SIlver Screen: परदे पर पति-पत्नी के नाजुक रिश्ते में हर दौर में नए-नए रंग भरे!  

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SIlver Screen: परदे पर पति-पत्नी के नाजुक रिश्ते में हर दौर में नए-नए रंग भरे!  

– हेमंत पाल

यदि यह सवाल किया जाए कि सिनेमा के दर्शकों ने सबसे ज्यादा किन विषयों पर बनी फिल्मों को पसंद किया, तो दो ही विषय ऐसे हैं जिनसे कोई असहमत नहीं होगा। प्यार-मोहब्बत और पति-पत्नी के रिश्तों पर बनी फ़िल्में जीवन से जुड़े ऐसे विषय माने जा सकते हैं, जिसके कथानकों में विविधता की कमी नहीं है। सबसे ज्यादा जीवंतता पति-पत्नी के संबंधों वाली कहानियों में है। क्योंकि, इसमें कई रंग हैं। रिश्तों के इन कथानकों को कई फिल्मों में अलग-अलग तरीके से फिल्माया गया। कभी पति-पत्नी के रिश्ते गलतफहमी के शिकार हुए, कभी इन दोनों के बीच किसी तीसरे की मौजूदगी के कथानक गढ़े गए तो इस नाजुक रिश्ते में परिवार के दखल ने विवाद करवाया। तलाक की घटनाओं ने भी इस रिश्ते को हमेशा प्रभावित किया है। परदे पर यह विषय कभी पुराना नहीं हुआ। इस विषय पर सबसे सशक्त फिल्म 1982 में आई महेश भट्ट की ‘अर्थ’ मानी जाती है। इसमें शबाना आज़मी, कुलभूषण खरबंदा, स्मिता पाटिल और राज किरण मुख्य भूमिकाओं में थे।

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गुलजार की फिल्म ‘आंधी’ की कहानी भी पति-पत्नी के रिश्तों की ही कहानी कहती थी। इसके कथानक पर विवाद भी हुआ और फिल्म को सेंसर में लंबे समय तक जूझना पड़ा। इसे राजनीतिक पृष्ठभूमि के साथ और पति-पत्नी के रिश्तों पर ज्ञात फिल्मों में से एक के रूप में याद किया जाता है। इसके बाद 80 से 2000 तक के दो दशकों में पहेली, चलते-चलते और ‘साथिया’ जैसी कई फिल्में बनी, जो स्त्री और पुरुष के संबंधों के सदियों पुराने विषय पर आधारित आधुनिक फिल्में थीं। पति और पत्नी के संबंधों पर कई तरह की प्रयोगात्मक फिल्में बनी। इनमें कुछ चर्चित फिल्में हैं तनु वेड्स मनु, रब ने बना दी जोड़ी, नमस्ते लंदन, साथिया, शादी के साइड इफेक्ट्स, चलते चलते, दम लगा के हईशा कभी अलविदा ना कहना, गहराइयां, मेरे हसबैंड की बीवी और ‘सिलसिला।’ इसमें ‘तनु वेड्स मनु’ एक रोमांटिक कॉमेडी है जिसमें जोड़े की प्रेम कहानी को दिखाया गया है। शाहरुख़ खान और अनुष्का शर्मा की फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ पति-पत्नी के रिश्तों की ऐसी कहानी है, जिसमें दिखाया गया कि दोनों कैसे एक-दूसरे के लिए बने होते हैं।

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एक भारतीय लड़के और लंदन की लड़की की प्रेम कहानी पर बनी ‘नमस्ते लंदन’ भी ऐसी ही फिल्म है, जिसकी कहानी अनोखी है। ‘साथिया’ एक ऐसे जोड़े की कहानी है, जो घर से भागकर शादी करते हैं। ऐसी फिल्मों के बीच एक नया प्रयोग ‘शादी के साइड इफेक्ट्स’ में हुआ। यह फिल्म एक ऐसे पति-पत्नी का कथानक है, जो अपनी शादी की उलझनों में ही उलझे होते हैं। ऐसे विषयों में ‘दम लगा के हईशा’ का कथानक बिल्कुल नया है, जो मोटी पत्नी और दुबले पति की कहानी है। ये काफी लड़ाई करते हैं, लेकिन अंत में नाटकीय घटना की वजह से एक हो जाते हैं।

