Simlipal Tiger Reserve: भारत में दुर्लभ गहरे रंग के (छद्म-मेलानिस्टिक) बाघ कि अनुवांशिकी का रहस्य और रोमांच

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Simlipal Tiger Reserve: भारत में दुर्लभ गहरे रंग के (छद्म-मेलानिस्टिक) बाघ कि अनुवांशिकी का रहस्य और रोमांच

डॉ. तेज प्रकाश  व्यास

सिमलीपाल टाइगर रिजर्व (Simlipal Tiger Reserve) का विवरण*

​सिमलीपाल टाइगर रिजर्व (STR) ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित है और यह भारत के सबसे बड़े आरक्षित क्षेत्रों में से एक है।

​भौगोलिक एवं पारिस्थितिक स्थिति:
यह दक्कन प्रायद्वीपीय जैव-भौगोलिक क्षेत्र, छोटानागपुर प्रांत और महानदी क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह घने जंगलों, झरनों (जैसे बरेहीपानी और जोरंडा), ऊँचे पठारों और पहाड़ियों से समृद्ध है।

​क्षेत्रफल एवं दर्जा:

इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 2,750 वर्ग किलोमीटर है। इसके एक बड़े हिस्से को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया है। यह प्रोजेक्ट टाइगर के तहत 1973 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था।

​जैव विविधता:
यहाँ मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वन और साल के जंगल पाए जाते हैं। यहाँ बाघों के अलावा एशियाई हाथी, गौर, सांभर, चीतल और मगरमच्छों की प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
​नामकरण: ‘सिमलीपाल’ नाम ‘सिमुल’ (रेशमी कपास) वृक्ष से लिया गया है जो इस क्षेत्र में बहुतायत में उगते हैं।

Melanistic tigers found only Simlipal Tiger Reserve

भारत में दुर्लभ गहरे रंग के (छद्म-मेलानिस्टिक) बाघ: आनुवंशिक विवरण 

​सिमलीपाल टाइगर रिजर्व में पाए जाने वाले गहरे रंग के (या काली धारी वाले) बाघ छद्म-मेलानिस्टिक (Pseudo-melanistic) कहलाते हैं। यह एक दुर्लभ आनुवंशिक विशेषता है जो दुनिया में केवल इसी वन्य आवास में उच्च आवृत्ति पर पाई जाती है। रिपोर्टों के अनुसार, सिमलीपाल के लगभग 60% बाघों में यह विशिष्ट phenotype (फिनोटाइप) देखा जाता है।

The extremely-rare "Black Tiger" : r/pics

​क. Phenotype (फीनोटाइप) और Genotype (जीनोटाइप) का विवरण:

​Phenotype (बाह्य-लक्षण): इन बाघों की काली धारियाँ सामान्य बाघों की तुलना में अधिक मोटी और आपस में सटी हुई होती हैं। ये धारियाँ बाघ की नारंगी-भूरी खाल पर इतनी अधिक फैली हुई प्रतीत होती हैं कि बाघ का कोट काफी गहरा दिखाई देता है, जिससे यह छद्म-मेलानिस्टिक रूप लेता है (वास्तविक मेलानिज्म में पूरा कोट काला हो जाता है)।
​Genotype (आनुवंशिक-संरचना): इस विशिष्ट रंग और पैटर्न का कारण एक एकल उत्परिवर्तन (single mutation) है जो Transmembrane Aminopeptidase (संक्षेप में Taqpep या टैपपेप) नामक जीन में होता है।
​यह उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) एक रिसेसिव (अप्रभावी) गुण के रूप में कार्य करता है। इसका मतलब है कि बाघ में इस गहरे रंग के phenotype को व्यक्त करने के लिए Taqpep जीन की उत्परिवर्तित प्रति (mutated copy) की दो प्रतियां (m/m जीनोटाइप) होना आवश्यक है।

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​ख. इस Phenotype परिवर्तन के आनुवंशिक कारण:

​Taqpep जीन में उत्परिवर्तन: शोधकर्ताओं ने पाया है कि Taqpep जीन अनुक्रम में स्थिति 1360 पर एक एकल क्षार (DNA Alphabet) का परिवर्तन (Cytosine (C) से Thymine (T) में) होता है। यह परिवर्तन Taqpep प्रोटीन में एक मिसेंस म्यूटेशन (missense mutation) का कारण बनता है, जिससे प्रोटीन अनुक्रम की स्थिति 454 पर एक एमिनो एसिड (Histidine से Tyrosine) बदल जाता है। यह बदलाव Taqpep अणु की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे धारियों का पैटर्न और रंग गहरा हो जाता है।

​आनुवंशिक पृथक्करण (Genetic Isolation) और इनब्रीडिंग (Inbreeding):

