कोई तो कहे ….: बैरेन आइलैंड बने सिंध प्रांत,सिंधी समाज में भी कोई एक राज्य का नामकरण करने की मुहिम हुई तेज
*नर्मदा परिक्रमा पथ,गुजरात से स्वामी तृप्तानंद जी का कालम*
भारत के राष्ट्रगान जन-गण-मन में
पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा वाली पंक्ति में सिंध नाम से अब तक कोई प्रदेश नहीं है। जिसे बनाकर इस विसंगति को ठीक किया जा सकता है। 1947 में विभाजन के समय जहां पंजाब व बंगाल हैं,वह इलाका भारत व पाकिस्तान दोनों में बंट गया था। वहीं सिंध पूरा का पूरा इलाका पाकिस्तान में चला गया था और वहां से भारत आये हिन्दू सिंधियों को भाषा-खानपान-वेशभूषा आदि की जो कठिनाई सिंधी शरणार्थियों को भोगनी पड़ी वैसी पंजाब व बंगाल से आए हिन्दुओं को भी कतई नहीं झेलनी पड़ी।
भारत में नितांत परिचयहीन परिस्थिति में सिंधी पुरुषों ने तब उस दौर में टॉफी-चॉकलेट,बिस्किट-कुल्फी फलूदा की रेहड़ी लगाकर परिवार का पेट भरा वहीं सिंधी स्त्रियों ने उन दिनों की हाथ सिलाई मशीन से रात रात भर सस्ते दामों पर कपड़े सिलकर पुरुषों का साथ दिया और आज भारत का बेकरी व्यवसाय व रिटेल रेडीमेड और गारमेंट्स इंडस्ट्री लगभग पूरी तरह से सिंधी समाज के पास है। पर सिंधी भाषा, लिपि, बोली,सिंधी खानपान वस्त्राभूषण परम्पराओं के रक्षण के लिए उनका अपना कोई सिंध प्रांत अब तक नहीं बना है। इस समस्या के समाधान के लिए मेरा एक श्रेष्ठ और समाधान सुझाव यह है कि बंगाल की खाड़ी,Bay Of Bengal में सुषुप्त ज्वालामुखी वाला जो निर्जनद्वीप Barren Island नाम का,आबादी विहीन भूक्षेत्र है उसे सिंध प्रांत घोषित करके अखिल भारतीय पूज्य सिंधी पंचायत को दे दिया जाए और सिंधी समुदाय के राष्ट्रभक्ति जज्बे का सम्मान करते हुए राष्ट्रगान की विसंगति को भी ठीक कर लिया जाए। आजकल सोशल मीडिया पर सतना के एक मुखर विचारक व सिंधी समाज के नेता पृथ्वी इलियानी का एक वीडियो काफी वायरल भी हो रहा है।
जिसमें वे आजादी के बाद से देश हित में हर क्षेत्र में चाहे वह व्यापार का हो या समाजसेवा का, टैक्स देने का हो या दान करने का,सिंधी समाज के योगदान को उल्लेखित करते हुए,बता रहे हैं कि जनवरी माह में देश के किसी एक राज्य या भूभाग को सिंधी समाज, सिंधी संस्कृति के नाम से करने की मांग करते हुए,करीब एक लाख सिंधी बंधुओं द्वारा हस्ताक्षरित, पूरी तरह एक गैर राजनीतिक जनहित याचिका न्यायपालिका में और केंद्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने की तैयारी चल रही है।
बैरेन आईलैंड को
सिंध समझिए साँइ !
तृप्तानंद इसमें नहीं
कहीं कोई कठिनाई !!
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स्वामी तृप्तानंद
8963968789
wtsp
अमरेली , गुजरात
स्वामी तृप्तानंद
संग्रह शून्य ,परिव्राजक , संन्यासी
1996 से 2008 तक 12 वर्षीय
नर्मदा पद प्रदक्षिणा के उपरांत
नर्मदा दक्षिण तट ओंकारेश्वर पर पुनः
सतत् नर्मदा परिक्रमा का संकल्प लिया।यह यात्रा परिचय से अपरिचय की दिशा में है जिसमें किसी व्यक्ति, वस्तु ,स्थान के प्रति कोई आसक्ति नहीं और राग-द्वेष से मुक्त समस्त के प्रति अपनत्व भाव है। वास्तव में तो यही होता है भारतीय संन्यास।सांसें पूरी करने के लिए अध्ययन,अध्यापन, हर्बल-निसर्गोपचार, मोबा.कॉन्फ्रेंस सत्संग,पर्यावरण संरक्षण का प्रयास
और भावाभिव्यक्ति लेखन। हिंदी व अंग्रेजी भाषा के विद्वान। आयुर्वेद और होम्योपैथी के विशेषज्ञ। आयुर्वेद और होम्योपैथी की कई मेडिसिन पर स्वयं की रिसर्च के आधार पर अब तक करीब एक लाख से भी अधिक रोगियों का सफल निःशुल्क उपचार कर चुके हैं। आपकी उपचार पद्धति से संबंधित चार ग्रंथों का प्रकाशन भी हो चुका है।
सेवा प्लस सद्भाव के
यथाशक्ति शु भ क र्म
तृप्तानंद करते चलो
यही धर्म का मर्म
स्वामी तृप्तानंद
8963968789 wtsp
मेवासाग्राम
सावरकुंडला जि. अमरेली
गुजरात।