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इस विषय पर यश चोपड़ा ने ‘सिलसिला’ बनाई जिसे अमिताभ बच्चन, रेखा और जया भादुड़ी की कुछ हद तक सच्ची कहानी बताई जाती है। इसमें रिश्तों में शक का तड़का भी लगाया था। शाहरुख खान, प्रीति जिंटा, रानी मुखर्जी और अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘कभी अलविदा ना कहना’ में माया (रानी मुखर्जी) और देव (शाहरुख खान) अपनी-अपनी शादी से तंग आ चुके थे। इस बीच हालात बदलते हैं और दोनों एक-दूसरे के करीब आ जाते हैं। प्यार, धोखा और एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर पर बनी फिल्म ‘गहराइयां’ भी बहुत कुछ कहती है। ऐसी ही एक फिल्म ‘मेरे हसबैंड की बीवी’ है जो पति-पत्नी के रिश्ते पर आधारित है।

पति-पत्नी का रिश्ता पवित्र और प्रेम से भरा होता है। पर, कई बार यह रिश्ता गलतफहमी और विश्वास की कमी से कमजोर हो जाता है। झगड़े बढ़ते हैं और बात तलाक तक पहुंच जाती है। निर्देशकों ने इसे अपने-अपने तरीके से भुनाया। ‘तलाक’ (1958) पति-पत्नी के बीच हुई गलतफहमी पर बनी पहली फिल्म थी। ये महेश कौल द्वारा निर्देशित राजेंद्र कुमार की बतौर हीरो पहली फिल्म थी। इसमें कामिनी कदम की मुख्य भूमिका थी। इसी शीर्षक पर आधारित कई फिल्में बनी, जैसे ‘तलाक तलाक तलाक!’ बीआर चोपड़ा जैसे फिल्मकार ने ‘निकाह और ‘पति पत्नी और वो’ जैसी फिल्में बनाई। लेकिन, उन्होंने कुछ फिल्मों के कथानक में कॉमेडी का टच भी रखा।

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ऐसे रिश्तों में खटास वाली फिल्मों में ऋषिकेश मुखर्जी की ‘अभिमान’ भी है। पत्नी की सफलता से ईर्ष्या करने वाले पति पर अमिताभ और जया की फिल्म ‘अभिमान’ को आज भी पसंद किया जाता है। जब गायन में पत्नी उमा अपने पति सुबीर से अधिक सफल हो जाती है। जल्दी ही पत्नी स्टार सिंगर बन जाती है, जिससे पति के अहंकार को ठेस लगती है। रिश्तों के उतार-चढ़ाव पर आधारित फिल्म ‘अभिमान’ में अमिताभ बच्चन की भूमिका उनके करियर की सबसे बेहतरीन भूमिका रही।

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अजीज मिर्जा द्वारा निर्देशित ‘चलते-चलते’ (2003) में शाहरुख खान और रानी मुखर्जी मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म प्रेमी-प्रेमिका के पति-पत्नी बनने से लेकर उनके बीच गलतफहमी से उपजे विवाद की कहानी पर आधारित है। दोनों में विवाद इस हद तक बढ़ जाता है, कि वे अलग हो जाते हैं, लेकिन अंत में प्यार की जीत होती है। 2005 में आई ‘मैं, मेरी पत्नी और वो’ फिल्म शादी से पहले रंग-रूप और कद-काठी को लेकर समाज में फैले भ्रम पर है। फिल्म में मिडिल क्लास इंडियंस की मानसिकता को खूबसूरती से दिखाया है।


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आनंद एल राय निर्देशित ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ (2015) रोमांटिक कॉमेडी फिल्म में आर माधवन और कंगना रनौत थे। यह फिल्म शादी के चार साल बाद के तनु और मनु के रिश्तों पर है। दोनों के बीच बनती नहीं है और हर बात पर झगड़ा होता है, इसलिए दोनों तलाक ले लेते हैं। इसके बाद मनु, तनु की हमशक्ल कुसुम के प्यार में पड़ जाता है और कहानी नई दिशा में मुड़ जाती है। दक्षिण में बनी कुछ हिंदी फिल्में जैसे ‘जुदाई’ और ‘एक ही भूल’ भी इसी तरह के विषय पर आधारित थीं। 70 के दशक में आप की कसम, थोड़ी-सी बेवफाई और अगर तुम ना होते‘ जैसी फिल्में बनी जो इस संवेदनशील विषय के साथ न्याय करने में सफल रहीं।

