Silver Screen : परदे पर किस के किस्सों की कमी नहीं!
हिंदी सिनेमा ने अपने सौ साल से ज्यादा के दौर में कई रंग देखे हैं। उन्हीं में से एक रंग है नायक और नायिका की अंतरंगता वाले दृश्य। दर्शकों को बांधने के लिए कई बार कथानक में ऐसे दृश्य डाले जाते हैं, जो रोमांटिक होने के साथ नायक और नायिका के बीच प्रेम का जुड़ाव भी दर्शाएं। फिल्मों के शुरुआती दौर में ऐसे रोमांटिक दृश्यों को फिल्माने के लिए दो पक्षियों को चोंच लड़ाते, दो सुर्ख फूलों को आपस में टकराते दिखाया जाता था। यह आजादी से पहले का दौर था, जब चुंबन या ऐसे बोल्ड सीन फिल्माने के बारे में सोचना भी एक तरह से पाप था। क्योंकि, उस समय के सिनेमा में आज की तरह खुलापन नहीं था। हीरो और हीरोइन का ज्यादा नजदीक आना, मर्यादा की सीमा लांघने जैसा मामला था। तब सामाजिक हालात ऐसे नहीं थे, कि लोग परदे पर ऐसे दृश्य देखने का सोच भी सकें।
फिल्मकारों ने दर्शकों को कथानक के मुताबिक ऐसी बातें समझाने के लिए कुछ प्रतीक बना रखे थे। हीरो-हीरोइन का पेड़ के पीछे छुपना, फिर हीरोइन का शर्माकर निकलकर भागना कुछ ऐसे संकेत थे, जो दर्शकों को समझाते थे, कि मोहब्बत अपनी सीमा लांघ रही है। जबकि, अब तो हर दूसरी फिल्म में चुंबन दृश्य कथानक की जरूरत बन गए और दर्शकों को भी ये अच्छा लगता है। प्रेम को प्रदर्शित करने के लिए चुंबन एक सटीक माध्यम है। परदे पर यह कई तरह के हो सकते हैं। मधुर हो सकता है, कामुक हो सकता है और रोमांटिक भी। इसके अलावा अश्लील भी हो सकता है। इसलिए कि जब भी कोई फार्मूला फिल्म बनती है, ऐसे सीन को सोच समझकर रखे ही जाते है। अब तो ऐसे दृश्यों को लेकर कलाकारों के साथ दर्शक भी सहज हो गए हैं। हालांकि, ऐसे कुछ दृश्यों पर अभी भी सेंसर बोर्ड की कैंची चल जाती है।
इसे हिंदी सिनेमा का आश्चर्य ही माना जाना चाहिए कि फिल्मों में इस तरह का पहला बोल्ड सीन उस ज़माने में आया, जब परंपरागत ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों का दौर था। ऐसे रूढ़िवादी समय में किसी फिल्म में चुंबन जैसा सीन फिल्माना बहुत हिम्मत की बात थी। यह दृश्य 1933 में आई फिल्म ‘कर्मा’ में देविका रानी और हिमांशु राय के बीच फिल्माया था। ये 4 मिनट लंबा सीन था, जो सौ साल बाद भी हिंदी सिनेमा में एक रिकॉर्ड है। फिल्म की रिलीज के बाद इस सीन को अश्लील माना गया और इस पर बवाल हुआ। देविका रानी 30 और 40 के दशक की मशहूर अभिनेत्री थीं। सिनेमा की भी वे पहली हीरोइन मानी गई थी। अपने 10 साल के करियर में उन्होंने कई फिल्में की और बोल्ड किरदार निभाए। देविका रानी ने ‘कर्मा’ से ही अपनी एक्टिंग की शुरुआत की थी। यह अंग्रेजी फिल्म थी, जिसे भारतीय ने बनाया था। बाद में इस फिल्म को हिंदी में ‘नागिन की रागिनी’ के नाम से बनाया गया। पर, यह यह फिल्म नहीं चली।
