Silver Screen:अक्षय कुमार के बुरे दिनों में सबसे ज्यादा कसूर किसका!
हर व्यक्ति के जीवन में अच्छा वक़्त भी आता है और बुरा भी। अपनी मेहनत से लोग बुरे वक़्त से बाहर निकल जाते हैं। लेकिन, खिलाड़ियों और कलाकारों के जीवन में आने वाला बुरा वक़्त उन्हें अंदर तक तोड़ देता है। यदि फिल्म कलाकारों का जिक्र किया जाए, तो उनकी फिल्मों का फ्लॉप होना बेहद दुखदायी होता है। ऐसा भी नहीं कि कलाकारों के जीवन में कभी आएगा ही नहीं! फिर, वे कितने भी लोकप्रिय क्यों न हों, दर्शक उनकी हर फिल्म पसंद नहीं करते। दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, मीना कुमारी और माधुरी दीक्षित जैसे कलाकार भी इस दौर से गुजरे हैं। आज के दौर के सलमान खान, आमिर खान और शाहरुख़ खान की भी कई फ़िल्में फ्लॉप हुई। यही इन दिनों अक्षय कुमार के साथ हो रहा है। जबकि, एक समय था जब अक्षय कुमार का जलवा था और उनकी हर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाती थी। उनकी एक्शन देखकर ही उन्हें ‘खिलाड़ी कुमार’ नाम दिया गया। लेकिन, अब वो वक़्त नहीं रहा।
अपने डांस और एक्शन से दर्शकों के दिलों पर राज वाले इस कलाकार ने अपने करियर में कई हिट फ़िल्में दी। लेकिन, अचानक कुछ ऐसा हुआ कि उनकी फ़िल्में दर्शकों की पसंद से बाहर हो गई। याद किया जाए तो कोरोना काल के बाद उनकी किसी फिल्म को अच्छी सफलता नहीं मिली। बड़े बजट की कई फ़िल्में बुरी तरह फ्लॉप हुई। इस दौरान सिर्फ ‘ओएमजी-2’ और ‘स्त्री-2’ ही चली, पर इन दोनों फिल्मों केंद्रीय भूमिका में अक्षय नहीं हैं। दर्शकों को वो वक्त भी याद है जब अक्षय कुमार का बॉक्स ऑफिस पर दबदबा बना रहता था। मगर अब शायद इस एक्टर को नजर लग गई। उनकी अच्छी फ़िल्में भी दर्शकों को प्रभावित नहीं कर रही।
अक्षय कुमार के लिए प्रोफेशनली सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। उनकी फिल्में लगातार फ्लॉप हो रही हैं। ‘सरफिरा’ को तो बहुत ख़राब रिस्पॉन्स मिला। इसके पहले बड़े मियां छोटे मियां, सम्राट पृथ्वीराज, मिशन रानीगंज, सेल्फी, राम-सेतु सभी फिल्में फ्लॉप रहीं। 2022 के बाद से उन्होंने सिर्फ एक हिट फिल्म ‘ओएमजी-2’ दी। लेकिन, वो दरअसल उनकी फिल्म नहीं थी। अक्षय की भूमिका को समझने वालों का कहना है कि वे कॉमेडी फिल्मों के जरिए वापस लौट सकते हैं। अक्षय को अपना करियर बचाने के लिए कॉमेडी फिल्मों की जरूरत है। अगले साल उनके पास वेलकम टू जंगल, हाउसफुल-5 और ‘हेरा-फेरी-3’ जैसे प्रोजेक्ट्स हैं। ये सीक्वल फ़िल्में हैं और इनकी पिछली फिल्मों का वे अहम हिस्सा रहे हैं। कॉमेडी में तो अक्षय कुमार माहिर हैं ही, ये फ़िल्में कमर्शियल और इंटरटेनर भी हैं।
