तहसीलदारों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग की चिट्ठी ने बढ़ाई सरकार की परेशानी

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भोपाल। पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटे राज्य निर्वाचन आयोग के पत्र ने राज्य सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। यह दिक्कत प्रदेश में पदस्थ तहसीलदारों की तीन साल की पदस्थापना और उनके तबादले संबंधित आयोग द्वारा तलब की गई जानकरी को लेकर सामने आई है।

इन हालातों को देखते हुए राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव ने राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है।

प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि आयोग द्वारा जिलों में पदस्थ तहसीलदार और नायब तहसीलदार की तीन वर्ष से अधिक अवधि में जिले में पदस्थापना और उनके स्थानांतरण को लेकर निर्देश 26 अक्टूबर को लिखे गए पत्र में दिए गए हैं।

अगर इस निर्देश पर अमल किया जाता है तो बड़ी संख्या में तहसीलदार और नायब तहसीलदार प्रभावित होंगे। इस आदेश पर अमल से इस संवर्ग के लगभग 40 प्रतिशत (320 से अधिक) अधिकारी प्रभावित होंगे। अत्यधिक स्थानांतरण होने की दशा में जिलों में स्थानीय प्रशासन में भी अव्यवस्था होगी।

प्रमुख सचिव ने कहा है कि स्थानीय पंचायतों के निर्वाचन दलीय आधार पर नहीं होते हैं और स्थानीय नगरीय निकायों के चुनाव में आचार संहिता सिर्फ नगरीय निकाय तक ही सीमित रहती है। इसलिए तहसीलदार और नायब तहसीलदार का 26 अक्टूबर को दिए गए निर्देश के मुताबिक स्थानांतरण किया जाना आवश्यक नहीं होना चाहिए।

प्रमुख सचिव ने इस मामले में आयोग से पुनर्विचार करने के लिए कहा है। गौरतलब है कि इस आदेश के बाद राजस्व अधिकारी (कनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी) संघ का प्रतिनिधि मंडल भी पिछले दिनों राज्य निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष बीपी सिंह से मुलाकात कर चुका है।

पुलिस महकमे में नहीं है दिक्कत

उधर पुलिस विभाग के निरीक्षक, एसडीओपी, डीएसपी स्तर के अफसरों के तबादले को लेकर कोई दिक्कत नहीं है। पुलिस मुख्यालय और गृह विभाग के आदेश के आधार पर तीन साल से एक स्थान में जमे निरीक्षक, उपनिरीक्षक, एसडीओपी, डीएसपी स्तर के अधिकारियों के तबादले जिले के भीतर ही पुलिस अधीक्षकों द्वारा किए जा रहे हैं। राजस्व अधिकारी संघ भी इसी व्यवस्था की मांग पिछले पंचायत चुनावों की तर्ज पर राज्य निर्वाचन आयोग से कर चुका है।