Silver Screen: विमान हादसे, हाईजैक और रोंगटे खड़े करने वाले फ़िल्मी कथानक   

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Silver Screen: विमान हादसे, हाईजैक और रोंगटे खड़े करने वाले फ़िल्मी कथानक   

 

– हेमंत पाल

 

अहमदाबाद से लंदन जा रही एक फ्लाइट उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई। ये एक दर्दनाक हादसा था, जिसमें करीब ढाई सौ यात्री मारे गए। विमान हादसा ऐसी त्रासदी है, जो किसी को नहीं बख्शती। अहमदाबाद हादसे में भी यही हुआ। विमान जिस हॉस्टल पर गिरा, उसमें भी कई लोगों की मौत हुई। इतिहास के पन्ने पलटे जाएं तो ऐसी कई फ़िल्में याद आएंगी, जिनमें ऐसी त्रासदियों को कथानक का केंद्रीय विषय बनाकर फिल्माया गया। इनमें प्लेन क्रैश, हाईजैक और इमरजेंसी लैंडिंग जैसी रोमांचक घटनाएं दिखाई गई। विमान हादसे के बाद उन फिल्मों की चर्चा चल पड़ी हैं, जो फ्लाइट क्रैश, हाईजैक और एविएशन से जुड़ी सच्ची घटनाओं पर आधारित हैं। ऐसी कहानियों में रोमांच, डर और इंसानी हौसले की झलक मिलती है। लेकिन, विमान हादसों के ज्यादा प्रयोग हॉलीवुड की फिल्मों में हुए। हिंदी में ऐसी फ़िल्में कम बनी। जो फ़िल्में बनाई गई उनमें सच्ची कहानियां ज्यादा हैं। नीरजा, फ्लाइट, हाईजैक, जमीन, एयर लिफ्ट, बेलबॉटम और ‘आईसी 814: कंधार हाईजैक” ऐसी ही कुछ फ़िल्में हैं जिन्होंने अपने रोमांच से दर्शकों को बांधकर रखा।

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इनमें सबसे ताजा फिल्म है ‘आईसी 814: कंधार हाईजैक’ जो 2024 में आई। इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया गया था। इस फिल्म की कहानी 4 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली आ रही फ्लाइट आईसी-814 के हाईजैक पर केंद्रित है, जिसे पांच आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया था। इस विमान को अमृतसर, लाहौर, दुबई, और अंत में तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर उतारा गया। यात्रियों के साथ मारपीट भी की गई थी। आतंकवादियों ने यात्रियों के बदले भारतीय जेल में बंद पाकिस्तान के कुछ साथियों को छुड़वाने की शर्त रखी थी। इस फिल्म को लेकर रिलीज के बाद काफी विवाद भी हुआ। मगर लोगों ने ओटीटी पर इस फिल्म को काफी पसंद किया। 2016 में आयी फिल्म ‘नीरजा’ भी दर्शकों की पसंद पर खरी उतरी। यह फिल्म 1986 में कराची में हुए पैन-एम एयरलाइंस फ्लाइट-73 के हाईजैक की सच्ची कहानी पर बनी थी। इसमें नीरजा भनोट नाम की एयर होस्टेस ने 359 यात्रियों की जान बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी। नीरजा को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। फिल्म में नीरजा भनोट का किरदार सोनम कपूर ने निभाया था। इस फिल्म को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले।

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हाईजैक और विमान हादसे के अलावा ऐसी फिल्मों में कुछ अलग से सच्चे कथानक भी होते हैं। जैसे युद्ध भूमि में फंसे भारतीयों को विमान के जरिए विपरीत परिस्थितियों में सुरक्षित निकालना। 2016 में आई अक्षय कुमार की फिल्म ‘एयरलिफ्ट’ का कथानक इसी विषय पर रचा था। अक्षय ने रंजीत कटियाल का रोल निभाया, जो एक बिजनेसमैन है। यह फिल्म 1990 के खाड़ी युद्ध की सच्ची घटना पर आधारित है, जब 1 लाख 70 हजार भारतीय कुवैत में फंस गए थे। रंजीत ने भारत सरकार के साथ मिलकर इन लोगों को निकालने का बीड़ा उठाया। फिल्म में दिखाया गया कि कैसे विमानों के जरिए इतने बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया गया। इसी तरह ‘बेल बॉटम’ (2021) में अक्षय कुमार ने रॉ एजेंट का किरदार निभाया। यह फिल्म 1980 के दशक में हुए एक रियल हाईजैक मिशन पर बनाई गई। अक्षय एक जासूस है, जो हाईजैक हुए प्लेन को बचाने के लिए मिशन पर जाता है और सफलता से यात्रियों को निकाल लाता है। एक फिल्म ‘हाईजैक’ भी आई जिसमें शाइनी आहूजा अपनी बेटी को बचाने के लिए एयरपोर्ट इंजीनियर से हीरो बन जाते हैं। ‘जमीन’ में अजय देवगन और अभिषेक बच्चन आतंकवादियों से यात्रियों को छुड़ाने के मिशन पर निकलते हैं। दोनों फिल्में रोमांच से भरपूर हैं और दर्शकों को अंत तक बांधे रखती हैं। विमान के पायलट की गलती क्षम्य नहीं होती। क्योंकि, उसके हाथ में कई लोगों की जिंदगी होती है। लेकिन, फिल्म ‘रनवे 34’ (2015) में कॉकपिट में बैठा कैप्टन विक्रांत खन्ना ऐसा अनुभवी पायलट होता है, जिसे अपने अनुभव पर यकीन होता है। इसे निर्देशक और अभिनेता अजय देवगन ने ‘रनवे 34’ में दर्शाया है।