​सिमलीपाल की बाघ आबादी भौगोलिक रूप से अलग-थलग है। अन्य बाघों की आबादी से लंबे समय तक पृथक्करण ने इसके शुरुआती संस्थापक बाघों की संख्या को बहुत छोटा (small founding population) रखा।
​इस आनुवंशिक अवरोध (genetic bottleneck) के कारण, बाघों के बीच अंतःप्रजनन (Inbreeding) की संभावना बढ़ गई है।
​इनब्रीडिंग के कारण, दुर्लभ उत्परिवर्तित जीन (Taqpep) की दो प्रतियाँ मिलने की संभावना बढ़ गई, जिससे यह छद्म-मेलानिस्टिक गुण इस आबादी में उच्च आवृत्ति पर व्यक्त होने लगा। इसे जेनेटिक ड्रिफ्ट (Genetic Drift) के प्रभाव से भी जोड़ा गया है, जहाँ संयोगवश एक छोटी आबादी में एक आनुवंशिक गुण की आवृत्ति बढ़ जाती है।

​इनब्रीडिंग (अंतःप्रजनन) की चेतावनी और आनुवंशिक विविधता की आवश्यकता

​एक एंटी-एजिंग वैज्ञानिक के रूप में अध्ययन अनुसार , गुणवत्ता संरक्षण और आनुवंशिक स्वास्थ्य(पीएस)।आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity) किसी भी प्रजाति के स्वास्थ्य और अस्तित्व के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।

सिमलीपाल के बाघों में छद्म-मेलानिज्म का उच्च प्रसार गहन अंतःप्रजनन का एक चेतावनी संकेत है।

​क. इनब्रीडिंग के खतरे:

​आनुवंशिक विविधता में कमी: सीमित आबादी और इनब्रीडिंग के कारण बाघों की आबादी में आनुवंशिक विविधता कम हो जाती है। यह आनुवंशिक एकरूपता (homogeneity) उन्हें रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है।

​कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली:

इनब्रीडिंग से प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) कमजोर हो सकती है, जिससे बाघ बीमारियों से लड़ने में कम सक्षम होते हैं।

​प्रजनन क्षमता में कमी:

आनुवंशिक विविधता की कमी प्रजनन क्षमता (fertility) को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है, जिससे आबादी का दीर्घकालिक अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।

​हानिकारक गुणों का प्रकटीकरण:

अप्रभावी (Recessive) हानिकारक जीन (जो आमतौर पर छिपे रहते हैं) के दोनों प्रतियों के एक साथ आने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।

​ख. संरक्षण और आनुवंशिक विविधता की आवश्यकता:

​बाह्य आनुवंशिक इनपुट (External Genetic Input): इनब्रीडिंग के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और आनुवंशिक विविधता बढ़ाने के लिए, बाहरी बाघों (विशेषकर मादा) को सिमलीपाल में स्थानांतरित (Translocation) करना आवश्यक है। यह प्रक्रिया अन्य टाइगर रिजर्व, जैसे ताडोबा से, बाघों को सिमलीपाल लाकर की जा रही है।

​पारिस्थितिक गलियारों का संरक्षण:

बाघों के लिए सिमलीपाल और अन्य रिजर्व के बीच सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने वाले पारिस्थितिक गलियारों (Ecological Corridors) का संरक्षण और रखरखाव महत्वपूर्ण है ताकि बाघों की आबादी आपस में मिल सके और आनुवंशिक आदान-प्रदान हो सके।
​प्रमुख शोध पत्र:
​Proceedings of the National Academy of Sciences (PNAS) में प्रकाशित शोध पत्र (सितंबर 2021) जिसने Taqpep जीन में उत्परिवर्तन की पहचान की और सिमलीपाल के काले बाघों के पीछे आनुवंशिक आधार को समझाया। (शोधकर्ताओं में मुख्य रूप से उमा रामकृष्णन और विनय सागर शामिल थे)।

​प्रासंगिक विषय/पुस्तकें:
​Wildlife Genetics and Conservation (वन्यजीव आनुवंशिकी और संरक्षण): यह विषय आनुवंशिक विविधता, इनब्रीडिंग और छोटी आबादी के संरक्षण पर गहराई से प्रकाश डालता है।

​Ecology of Tiger Reserves in India (भारत में बाघ अभयारण्यों का पारिस्थितिकी): सिमलीपाल के पारिस्थितिक तंत्र और बाघों की आबादी के अलगाव को समझने के लिए प्रासंगिक।

​Journal of Heredity / Molecular Ecology जैसे पत्रिकाएँ (Magazines): ये वन्यजीव आनुवंशिकी पर नवीनतम शोध प्रकाशित करती हैं।
​यह जानकारी सिमलीपाल के अद्वितीय बाघों के प्रजनन व्यवहार, जीव विज्ञान, संरक्षण और अनुसंधान पहलुओं पर एक विस्तृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।

वीडियो सिमलीपाल टाइगर रिजर्व में इनब्रीडिंग की समस्या और आनुवंशिक विविधता को बढ़ाने के लिए बाघों के स्थानांतरण पर चर्चा करता है।

Dr डॉ. तेज प्रकाश पूर्णानन्द व्यास
पीएच पीएचडी न्यूरिन्डक्रिनोलॉजी डी.एससी. आनुवंशिक इंजीनियरिंग, आणविक जीव विज्ञान और विकासात्मक जीव विज्ञान [email protected]
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