आश्चर्य इस बात का कि अक्षय की कई ऐसी फिल्में फ्लॉप हुई, जिनका कंटेंट अच्छा था। उनकी मिशन रानीगंज, सरफिरा अच्छी फिल्म है, पर नहीं चल सकी। यह भी संभव है कि दर्शक उनकी फिल्मों के एक जैसे कंटेंट से थक गए हों। हाल ही में आई उनकी फिल्म ‘सरफिरा’ तो सूर्या की तमिल फिल्म ‘सोरारई पोटरु’ का हिंदी रीमेक है, जिसके लिए एक्टर को तो नेशनल अवॉर्ड भी मिला। मगर अक्षय कुमार की 100 करोड़ के बजट में बनी यह फिल्म अपनी लागत भी नहीं निकाल सकी। सीधा सा मतलब है कि दर्शकों ने अक्षय को रिएक्ट कर दिया। अक्षय कुमार अपनी सक्सेस का क्रेडिट अपने अनुशासन और काम के प्रति लगन को देते हैं। वह एक टाइम टेबल फॉलो करते हैं। और मानसिक-शारीरिक रूप से फिट रहने पर जोर देते हैं।
अक्षय कुमार की लगातार कई फिल्में फ्लॉप हुई, जिसे लेकर कई तरह के कयास लगाए गए। लेकिन, अक्षय के साथ कई फिल्में बना चुके डायरेक्टर अनीस बज्मी का सोच कुछ अलग है। उन्होंने एक इंटरव्यू में अक्षय कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि वे बहुत ही टैलेंटेड एक्टर हैं। जो उनके साथ हो रहा, वो हर कलाकार के साथ होता है। कभी फिल्में चलती हैं कभी नहीं। वे डांस कर सकते हैं, कॉमेडी कर सकते हैं, एक्शन में भी उनका कोई जोड़ नहीं। कहने का आशय यह कि वे कंप्लीट एक्टर हैं। लगता है कि अक्षय कई बार गलत लोगों को चुन लेते हैं, जो उनके टैलेंट का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते और न उनके टैलेंट के साथ न्याय कर पाते हैं। अनीस बज्मी ने अक्षय कुमार के साथ सिंह इज किंग, वेलकम और ‘थैंक्यू’ जैसी फ़िल्में बनाई। उन्होंने इस कलाकार के टैलेंट का पूरा इस्तेमाल किया। यही कारण है कि इन फिल्मों को दर्शकों ने पसंद किया।
अक्षय के साथ भी वही हो रहा, जो अमूमन हर कलाकार के साथ होता है या हुआ है। हिट और फ्लॉप का दौर सभी के साथ चलता है। अक्षय उससे अलहदा नहीं रहे। उनका करियर हमेशा ट्रैक से चढ़ता-उतरता रहा। किंतु, कई बार उनके कुछ फैसले उन्हीं के खिलाफ चले जाते हैं। ऐसे में नुकसान खुद उन्हें उठाना पड़ा। वे कई ऐसी फ़िल्में कर लेते हैं, जो उन्हें नहीं करना था। यही वजह है कि उनकी फ़िल्में फ्लॉप हो रही है। फ्लॉप के इस दौर में भी अक्षय कुमार के पास फ़िलहाल करीब 10 फिल्में हैं। इनमें सिंघम अगेन, स्काई फोर्स, वेलकम टू द जंगल, कन्नप्पा, शंकरा और ‘हेरा फेरी-3’ जैसी फिल्में हैं। इसके अलावा एक मराठी फिल्म भी है। अक्षय कुमार अच्छी कॉमेडी करते हैं, एक्शन में भी कम नहीं हैं, रोमांस भी करते हैं और पेट्रियोटिक भूमिकाओं में भी दिखाई देते हैं। अब बॉक्स ऑफिस पर उनका असर दमदार नहीं रहा। बड़े मियां छोटे मियां, मिशन रानीगंज, रामसेतु, सम्राट पृथ्वीराज, बच्चन पांडे और ‘सरफिरा’ जैसी फिल्में इतनी बुरी नहीं थी कि फ्लॉप हो, पर हो गई। फ्लॉप की लम्बी कतार के बावजूद अक्षय कुमार के पास काम की कमी नहीं। क्या कारण है कि लगातार फ्लॉप के बाद भी अक्षय के पास फिल्मों की लाइन लगी है! इसके पीछे भी कुछ खास कारण गिनाए जा सकते हैं।