इस रिश्ते का सबसे कमजोर पक्ष है धोखा, जिसके पीछे कई कारण छुपे होते हैं। एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशन को लेकर फ़िल्में बनी है। सलमान खान, करिश्मा कपूर और सुष्मिता सेन की फिल्म ‘बीवी नंबर 1’ में भी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का तड़का है। कहानी में ड्रामा के साथ कॉमेडी भी है। अक्षय कुमार, इलियाना डिक्रूज की फिल्म ‘रुस्तम’ प्यार में धोखे की सच्ची कहानी पर बनी है। इसकी कहानी एक नेवी ऑफिसर के इर्द-गिर्द घूमती है। उसे अपनी पत्नी के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के बारे में पता चलता है। इसके बाद, नेवी ऑफिसर उस शख्स का कत्ल कर देता है। यह फिल्म सिर्फ पति-पत्नी का रिश्ता ही नहीं, देश भक्ति भी दिखाती है।

दीपिका पादुकोण, अनन्या पांडे, सिद्धांत चतुर्वेदी और धैर्या कारवा की फिल्म ‘गहराइयां’ (2022) में भी प्यार नहीं, बल्कि धोखा और एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर पर बनी है। विद्या बालन, इलियाना डीक्रूज और प्रतीक गांधी की फिल्म ‘दो और दो प्यार’ में भी रिश्तों की उलझन दिखाई गई। फिल्म की कहानी में एक कपल के बीच खूब उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है, जिसकी वजह से दोनों का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर शुरू हो जाता है। अनन्या पांडे, भूमि पेडनेकर और कार्तिक आर्यन की फिल्म ‘पति, पत्नी और वो’ की कहानी भी प्यार में धोखे और फरेब पर है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब युवक की पत्नी और गर्लफ्रेंड को उसके धोखे के बारे में पता लगता है। ऐसे ही विषय पर बनी तापसी पन्नू और विक्रांत मैसी की फिल्म ‘हसीन दिलरुबा’ को पसंद किया गया। यह फिल्म प्यार लव और धोखे को नए कलेवर के साथ दिखाती है।

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पति-पत्नी के रिश्तों में दर्द और धोखे पर भी कम फ़िल्में नहीं बनी। रानी मुखर्जी की डेब्‍यू फिल्‍म ‘राजा की आएगी बारात’ (1997) की कहानी ऐसे आदमी की कहानी है, जो एक लड़की का रेप सिर्फ इसलिए करता है। क्योंकि, उसने उसे थप्पड़ मार दिया था। बाद में कोर्ट में फैसला करती है कि रेपिस्‍ट को लड़की से शादी करनी चाहिए और उसे स्वीकार करना चाहिए। फिल्म ‘मेहंदी’ (1998) की कहानी पूजा (रानी मुखर्जी) की है, जो पति से बेहद प्यार करती है। जब लड़के के परिवार को दहेज नहीं मिलता, तो वे पूजा को इतना टॉर्चर करते हैं कि उसे मारने की प्लानिंग कर लेते हैं।

2001 में आई फिल्म ‘दामन’ की कहानी शादी के सबसे भयानक पहलू के इर्द-गिर्द है जिसमें मैरिटल रेप भी शामिल है। इसमें रवीना टंडन की जिंदगी उसका पति सयाजी शिंदे नर्क बना देता है। डोमेस्टिक वॉयलेंस पर बनी फिल्मों में से ‘प्रोवोक्ड’ (2006) को काफी बेहतरीन माना जाता है। ऐश्वर्या राय, नवीन एंड्रयूज मिरांडा रिचर्डस, नंदिता दास की यह फिल्म करनजीत अहलूवालिया की रियल लाइफ स्टोरी पर बेस्ड है जिन्होंने अपने पति से 10 साल यातनाएं सहीं। फिर परेशान होकर उसे मार दिया। ऐसी फिल्मों में अनुभव सिन्हा की ‘थप्पड़’ (2020) भी है, इसमें तापसी पन्नू के काम की सराहना हुई। ये पति के थप्पड़ से आहत पत्नी की कहानी है, जो पति से लड़ने का फैसला लेती है। फिल्‍म सवाल उठाती है कि क्‍या पुरुष और स्त्री के बीच बराबरी का रिश्ता है!