उस समय देश की सामाजिक स्थिति और सिनेमा दोनों ऐसे दृश्यों के लिए तैयार नहीं थे। यही वजह रही कि जब देविका रानी और हिमांशु राय के चुंबन दृश्य को पर्दे पर दिखाया गया, तो हंगामा मच गया। जबकि, वास्तविकता में यह दृश्य कोई अंतरंग दृश्य नहीं था। कथानक में हिमांशु राय को सांप काट लेता है और वो निढाल होकर गिर जाता है। देविका रानी उसे होश में लाने की कोशिश करती है। इसी कोशिश में वो उसका चुंबन लेती है। उसे लिप किस भी करती हैं, जिससे हिमांशु को होश आ जाता है। ये चुंबन दृश्य उस दौर में हिंदी सिनेमा का सबसे बोल्ड सीन था, जिसे देख दर्शकों की सांसे थम गई थीं। दरअसल, उन दिनों लोग फिल्मों में काम करने वालों को अच्छी नजरों से नहीं देखते थे। समाज की मर्यादा को बरकरार रखते हुए फिल्मों में प्रेम दृश्य परदे से नदारद ही रहते थे। ऐसे में देविका रानी ने सबको चौंका तो दिया था। उन्होंने अपनी आलोचना का जवाब भी दिया और कहा था कि ये दृश्य फिल्म की डिमांड थी। क्योंकि, बेहोश नायक को होश में लाने के लिए नायिका को ऐसा कुछ करना ही पड़ता।
हिंदी फिल्मों में कभी-कभी चुंबन दृश्य चुंबक की तरह चिपक जाते हैं। रेखा की बायोग्राफी ‘रेखा: द अनटोल्ड स्टोरी’ में भी इस बात को हाईलाइट किया गया। यह तथ्य है कि रेखा ने कम उम्र में फिल्मों में प्रवेश किया था। 1969 में जब रेखा बमुश्किल 15 साल की थीं, तब उन्होंने अपनी पहली फिल्म की शूटिंग की। लेकिन,’अंजाना सफर’ फिल्म के लेकर रेखा की यादें बेहद दर्दनाक रही। रेखा ने अपनी किताब में खुलासा किया कि उस समय अभिनेता विश्वजीत ने सेट पर उन्हें जबरदस्ती किस किया था। रेखा इसके लिए तैयार नहीं थी। इस दृश्य का स्क्रिप्ट में भी उल्लेख नहीं था। फिल्म ‘दयावान’ में विनोद खन्ना ने माधुरी दीक्षित का इतने आवेग से चुंबन लिया था कि शॉट के बाद माधुरी के आंसू निकल आए थे। ‘परिंदा’ में भी माधुरी और अनिल कपूर का चुंबन चर्चित रहा। फिरोज खान की ‘जांबाज’ में भी अनिल कपूर और डिंपल के उत्तेजक चुम्बन दृश्य फिल्माए गए थे। हेमा मालिनी जैसी अभिनेत्री से भी चेतन आनंद ने ‘कुदरत’ में चुंबन दृश्य करवा लिया था। ‘हीरा पन्ना’ में देवानंद और राखी का लंबा चुम्बन दृश्य था। इमरान हाशमी ने फिल्मों में इतने चुम्बन दृश्य दिए कि उन्हें किसिंग किंग ही कहा जाने लगा। सुनकर शायद अजीब लगे, पर यह सच है कि परदे पर चुंबन दृश्य देने वाली नायिकाओं में ललिता पवार का नाम भी शामिल है।
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आज के दौर में तो ऐसे दृश्य हर फिल्म की जरूरत बन गए। लेकिन, आज भी कुछ कलाकार ऐसे हैं, जो परदे पर ऐसे दृश्य करने से हिचकते हैं। इनमें सलमान खान भी हैं, जिन्होंने सूरज बड़जात्या की फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में भाग्यश्री के साथ एक चुंबन दृश्य करने से इंकार कर दिया था। सलमान और भाग्यश्री दोनों की यह पहली फिल्म थी। दोनों ने ही ऐसे सीन से इंकार किया। तब निर्देशक ने बीच में शीशा रखकर चुंबन दृश्य फिल्माया था। लेकिन, कुछ ऐसी फ़िल्में भी है, जिन्हें चुंबन दृश्यों की वजह से ही याद किया जाता है। ‘शुद्ध देसी रोमांस’ तो ऐसे दृश्यों की वजह से ही चर्चा में आई। इस फिल्म में एक साथ 23 चुंबन सीन थे। ‘3 जी’ में भी 30 चुंबन दृश्य थे। नील नितिन मुकेश और सोनल सिंह की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म की चर्चा इसलिए ज्यादा हुई थी कि ये सीन भी जुनूनी थे। मल्लिका शेरावत को फ़िल्मी दुनिया में फिल्म ‘मर्डर’ से पहचान मिली। पर, उनकी चर्चा फिल्म ‘ख्वाहिश’ को लेकर भी हुई, जिसमें मल्लिका के 20 से अधिक चुंबन दृश्य थे।
