SpadeX Launch : ISRO ने सफलता से SpadeX लॉन्च किया, चांद पर मानव भेजने की दिशा में भारत का पहला कदम!
Sriharikota : आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने SpaDeX और नये पेलोड के साथ PSLV-C 60 सफलता से लॉन्च कर दिया। स्पाडेक्स मिशन के तहत पृथ्वी की गोलाकार कक्षा में दो छोटे अंतरिक्ष यान को आपस में जोड़ा जाएगा। अगर भारत इसमें कामयाब हो जाता है तो ऐसा करने वाला वो दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इसके साथ ही इसरो ने सोमवार को एक बार फिर इतिहास रच दिया। इसरो ने श्रीहरिकोटा से रात 10 बजे पीएसएलवी रॉकेट के जरिए अपने बहुचर्चित स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट मिशन को लॉन्च किया। इसरो ने कहा है कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए यह मिशन एक मील का पत्थर साबित होने वाला है।
इस मिशन की सफलता के बाद अब भारत अंतरिक्ष में मानव भेजने के साथ अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में भी सक्षम होगा। चांद पर मानव भेजने या मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यात्री भेजने के लिए यह मिशन पहली सीढ़ी साबित होगा। स्पाडेक्स मिशन के तहत पृथ्वी की गोलाकार कक्षा में दो छोटे अंतरिक्ष यान (एसडीएक्स 01 और एसडीएक्स02) को आपस में जोड़ा जाएगा। इसका मकसद है डॉकिंग और अनडॉकिंग का परीक्षण करना। अगर भारत इसमें कामयाब हो जाता है तो ऐसा करने वाला वो दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
भारत की अंतरिक्ष में धाक जमेगी
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि ‘स्पाडेक्स कक्षीय डॉकिंग में भारत की क्षमता साबित करने का एक अहम मिशन है। इससे भविष्य में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन और उपग्रह सेवा मिशनों को भेजने में यह महत्वपूर्ण साबित होगा। रॉकेट की उड़ान से पहले इसरो की ओर से रविवार रात 9 बजे से ही उल्टी गिनती शुरू हो गई थी। अंतरिक्ष में डॉकिंग के लिए यह एक किफायती प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है। इसकी सफलता के बाद भारत भी अब चीन, रूस और अमेरिका जैसे देशों की सूची में शामिल हो गया। इस मिशन को भारत के श्रीहरिकोटा स्थित स्पेसपोर्ट के पहले लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया जाएगा। इसमें स्पैडेक्स के साथ दो प्राथमिक पेलोड के साथ 24 सेकेंडरी पेलोड शामिल थे।
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स्पेस डॉकिंग तकनीक आखिर है क्या
स्पेस डॉकिंग तकनीक का मतलब है अंतरिक्ष में दो अंतरिक्ष यानों को जोड़ने की तकनीक। यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी सहायता से मानव को एक अंतरिक्ष यान से दूसरे अंतरिक्ष यान में भेज पाना संभव हो पाता है। अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष संबंधी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बेहद जरूरी है। इसके सफल होने से चंद्रमा पर मानव भेजना, वहां से नमूने लाने के साथ-साथ देश के अपने अंतरिक्ष स्टेशन यानी भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण और संचालन करना शामिल है। इसके अलावा डॉकिंग तकनीक का उपयोग तब भी किया जाएगा जब सामान्य मिशन उद्देश्यों के लिए भी एक से अधिक रॉकेट प्रक्षेपण की योजना बनाई जाएगी।
अपनी तरह का नया प्रयोग
इसरो ने बताया है कि पीएसएलवी रॉकेट में दो अंतरिक्ष यान स्पेसक्राफ्ट ए (SDX 01) और स्पेसक्राफ्ट बी (SDX02) को एक ऐसी कक्षा में रखा जाएगा जो उन्हें एक दूसरे से पांच किलोमीटर दूर रखेगी। बाद में इसरो मुख्यालय के वैज्ञानिक उन्हें तीन मीटर तक करीब लाने की कोशिश करेंगे, जिसके बाद वे पृथ्वी से लगभग 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक साथ मिल जाएंगे।
इसरो के अधिकारियों ने बताया कि यह प्रक्रिया सोमवार को निर्धारित प्रक्षेपण के लगभग 10 से 14 दिन बाद होने की उम्मीद है। स्पैंडेक्स मिशन में स्पेसक्राफ्ट ए में हाई रेजोल्यूशन कैमरा लगा है। जबकि, स्पेसक्राफ्ट बी में मिनिएचर मल्टी स्पेक्ट्रल पेलोड और रेडिएशन मॉनिटर पेलोड लगा है। ये पेलोड हाई रेजोल्यूशन वाली तस्वीर, प्राकृतिक संसाधन निगरानी, वनस्पति अध्ययन समेत कई और जानकारियां मुहैया कराएंगे।