Srijan Scam की मुख्य आरोपी रजनी प्रिया साहिबाबाद से गिरफ्तार, सरकारी चेक बाउंस होने पर हुआ था घोटाला उजागर
रजनी प्रिया ने कई नेताओं और बिल्डर्स और व्यवसाइयों के नाम सीबीआई को बताए हैंपिछले छह सालों से सृजन घोटाले की आरोपी रजनी प्रिया अपने पति अमित कुमार के साथ उत्तर प्रदेश स्थित गाजियाबाद जिला के साहिबाबाद में एक फ्लैट में नाम बदलकर आराम से रह रही थी। लेकिन सीबीआई ने पुलिस की मदद से उसे गुरुवार को वहां से गिरफ्तार कर लिया।
रजनी ने सीबीआई को खगड़िया के एक हवाला कारोबारी का नाम बताया है, जिसके बाद उसपर शिकंजा कसने की उम्मीद की जा रही है। बता दें सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर की संस्थापक सह सचिव मनोरमा देवी थी और इसकी मौत के बाद बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया ने ही विरासत संभाली थी।
मनोरमा देवी की मौत के करीब 6 ही महीने बाद इस महाघोटाले का पर्दाफाश हो गया था। जब परत दर परत राज खुलने लगे तो सब दंग रह गए। प्रशासनिक मिलीभगत के जरिए सरकारी खजाने में बड़ी सेंधमारी की गई थी। हजारों करोड़ का यह घोटाला बन चुका था। जिला प्रशासन ने 07 अगस्त, 2017 को पहली प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
इससे पहले ही रजनी प्रिया और अमित कुमार अपने बच्चे के साथ फरार हो गए। जांच टीम यह मान कर चल रही थी कि 11 अगस्त तक प्रिया कुमार और अमित कुमार अपने देश में ही हैं। वह इसलिए भी कि उनके पासपोर्ट जब्त करने के लिए 12 अगस्त को पासपोर्ट कार्यालय को लिखा गया था।
सीबीआई को रजनी ने बताया कि इलाज के दौरान उसके पति की मौत हो चुकी है। फिलहाल सीबीआई आगे की कार्रवाई में जुटी है। सृजन घोटाले में अबतक करीब 1000 करोड़ के घोटाले की बात सामने आई है। इसमें लिप्त कई सरकारी कर्मी व अधिकारी जेल जा चुके हैं।
किंगपिन भी जेल के अंदर ही है। वहीं मनोरमा देवी की मौत के बाद अब उसके फरार बेटे अमित कुमार की मौत की अपुष्ट बात उसकी पत्नी रजनी प्रिया कह रही है। रजनी की गिरफ्तारी के बाद इस घोटाले में अब कई और अहम खुलासे होने की उम्मीद की जा रही है।
घोटाले में कई अधिकारियों के नाम
घोटाले में कई आइएएस पदाधिकारियों, बैंक पदाधिकारियों, सफेदपोशों, अफसरों की संलिप्तता सामने आई। भागलपुर में कई शोरूम, शापिंग कांप्लेक्स, बाइपास में करोड़ों की जमीनें, देश के लगभग सभी महानगरों में करोड़ों का निवेश किया गया। भागलपुर के कई बिल्डर दूसरे राज्यों में घोटाले के रुपये लगाए। जिसपर सीबीआई जांच कर रही है।
बावजूद तमाम सक्षम प्राधिकार को इस दागी संस्था की समाप्ति को लेकर पत्र लिखे गए ताकि दागी संस्था का अस्तित्व समाप्त हो जाए। जिन लोगों ने रकम जमा कराया था उनकी रकम वापसी के लिए भी पत्र लिखा है। लेकिन संस्था का अस्तित्व आज भी जिंदा है।
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क्या है सृजन घोटाला?
गौरतलब है कि भागलपुर का सृजन घोटाला 2004 से 2014 के बीच हुआ था लेकिन यह तीन अगस्त, 2017 को पूरी तरह से उजागर हुआ था। यह घोटाला लगभग 900 करोड़ रुपये का था। इस मामले में अब तक कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
इस घोटाले का खेल रचने वाली मनोरमा देवी हैं। जिनकी इस साल फरवरी में मृत्यु हो गई। उनकी मौत के बाद उनकी बहू रजनी प्रिया और बेटा अमित कुमार इस मामले को लेकर प्रकाश में हैं।
1996 में बनाई थी संस्था
मनोरमा देवी ने सृजन महिला विकास सहयोग समिति नाम से एक संस्था बनाई थी। जिसका रजिस्ट्रेशन साल 1996 में हुआ था। इस संस्था को शुरुआती दिनों में अमिताभ वर्मा, गोरेलाल यादव और के पी रामैया जैसे कई आईएएस अधिकारियों ने आगे बढ़ाया।
दिसंबर 2003 में गोरेलाल यादव के समय एक अनुसंशा पर सृजन के बैंक खाते में सरकारी पैसा जमा करने का आदेश दिया गया। तब बिहार की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी थीं। वहीं, रामैया ने 200 रुपये प्रति महीने के दर पर सबौर ब्लॉक में जमीन का एक बड़ा हिस्सा सृजन को दिया था।
जिला अधिकारी वीरेंद्र यादव के कार्यकाल में सृजन के खाते में सबसे अधिक पैसा जमा कराया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2014 से 2015 के बीच करीब 285 करोड़ सृजन के खाते में जमा हुए। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि वीरेंद्र पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के करीबी माने जाते हैं।