सुधीर मिश्रा की फिल्म ‘ये साली जिंदगी’ भी चुंबन दृश्यों से भरी पड़ी थी। अदिति राव और अरुणोदय सिंह के कई दृश्य फिल्म रिलीज के पहले ही चर्चा में आ गए थे। अदिति राव का अरूणोदय के साथ करीब एक मिनट लंबा चुंबन दृश्य एक ऑटो में फिल्माया गया। इस फिल्म में कुछ और चुंबन दृश्य चित्रांगदा सिंह पर भी फिल्माए थे। भट्ट कैंप की दो ट्रेंड सेटर फिल्म ‘जिस्म’ और ‘मर्डर’ तो लंबे चुंबन दृश्य की वजह से देखी गई थी। शाहिद कपूर और करीना कपूर ने ‘जब वी मेट’ फिल्म में काम किया, तब उन दोनों का रिश्ता भी अलग था। इस फिल्म में भी एक चुंबन दृश्य था। इस फिल्म ने दर्शकों का दिल जीत लिया था। ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ में रितिक रोशन और कैटरीना के चुंबन दृश्य भी दर्शक भूल नहीं सके हैं। विक्की कौशल और श्वेता त्रिपाठी का फिल्म ‘मसान’ में एक बेहद मासूम सा रोमांटिक चुंबन दृश्य है। ‘बैंड बाजा बारात’ में रणवीर सिंह और अनुष्का शर्मा की पहली फिल्म थी। फिल्म में दोनों के बीच चुंबन दृश्य को फिल्म का टर्निंग पॉइंट कहा जाता है। दोनों के बीच इस दृश्य सीन को जिस तरह पर्दे पर दिखाया गया, वह काफी नेचुरल, रोमांटिक और हॉट लग रहा था। ‘परिणीता’ में संजय दत्त और विद्या बालन के चुंबन दृश्य ने अलग ही माहौल बनाया था।
रितिक रोशन और ऐश्वर्या राय ने ‘धूम 2’ में जबरदस्त रोमांटिक सीन दिया था। दर्शकों को कथानक में इस दृश्य की उम्मीद नहीं थी। यह लिपलॉक फिल्म के सबसे यादगार दृश्यों में से एक था। रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण ने ‘गोलियों की रासलीला रामलीला’ में जबरदस्त चुंबन दृश्य दिए थे। जबकि, रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण ने ‘ये जवानी है दीवानी’ में ऐसे दृश्य दिए, जो कोई भूल नहीं सकता। दोनों की जोड़ी सबसे हॉट जोड़ियों में गिनी जाती थी। इसी तरह इमरान हाशमी और तनुश्री दत्ता ने ‘आशिक बनाया आपने’ में हॉट और बोल्ड सीन के साथ चुम्बन दृश्य दिया, वो दर्शकों को आज भी याद होगा। आज परदे पर जितनी आसानी से चुंबन दृश्य दिखाए जाते हैं और उन्हें फिल्माया जाता है, उतना 50-60 के दशक पहले आसान नहीं था। तब अभिनेत्रियां भी मुश्किल से ऐसे दृश्यों के लिए तैयार होती थी। फिल्मों में ऐसे दृश्यों को फिल्मकार और दर्शक दोनों पैसा वसूल मानते रहे, इसलिए धीरे-धीरे ये प्रेम कहानियों वाली फिल्मों की जरूरत बनती चली गई। वैसे तो फिल्मों के ज्यादातर चुंबन दृश्य वास्तविकता में फिल्माए जाते हैं। लेकिन, यदि किसी कलाकार को आपत्ति हो, तो फिल्मकार इसके लिए बॉडी डबल का उपयोग करते हैं! क्योंकि, फिल्म में कहानी की डिमांड तो पूरी करना ही है।
हेमंत पाल
चार दशक से हिंदी पत्रकारिता से जुड़े हेमंत पाल ने देश के सभी प्रतिष्ठित अख़बारों और पत्रिकाओं में कई विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। लेकिन, राजनीति और फिल्म पर लेखन उनके प्रिय विषय हैं। दो दशक से ज्यादा समय तक 'नईदुनिया' में पत्रकारिता की, लम्बे समय तक 'चुनाव डेस्क' के प्रभारी रहे। वे 'जनसत्ता' (मुंबई) में भी रहे और सभी संस्करणों के लिए फिल्म/टीवी पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। फ़िलहाल 'सुबह सवेरे' इंदौर संस्करण के स्थानीय संपादक हैं।
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