फिल्म समीक्षा
Srikanth OTT Release: दृष्टिहीन ‘श्रीकांत’ के रोल में राजकुमार राव ठीक ठाक लगे फिर भी ये बायोपिकआपका दिल जीत लेगी
डॉ.रूचि बागड़देव
श्रीकांत (हिंदी)
हाल ही में मिड बजट वाली ‘श्रीकांत’ सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. राजकुमार राव स्टारर इस बायोपिक को भी दर्शकों ने खूब प्यार दिया. ‘श्रीकांत’ ने टिकट काउंटर पर अच्छा परफॉर्म किया है और अपनी लागत भी वसूल कर ली है.मैंने यह फिल्म OTT पर कल देखी फिल्म फार्मूला फिल्मों से अलग एक सरल और सहज कहानी है जो दर्शक को बांधे रखती है.फिल्म ‘श्रीकांत’ एक दृष्टिबाधित उद्योगपति और बोलांट इंडस्ट्रीज के संस्थापक श्रीकांत बोल्ला की बायोपिक है.
श्रीकांत, वास्तविक जीवन के श्रीकांत बोल्ला की कहानी है , बहुत ही जीनियस एक दृष्टिबाधित स्वनिर्मित अरबपति हैं, तथा आंध्र प्रदेश के एक गरीब गांव से भारत के अग्रणी उद्योगपतियों में से एक के रूप में राष्ट्रीय मंच पर पहुंचने तक की उनकी असाधारण यात्रा के बारे में है।
श्रीकांत की इंस्पायरिंग जर्नी को राजकुमार राव ने पर्दे पर उतारा है. फिल्म में एक्ट्रेस ‘ज्योतिका’ ने श्रीकांत की टीचर की भूमिका निभाई है,यह फिल्म शिक्षक की जीवन में क्या भूमिका होती है इसे भी रेखांकित करती , जबकि अलाया एफ ने उनकी प्रेमिका वीरा स्वाति का रोल प्ले किया है.
अलाय की श्रीकांत के साथ प्रेम कहानी फिल्म में बहुत छोटी है ,जो श्रीकांत के मन के प्रेम को उजागर नहीं कर पाती .अलाया एफ का काम अच्छा है, लेकिन उनका रोल कम है, उन्हें और स्क्रीन स्पेस दिया जाना चाहिए था, एक अंधे व्यक्ति से प्रेम यूँ ही नहीं हो सकता उसके लिए कुछ आधार और कारण या घटना दिखाई जाना जरुरी था जो नहीं है .अलाया सुन्दर हैं और उनमें अभिनय की संभावनाएं देखी जा सकती है .
लेकिन प्रेम कहानी आधी अधूरी सी लगती है ,जबकि शिक्षक के बाद उसके जीवन को ताजी ऊर्जा इसी स्वाति के प्रेम से भर देती है.लेकिन फिल्माते समय निर्देशक प्रेम कहानी को उस दिल छू लेनेवाली अनूभूति से भरने में कहीं थोड़ा चूक गए हैं.ज्योतिका ने शानदार काम किया है, शरद केलकर की एक्टिंग हमेशा की तरह जबरदस्त है.शरद अपनी पारी बढ़िया खेले हैं .
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फिल्म में जमील खान ने एपीजे अब्दुल कलाम की भूमिका निभाई है. साथ ही शरद केलकर भी फिल्म में शानदार रोल में हैं. ये फिल्म श्रीकांत बोला की चुनौतियों और जीत को दर्शाती है, उनके दृढ़ संकल्प और उद्यमशीलता की भावना को उजागर करती है. निर्देशक तुषार हीरानंदानी की दृष्टिबाधित उद्योगपति श्रीकांत बोल्ला की बायोपिक में आकर्षक मेलोड्रामा से दूर रहकर एक प्रेरणादायक कहानी के रूप में देखें तो यह अलग तरह की फिल्म लगती है.
राजकुमार राव इस फिल्म में अपने संवादों से उतना प्रभाव नहीं छोड़ पाए जीतने की संभावना थी ,बावजूद इसके यह फिल्म कुछ हद तक एक दृष्टिबाधित व्यक्ति की मानसिक संरचना को अभिव्यक्ति देती है। और, इस दौरान, फिल्म एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि विकलांग व्यक्ति को विशेष या कचरा न समझें – बल्कि उसके साथ समान व्यवहार करें.और वे स्पेशल ना समझे जाय उन्हें आम व्यक्ति की तरह लिया जाना चाहिए .यह केवल श्रीकांत की सफलता की कहानी न होकर केवल उनके धैर्य और उनके लिए सतत सहायक बन कर खड़े रहनेवाले बल्कि उनके प्रति सहानुभूति रखने वाले लोगों और उनकी प्रतिभा में विश्वास रखने वाले लोगों की भी कहानी है जो एक श्रीकांत को गढ़ते हैं .यह प्रेरणा भी समाज को एक नया सन्देश देती है .शेष आप फिल्म देखें और अपनी राय बनाए .
डॉ.रूचि बागड़देव ,हैदराबाद