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नए विषयों पर रोमांचक फ़िल्में बनाने में हॉलीवुड के फिल्मकार हमेशा ही आगे रहे। विमान हादसे पर ही अभी तक करीब 44 फिल्में बन चुकी है। इनमें कुछ फिल्मों का रोमांच इतना जबरदस्त है कि दर्शक स्क्रीन से आंखे नहीं हटाता। ऐसी कुछ फ़िल्में तो ऑल टाइम बेस्ट मानी गई। इन फिल्मों में बताया गया कि जान बचाने के लिए किस तरह के जतन किए गए। प्लेन क्रैश मामले हमेशा ही संजीदा विषय रहे हैं। ये हमेशा ही लोगों को झकझोरते रहे। साल 2000 में आई फिल्म ‘फाइनल डेस्टिनेशन’ की कहानी बेहद भयावह है। फिल्म में एलेक्स नाम के एक लड़के को सपना आता है, कि जिस विमान में वह सवार है, वह दुर्घटनाग्रस्त होगा। वह घबरा जाता है और विमान से उतर जाता है। उड़ान भरने के बाद विमान वास्तव में दुर्घटनाग्रस्त होता है। फिर उसके दोस्त अजीब हादसों में मरने लगते हैं। फिल्म में प्लेन क्रैश होने के जो दृश्य दिखाए गए, वे दर्शकों की रूह कंपाने वाले है। इसी साल (2000) आई फिल्म ‘कास्ट अवे’ प्लेन क्रैश की ऐसी कहानी दिखाती है, जिसे देखकर लोगों के रोंगटे खड़े होना तय हैं। इस फिल्म में निजी विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, और एक व्यक्ति द्वीप पर अकेला रह जाता है, जहां कोई नहीं होता। जीवित रहने और घर लौटने की कोशिश में वह सालों बिताता है। फिल्म की कहानी प्लेन क्रैश के भयावहता और बचे इंसान के जान बचाने की जद्दोजहद को परदे पर दर्शाती है।

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सुली (2016) में रिलीज हुई फिल्म अमेरिकी पायलट चेसली सली सलेन बर्गर की सच्ची कहानी है। उन्होंने 2009 में खराब हुए इंजन के बावजूद विमान को न्यूयॉर्क के हडसन नदी में सुरक्षित उतारा था। सभी यात्री बच तो गए थे, लेकिन जांच एजेंसियां उनके फैसले पर सवाल उठाती हैं। टॉम हैंक्स का निभाया गया यह किरदार मानवीय समझ और फैसले की मिसाल था। 2014 की फिल्म ‘नॉन-स्टॉप’ विमान हादसे की बेहतरीन कहानियों में है। फिल्म में एक अमेरिकी एयर मार्शल को फ्लाइट में संदेश मिलता है, कि अगर पैसे नहीं भेजे, तो हर 20 मिनट में विमान में कोई न कोई मरेगा। वह सैकड़ों डरे यात्रियों के साथ उड़ान भरते हुए हत्यारे को पकड़ने की कोशिश करता है। विमान में मौजूद लोगों के लिए ये मौत से जूझने का अनुभव बताती है। 2012 की फिल्म ‘फ्लाइट’ भी विमान हादसे की कहानी है। इसमें पायलट टूटे हुए विमान को क्रैश-लैंड करता है और यात्रियों को बचाता है। वह हीरो बन जाता है। लेकिन, बाद में पता चलता है कि उड़ान भरते समय वह नशे में था। वह सच छुपाता है, पर उसे अपने करियर और सही काम के बीच चुनाव करना होता है। 1993 में आयी फिल्म ‘अलाइव’ में भी विमान हादसे के मार्मिक दृश्य हैं। फिल्म में रग्बी टीम का विमान बर्फीले एंडीज पहाड़ों में गिर जाता है। बिना भोजन और ठंड के, वे हफ्तों तक फंसे रहते हैं। यह सच्ची कहानी पर आधारित फिल्म है।

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2001 की फिल्म ‘जुबैदा’ श्याम बेनेगल ने बनाई थी। कहानी का अंत खतरनाक विमान हादसे से हुआ था। इसमें जोधपुर के महाराजा और उनकी दूसरी पत्नी जुबैदा की दर्दनाक मौत हुई। ‘जुबैदा’ सच्ची घटना वाली फिल्म है। फिल्म में मनोज बाजपेई, रेखा और करिश्मा कपूर ने मुख्य भूमिकाएं थी। 40 के दशक में जुबैदा बेगम ऐसी अभिनेत्री थी, जिसका सौंदर्य बेमिसाल था। उनका निधन ऐसे ही खतरनाक विमान हादसे में हुआ जिसकी चर्चा सालों बाद आज भी की जाती है। श्याम बेनेगल ने इस कहानी पर फिल्म बनाकर घटना को फिर ताजा कर दिया। चुनाव प्रचार में जाने के दौरान 26 जनवरी 1952 की मनहूस सुबह यह हादसा हुआ था। राजा हनुवंत सिंह राठौर और जुबैदा ने जिस विमान से उड़ान भरी, वह राजस्थान के गोडवाड़ में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में दोनों की मौत हो गई। विमान हादसे पर श्याम बेनेगल की यह फिल्म उल्लेखनीय मानी गई, जिसका उल्लेख कई बार किया गया। यह क्लासिक फिल्म है। विमान हादसों, हाईजैक और हवाई मिशन से जुड़ी फिल्मों की संख्या अनगिनत है।

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