

गड्डों मे गिरा अध्यात्म
मुकेश नेमा
सड़कों मे गड्डे होना बेहद जरूरी। गड्डों में झाँक कर देखिए। गड्डे ज्ञान का स्त्रोत। स्कूल कॉलेजों में किताबी ज्ञान मिलेगा आपको।असली ज्ञान सड़कों के गड्डों में छुपा बैठा होता है।इसलिए आइए आज सड़कों के गड्डों मे अध्यात्म और दर्शन ढूंढें।
विचार कीजिए। आप अपनी धुन मे चले जा रहे हैं , अचानक सड़क किसी बडे गड्डे मे घुस जाती है। फिर आप खुद गड्डे मे होते हैं। आप फूटा सर लिए छिले हुए घुटनों के सहारे खड़े होते है। आप तय नही कर पाते की सड़कों पर गड्ढे हैं या गड्डों में सड़क है। ऐसे में कबीर याद आते है फिर। जल मे कुंभ ,कुंभ मे जल है बाहर भीतर पानी। फूटा कुंभ जल जल ही समाना यह तथ कह्यो ग्यानी। दुनिया के सारे विचारक इन्हीं गड्डों में मिलेंगे आपको। गड्डों का मर्म जान गए आप तो समझिए बेड़ा पार आपका। इसलिए गड्डों की इज्जत कीजिए वो आपके भले के लिए है।
सपाट चिकनी सड़के बोर करती है। एक ही गियर में एक सौ बीस की स्पीड से भागती एकरस ज़िंदगी भी कोई ज़िन्दगी है ? ऐसी सड़कें सोने का चम्मच मुँह मे लेकर पैदा हुए बडे बाप के लड़कों जैसी।गड्डों के बीच थोड़ी सी अच्छी सडक मिलने की खुशी दुनिया भर के राजपाट से भी ज्यादा होती है और इसे आप गड्डों से बिना मिले महसूस नही कर सकते। रोमांच न हो। कुछ अप्रत्याशित न घटे। तो ज़िंदगी मे मज़ा कहाँ रह जाएगा। जीवन में दिक़्क़तों जैसे सड़क के बीहड़ गड्ढे अचानक सामने आते हैं। आप यदि उनको पार कर गए तो आत्मविश्वास से भर जाते है। गिर पड़े तो सब्र करना सीखते है। गिरने टूटने फूटने के बाद जीवित बच जाने से जीवन की अनिश्चितता का बोध होता है। सड़कों के गड्डे अपने आप मे बौद्ध दर्शन हैं और इनसे मिलना अनित्यता की अवधारणा को जानने जैसा है।
खराब सड़कों पर सफर करना मुश्किल पर गड्डों से सफलता पूर्वक गुजर कर मंजिल तक पहुँचने मे जो संतोष मिलता है उसे हवाई जहाज में उड़ने वाले महसूस नही कर सकते। सुबह घर से निकलने के बाद शाम को ज़िंदा घर पहुँचने मे जो रोमांच है उसे लफ़्ज़ों मे बयान नही किया जा सकता। नीत्शे बड़े दार्शनिक हुए हैं। वो बता गए हैं कि सोना बिने तपे चमकता नही और बिना गड्डे मे गिरे आप मजबूत नही बन सकते। सड़कों पर गड्डे केवल इसलिए ताकि हम सावधान दृढ़ और सफल बने और अपने बाप का नाम रो़शन कर सके।
सड़कें, चाहे कितनी भी अच्छी हों, समय के साथ खराब हो जाती हैं। क्षणभंगुर जीवन जैसी सड़कें जल्दी जल्दी खराब होने के लिए बनाई जाती है ताकि दोबारा फिर बनाई जा सकें। वे भी हमारी ही तरह पैदा होती है मरती हैं और फिर जन्म लेती है। ये आवागमन का गीता ज्ञान है। सड़कों के गड्डे हमे सिखाते है कि ज़िंदगी का कोई ठिकाना नही इसलिए हमें शांत और भला बना रहना चाहिए ।खराब सड़कें हमें धीमा करती है। जल्दी पहुँचने की बेचैनी से मुक्त करती है और थोडे में संतुष्ट रहना सिखाती है। सड़कों के गड्डे सादगी भरे गांधीवादी दर्शन का प्रतिनिधित्व करते है। इसलिए ये अच्छे है।
खराब सड़कें को दिक़्क़तों मे गिनना ,उसके गड्डों को लेकर टसुए बहाना आपकी अपरिपक्वता को दर्शाता है। सड़कों के गड्ढे हमें जीवन की अपूर्णताओं को स्वीकार करने और आत्म-चिंतन का पाठ पढ़ाने के लिए है। ये खराब वक्त जैसे है जो हमे आंतरिक रूप से शांत और संतुलित करते हैं। जगत मिथ्या है और गड्डे सत्य है। हम नश्वर है किंतु गड्डे चिरंजीवी है। वो हमें बेहतर बनाने के लिए है। इसलिए आइए धीरज और सहनशीलता जैसे गहरे गड्डों स्वागत करे। इसलिए भी करें क्योंकि आप और कुछ नही कर सकते।