अक्षय की कई फ़िल्में सीक्वल हैं। यानी उसी नाम से पहले फिल्म आ चुकी है और उसकी अगली कहानी पर फिर फिल्म आ रही है। यदि वे पिछली फिल्म में लीड रोल में थे, तो तय है कि अगली में भी होंगे। ऐसी स्थिति में कलाकार को बदला नहीं जा सकता। अभी अक्षय के पास जो फ़िल्में हैं उनमें 4-5 तो सीक्वल हैं। इनमें हेराफेरी-3, वेलकम टू द जंगल और सिंघम अगेन जैसी फ़िल्में है। आज के दौर में भी एक्शन फिल्मों को पसंद करने वालों की कमी नहीं है। यदि किसी से एक्शन हीरो की बात जाए तो निश्चित रूप से अक्षय का ही नाम आएगा। इसके अलावा दर्शक रितिक रोशन, टाइगर श्रॉफ और सलमान का नाम लेंगे। लोग यह भी जानते हैं कि अक्षय कई एक्शन सीन खुद करते हैं। वे बॉडी डबल का इस्तेमाल नहीं करते। वे मार्शल आर्ट में भी पारंगत हैं। ये भी कारण है कि फ्लॉप होकर भी उनके पास फिल्मों की कमी नहीं है।
अपनी असफलता के बारे में अक्षय कुमार का कहना है कि इस असफलता का भी सकारात्मक पहलू देखना और सीखना होगा। क्योंकि, हर असफलता आपको सफलता के मायने सिखाती है और इसके लिए आपकी भूख को और भी बढ़ाती है। सौभाग्य से मैंने अपने करियर में पहले ही इससे निपटना सीख लिया था। यह आपको दुख पहुंचाता और इफेक्ट भी करता है, लेकिन इससे फिल्म की किस्मत नहीं बदलेगी। अक्षय कुमार ने आगे कहा कि अब ये आपके कंट्रोल में नहीं है। आपके बस में तो बस यही है कि आप कड़ी मेहनत करें। खुद को और सुधारें और अगली फिल्म के लिए खुद को झोंक दें। अपना सब कुछ दे दें। मैं ऐसे ही अपनी एनर्जी को इन्वेस्ट करता हूं और अगली फिल्म के लिए आगे बढ़ता हूं। मैं अपनी ताकत सही जगह पर लगाता हूं, जहां इसके सही मायने हैं। कोविड-19 के बाद आए दर्शक अब सब फिल्में नहीं देखते। वे ज्यादा सिलेक्टिव हो गए हैं। अब मैं कंटेंट को लेकर और ज्यादा सतर्क हो गया हूं। अब ये देखना पड़ता है कि अगर ये करूंगा तो क्या दर्शक थिएटर आएंगे या नहीं। वह दर्शकों को सिर्फ एंटरटेन न करे, बल्कि दर्शकों से गहराई से भी जुड़े।
अक्षय की एक खासियत है कि वे कभी टूटे नहीं है। इस वजह है कि उनकी फ़िल्में पहली बार फ्लॉप नहीं हो रही। पहले भी ऐसा दौर आ चुका है, जब उनकी कई फिल्में फ्लॉप हुई। उनकी सिर्फ अकेले नायक वाली फ़िल्में ही नहीं, ऐसी फ़िल्में भी नहीं चल रही जो मल्टी स्टारर हैं। अक्षय ने अपनी फ्लॉप वाली छवि को पहले भी तोड़ा और उनकी फ़िल्में हिट हुई है। अक्षय अकसर प्रयोगात्मक फ़िल्में करते रहे हैं, जो सामान्य से अलग होती है। लेकिन, फिर भी ऐसी फ़िल्में करते रहते हैं। अतरंगी रे, तीस मार खां और ‘पृथ्वीराज’ जैसी फिल्में ऐसी। ‘ओएमजी 2’ को भी प्रयोगात्मक दौर की फिल्मों में गिना सकता है। ऐसी फिल्मों को स्वीकारने की जिद भी कई बार अक्षय की नाकामयाबी का कारण बनी।