल्में बनाने वाले इस फिल्मकार की पांच फिल्मों ने उनका करियर ख़त्म कर दिया। ऋतिक रोशन, करीना कपूर और जैकी श्रॉफ की ‘यादें’ (2001), विवेक ओबेरॉय और ईशा शरवानी की 2005 में आई फिल्म किसना, 2008 की ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ जिसमें अनिल कपूर, शैफाली छाया और अदिति शर्मा ने काम किया था बुरी तरह फ्लॉप हुई थी। 2008 में ही आई सलमान खान और कैटरीना की ‘युवराज’ को भी सुभाष घई की फ्लॉप फिल्मों में गिना जाता है। 2014 की ‘कांची’ में मिष्टी और कार्तिक आर्यन को लेकर उन्होंने एक प्रयोग किया था, जो नहीं चला। हिट और फ्लॉप का ये सिलसिला तो हमेशा चलता रहेगा, क्योंकि टिकट खरीदने वाले दर्शक को सिर्फ मनोरंजन चाहिए! यदि नहीं मिलेगा तो फिल्म का डूबना तय है।

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हेमंत पाल

चार दशक से हिंदी पत्रकारिता से जुड़े हेमंत पाल ने देश के सभी प्रतिष्ठित अख़बारों और पत्रिकाओं में कई विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। लेकिन, राजनीति और फिल्म पर लेखन उनके प्रिय विषय हैं। दो दशक से ज्यादा समय तक 'नईदुनिया' में पत्रकारिता की, लम्बे समय तक 'चुनाव डेस्क' के प्रभारी रहे। वे 'जनसत्ता' (मुंबई) में भी रहे और सभी संस्करणों के लिए फिल्म/टीवी पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। फ़िलहाल 'सुबह सवेरे' इंदौर संस्करण के स्थानीय संपादक हैं।

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