Story of Blood Relation: खून का रिश्ता
राजीव शर्मा
आज जब अनियंत्रित आकांक्षायें रिश्तों का खून करते हुए सुर्ख़ियों में हैं तब भी परोपकार की भावना भारतीय समाज के रक्त में है। प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटनाओं में लाखों बहुमूल्य मानव जीवन गँवाने वाले देश में रक्त दान करने वालों की संख्या नगण्य है। यद्यपि स्थिति पूर्व से बेहतर है। शहडोल जैसे छोटे शहर में रक्त दान का सशक्त आंदोलन है। चिकित्सक और समाजसेवी मिलकर सतत शिविर लगाते है और जागरूकता भी बढ़ाते हैं।
इंदौर, भोपाल सहित अनेक नगरों में सेवा भावी रक्त दाता स्तुत्य कार्य कर रहे हैं। कई ह्वाट्सऐप समूह अत्यंत सराहनीय सेवा दे रहे हैं। यह जागरूकता उज्जवल भविष्य और सुखद वर्तमान की गारंटी है । मेरी आज की कहानी इस सुंदर समय से एक दशक पहले की है।
हुआ यों कि मैं कलेक्टर कार्यालय में रोज़ की तरह अपने काम में व्यस्त था, तभी मेरे बंगले में काम करने वाला माली आया है और मिलना चाहता है -स्टेनो ने बताया .मुझे अजीब लगा .मैंने सोचा यह तो घर में ही बता सकता था, यहाँ क्यों आना पड़ा ?, ख़ैर मैंने कहा भेजो .वह एक भला आदमी था .मैं उसके काम से खुश था .उसकी मेहनत से बँगले का बगीचा हर मौसम में हरा भरा महकता था .उसने आते ही शिकायत की कि उसकी बेटी को तत्काल खून की ज़रूरत है पर शासकीय ब्लड बैंक के मुखिया खून के बदले खून माँग रहे हैं जबकि उसकी बेटी को जान बचाने के लिये तत्काल खून चाहिये .मैंने उसे आश्वस्त किया कि उसे खून मिल जायेगा वह अस्पताल पंहुचे. वह स्वयं और परिवार के अन्य सदस्य खून दे चुके थे किंतु वह पर्याप्त नहीं था।मैंने सिविल सर्जन और सीएमएचओ से बात की। उन्होंने कहा -सर आप किसी को भी बोल दीजिये जो इसी रक्त समूह का हो तो व्यवस्था हो जायेगी। संयोग से मेरा भी वही रक्त समूह था। मुझे यह अनैतिक लगा कि मैं किसी और को खून देने को कहूँ। मुझे लंच लेना था पर अब पहले खून देना ज़रूरी था इसलिये सिविल सर्जन को अस्पताल में मिलने को कहा गया। अस्पताल पंहुचकर मैंने रक्तदान किया। हमारे माली जी के माथे से चिंता दूर हुई। उनकी बिटिया को खून मिल गया था और मेरे रक्तदान की खबर से शाजापुर ज़िले के रक्त दानियों को एक नया उत्साह आ गया था।